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मैनपुरी: BJP नेता के हत्याकांड में नया खुलासा, फर्जी था हत्या में इस्तेमाल बन्दूक का लाइसेंस

2017 में मैनपुरी बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष मदन चौहान की हत्या के मामले में एक नया मोड़ आ गया है. हत्या में प्रयुक्त किये हथियार के जांच में यह बात सामने आई है कि जालसाजी के जरिये फर्जी शस्त्र लाइसेंस पर यह खरीदा गया था. अब पुलिस इस मामले में भी मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई में जुट गयी है. हालांकि इस बात का पता लगाने में पुलिस को लगभग ढाई साल का वक्त लग गया.

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Published : Oct 7, 2020, 7:16 PM IST

जांच करती पुलिस.
जांच करती पुलिस.

मैनपुरी: 2017 में बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष मदन चौहान की उनके ही पेट्रोल पंप पर शूटरों ने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. दिनदहाड़े हुए इस हत्याकांड में एक शूटर भी मारा गया था. इसके बाद बाद में पुलिस ने कुछ हत्यारों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था. मुठभेड़ के दौरान हत्यारों से एक डबल बैरल बंदूक भी बरामद हुई थी. अब हत्या के 30 महीने बाद पता चला है कि, ये बंदूक फर्जी शस्त्र लाइसेंस के आधार खरीदी गई थी. जिसके बाद पुलिस ने नामजद लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है.

यूपी के मैनपुरी जिले में थाना दन्नाहार क्षेत्र के कीरतपुर चौकी के अंतर्गत 2017 जनवरी को जब बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष मदन चौहान अपने ही पेट्रोल पंप पर बैठे हुए थे. इस दौरान कुछ कार सवार बदमाश वहां पहुंचे और केबिन में घुस गए. इसके बाद बदमाशों ने केबिन में बैठे मदन चौहान को गोली मार कर हत्या कर दी थी. दिनदहाड़े हुए इस जघन्य हत्याकांड में पुलिस ने कुछ हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया था. पकड़े गए गौरव गोस्वामी निवासी सफीपुर पट्टी मुजफ्फरनगर कब्जे से एक दो नाली बंदूक बरामद हुई थी. पुलिस ने इस बंदूक के लाइसेंस धारक का पता लगाने का प्रयास कर रही थी. काफी कोशिश के बाद पुलिस को पता चला कि आरोपी पंचम ने बृजभान सिंह निवासी गांव घुमर्रा के लाइसेंस नंबर में जालसाजी करते हुए फर्जी लाइसेंस बनवा कर दोनाली बंदूक हासिल की थी. मामले की रिपोर्ट शहर कोतवाली में जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में दर्ज की गयी है.

वहीं जब क्षेत्राधिकारी मैनपुरी अभय नारायण राय से इस बाबत बात की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से मना कर दिया. ऑफ रिकॉर्ड उन्होंने बताया कि हत्याकांड के बाद जो भी विवेचक रहा भूलवश उसने दो नाली बंदूक पर अंकित नंबर लिखना भूल गया. जिसके चलते आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया गया. अब बिना न्यायालय की अनुमति के इसमें कुछ भी नहीं किया जा सकता था. बार-बार अनुरोध के बाद न्यायालय से अनुमति मिली तब इस दोनाली बंदूक का सीरियल नंबर ट्रेस किया गया. जिसके उपरांत यह फर्जीवाड़ा निकल कर आया. फर्जी दस्तावेजों से दोनाली बंदूक खरीदी गई थी. जिसमें पुलिस ने कोतवाली में मामला दर्ज कर लिया है.

अब बड़ा सवाल यह है कि 30 माह पहले ही पुलिस अभियुक्तों से डबल बैरल बरामद कर चुकी थी. लेकिन उस दौरान पुलिस ने यह जहमत उठाने की कोशिश नहीं की कि हत्या में प्रयुक्त की गई दो नाली बंदूक किसी वैध शस्त्र लाइसेंस धारक की है या जालसाजी से खरीदी गई है.

मैनपुरी: 2017 में बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष मदन चौहान की उनके ही पेट्रोल पंप पर शूटरों ने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. दिनदहाड़े हुए इस हत्याकांड में एक शूटर भी मारा गया था. इसके बाद बाद में पुलिस ने कुछ हत्यारों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था. मुठभेड़ के दौरान हत्यारों से एक डबल बैरल बंदूक भी बरामद हुई थी. अब हत्या के 30 महीने बाद पता चला है कि, ये बंदूक फर्जी शस्त्र लाइसेंस के आधार खरीदी गई थी. जिसके बाद पुलिस ने नामजद लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है.

यूपी के मैनपुरी जिले में थाना दन्नाहार क्षेत्र के कीरतपुर चौकी के अंतर्गत 2017 जनवरी को जब बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष मदन चौहान अपने ही पेट्रोल पंप पर बैठे हुए थे. इस दौरान कुछ कार सवार बदमाश वहां पहुंचे और केबिन में घुस गए. इसके बाद बदमाशों ने केबिन में बैठे मदन चौहान को गोली मार कर हत्या कर दी थी. दिनदहाड़े हुए इस जघन्य हत्याकांड में पुलिस ने कुछ हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया था. पकड़े गए गौरव गोस्वामी निवासी सफीपुर पट्टी मुजफ्फरनगर कब्जे से एक दो नाली बंदूक बरामद हुई थी. पुलिस ने इस बंदूक के लाइसेंस धारक का पता लगाने का प्रयास कर रही थी. काफी कोशिश के बाद पुलिस को पता चला कि आरोपी पंचम ने बृजभान सिंह निवासी गांव घुमर्रा के लाइसेंस नंबर में जालसाजी करते हुए फर्जी लाइसेंस बनवा कर दोनाली बंदूक हासिल की थी. मामले की रिपोर्ट शहर कोतवाली में जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में दर्ज की गयी है.

वहीं जब क्षेत्राधिकारी मैनपुरी अभय नारायण राय से इस बाबत बात की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से मना कर दिया. ऑफ रिकॉर्ड उन्होंने बताया कि हत्याकांड के बाद जो भी विवेचक रहा भूलवश उसने दो नाली बंदूक पर अंकित नंबर लिखना भूल गया. जिसके चलते आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया गया. अब बिना न्यायालय की अनुमति के इसमें कुछ भी नहीं किया जा सकता था. बार-बार अनुरोध के बाद न्यायालय से अनुमति मिली तब इस दोनाली बंदूक का सीरियल नंबर ट्रेस किया गया. जिसके उपरांत यह फर्जीवाड़ा निकल कर आया. फर्जी दस्तावेजों से दोनाली बंदूक खरीदी गई थी. जिसमें पुलिस ने कोतवाली में मामला दर्ज कर लिया है.

अब बड़ा सवाल यह है कि 30 माह पहले ही पुलिस अभियुक्तों से डबल बैरल बरामद कर चुकी थी. लेकिन उस दौरान पुलिस ने यह जहमत उठाने की कोशिश नहीं की कि हत्या में प्रयुक्त की गई दो नाली बंदूक किसी वैध शस्त्र लाइसेंस धारक की है या जालसाजी से खरीदी गई है.

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