मैनपुरी: उत्तर प्रदेश सरकार किसानों के हित के लिए दावे तो काफी करती है लेकिन, इसके बाद भी आलू किसान आज परेशान है. क्योंकि कुछ फसल तो आवारा पशु खा गए और जो बची आलू की फसल है उसके सही दाम नहीं मिल रहे. मैनपुरी में इन दिनों आलू किसानों के सामने यही सबसे बड़ा संकट मंडरा रहा है. आलम यह है कि आलू की खरीद करने वाले व्यापारी नहीं मिल रहे हैं.
मैनपुरी में इस बार आलू की पैदावार ज्यादा हुई है. किसानों का आलू खेतों से निकल चुका है. लेकिन, खरीदने के लिए व्यापारी नहीं मिल रहे. जबकि कोल्ड स्टोरेज के बाहर लम्बी-लम्बी कतारों में आलू ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर लदा हुआ है. जो कोल्ड स्टोरेज तक नहीं पहुंचे उनका आलू खेत में पड़ा हुआ है. मैनपुरी की मंडियों में आलू के रेट लागत मूल्य से भी कम है. किसान को रात दिन मेहनत करने के बाद फसल का लागत मूल्य तक नहीं निकल पा रहा है.
मैनपुरी के किसानों से जब इस बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि आलू की पैदावार तो इस बार काफी अच्छी हुई है. लेकिन, रेट बहुत कम मिल रहा है. अनुमानित लागत भी नहीं मिल पा रही है. रेट 150 से 400 रुपए प्रति कुंतल ही जा रहा है. जबकि पिछले साल 700 से 800 रुपये प्रति कुंतल तक में बेचा गया था. कोल्ड स्टोरेज में भी काफी खर्चा आ रहा है. वहां पर भी 24-24 घंटे में नम्बर आ रहा है. सरकार हमारी तरफ देखती ही नहीं है.
किसान राधे श्याम से ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया आलू तो बर्बाद हो गया. सरकार की सुविधाओं के बारे में बताया कि उनका लाभ तो हम तक पहुंचता ही नहीं है. किसान आलू खोदने से डर रहा है. कुछ लोगों ने तो खोदा ही नही है. इतना सस्ता आलू हो गया है कि उसकी लागत तक नहीं निकल रही. एक बीघे की लागत करीब 25 हजार रुपए आती है. जबकि आज के समय 6 हजार रुपए में बिक रहा है. कोल्ड स्टोर वाले आलू लेते नही हैं. सरकार को इन सभी चीजों के रेट फिक्स करने चाहिए. किसान सम्मान निधि पर कहा, उससे क्या होता हैं.