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गीतांजलि श्री को 'अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज' मिलने पर मैनपुरी में मनाई गई खुशियां - सेंटर फॉर सोशल स्टडीज

लेखिका गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) को साल 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज (International Booker Prize) मिलने पर मैनपुरी के लोगों में खुशी का माहौल है. गींताजलि श्री मैनपुरी शहर की रहने वाली हैं.

लेखिका गीतांजलि श्री.
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Published : May 27, 2022, 9:09 PM IST

मैनपुरीः जिले की मिट्टी में पली-बढ़ी लेखिका गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) को साल 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज (International Booker Prize) दिया गया है. उनके उपन्यास 'Tomb of Sand' के लिए उन्हें प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. गीताजंलि का यह उपन्यास हिंदी में 'रेत समाधि' के नाम से प्रकाशित हुआ था, जिसका अंग्रेजी अनुवाद किया गया. गीतांजलि श्री की इस उपलब्धि पर मैनपुरी के लोगों में खुशी का माहौल है. यहां छात्रों ने केक काटकर खुशी जाहिर की. वहीं, जिले के साहित्यकारों ने गीतांजलि को बधाई दी है.

जानकारी देती छात्रा रजनी दुबे.

मूलरूप से मैनपुरी शहर की निवासी 64 वर्षीय गीतांजलि श्री लंदन में रहती हैं. बचपन में ही इनका परिवार दिल्ली चला गया था. दिल्ली में इनका परिवार वाईए-3 सहविकास अपार्टमेंट्स, 68 आईपी एक्सटेंसन में रहता है. गीतांजलि श्री को अपनी कृतियों के लिए अब तक संस्कृत मंत्रालय की सीनियर फैलोशिप, कथा सम्मान, साहित्यकार सम्मान, स्कॉटलैंड और फ्रांस का राइटर्स रेजिडेंसी, द्विजदेव सम्मान मिल चुका है. उनकी कृतियों का साइबेरियन, फ्रांसिस, अंग्रेजी, जर्मन भाषाओं में अनुवाद हो चुका है.

इसे भी पढ़ें-गीतांजलि श्री की 'Tomb of Sand' ने जीता 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार


गीतांजलि श्री ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक और जेएनयू से इतिहास विषय में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की. महाराज सयाजी राव विश्वविद्यालय वडोदरा से प्रेमचंद्र, उत्तर भारत के औपनिवेशिक शिक्षित वर्ग विषय पर शोध की डिग्री भी उन्होंने हासिल की. जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में बतौर शिक्षिका काम करने वाली गीतांजलि ने सूरत के सेंटर फॉर सोशल स्टडीज में भी अध्ययन किया. गीतांजलि पांडेय अपना नाम गीतांजलि श्री लिखती हैं. मां के नाम से श्री लेकर उन्होंने अपना नाम गीतांजलि श्री कर लिया है.

मैनपुरीः जिले की मिट्टी में पली-बढ़ी लेखिका गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) को साल 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज (International Booker Prize) दिया गया है. उनके उपन्यास 'Tomb of Sand' के लिए उन्हें प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. गीताजंलि का यह उपन्यास हिंदी में 'रेत समाधि' के नाम से प्रकाशित हुआ था, जिसका अंग्रेजी अनुवाद किया गया. गीतांजलि श्री की इस उपलब्धि पर मैनपुरी के लोगों में खुशी का माहौल है. यहां छात्रों ने केक काटकर खुशी जाहिर की. वहीं, जिले के साहित्यकारों ने गीतांजलि को बधाई दी है.

जानकारी देती छात्रा रजनी दुबे.

मूलरूप से मैनपुरी शहर की निवासी 64 वर्षीय गीतांजलि श्री लंदन में रहती हैं. बचपन में ही इनका परिवार दिल्ली चला गया था. दिल्ली में इनका परिवार वाईए-3 सहविकास अपार्टमेंट्स, 68 आईपी एक्सटेंसन में रहता है. गीतांजलि श्री को अपनी कृतियों के लिए अब तक संस्कृत मंत्रालय की सीनियर फैलोशिप, कथा सम्मान, साहित्यकार सम्मान, स्कॉटलैंड और फ्रांस का राइटर्स रेजिडेंसी, द्विजदेव सम्मान मिल चुका है. उनकी कृतियों का साइबेरियन, फ्रांसिस, अंग्रेजी, जर्मन भाषाओं में अनुवाद हो चुका है.

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गीतांजलि श्री ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक और जेएनयू से इतिहास विषय में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की. महाराज सयाजी राव विश्वविद्यालय वडोदरा से प्रेमचंद्र, उत्तर भारत के औपनिवेशिक शिक्षित वर्ग विषय पर शोध की डिग्री भी उन्होंने हासिल की. जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में बतौर शिक्षिका काम करने वाली गीतांजलि ने सूरत के सेंटर फॉर सोशल स्टडीज में भी अध्ययन किया. गीतांजलि पांडेय अपना नाम गीतांजलि श्री लिखती हैं. मां के नाम से श्री लेकर उन्होंने अपना नाम गीतांजलि श्री कर लिया है.

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