आगरा: यूपी का मैनपुरी जिला ताम्र पाषाण काल में आबाद था. यहां पर सैनिकों का डेरा था. इसके पुख्ता प्रमाण जिले की कुरावली तहसील के गांव गणेशपुरा में एक फौजी के खेत में समतलीकरण के दौरान निकली 77 ताम्र निधियां दे रही हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने ताम्र निधियों के प्रारंभिक परीक्षण में माना है कि, ये ताम्र निधियां करीब 4 हजार साल पुरानी हैं. तब लोग ताबें के बने शस्त्रों को इस्तेमाल करते थे. सबसे पहले कानपुर के बिठूर में सबसे पहले 1822 में ताम्र निधियां मिली थीं.
बता दें कि, गांव गणेशपुरा (कुरावली, मैनपुरी) निवासी बहादुरसिंह फौजी है. वह 10 जून 2022 को अपने खेत के समतलीकरण का कार्य करा रहे थे. तभी जमीन में प्राचीन शस्त्रों का जखीरा मिला. जिसे लोगों ने रख लिया था. मगर, जब प्राचीन शस्त्रों के मिलने की खबर फैली तो प्रशासन व पुलिस भी सतर्क हो गई. पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने पहुंचकर लोगों से अपील की कि, उन्होंने कहा कि, जो लोग प्राचीन शस्त्र समेत अन्य सामान लेकर गए हैं. उन्हें वापस कर दें. तब तक एएसआई की टीम भी पहुंच गई. एएसआई की टीम ने गांव से 77 ताम्र निधियां अपने कब्जे में ली हैं. एएसआई ने 8 दिन तक वहां पर साइंटिफिक इन्वेस्टीगेशन किया. जिससे वहां से ताम्र निधियों के साथ ही गैरिक मृदभांड और मिट्टी के बर्तन पकाने की भट्टी (चूल्हा) को भी परीक्षण के लिए कब्जे में लिया है.
एएसआई आगरा सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि, गांव गणेशपुरा में 77 ताम्र निधियां मिली हैं. इसमें 16 मानव आकृति हैं. जो साइज और वजन के हिसाब से अलग हैं. ताम्र निधियों में तलवारें भी शामिल हैं. यह तलवारें भी 3 आकार की है. बड़े आकार, मध्यम आकार और छोटे आकार की हैं. वहां जो भाले मिलें हैं. वे आकार और बनावट में कई तरह के हैं. सभी ताम्र निधियों के साथ ही वहां पर मिले गैरिक मृदभांड और मिट्टी के बर्तन पकाने की भट्टी (चूल्हा) का परीक्षण किया जा रहा है. मिट्टी के बर्तनों में कलश, कटोरे के साथ अन्य बर्तनों के टुकड़े मिले हैं.
एएसआई के प्रवक्ता वसंत स्वर्णकार ने बताया कि जो ताम्र निधियां मिली हैं. उन पर मिट्टी लगी है. जिससे उनके पूरे सतह दिखाई नहीं दे रही है. अभी वे लैब में जाएंगी. वहां क्लीन होंगी. अभी उनके साइज और बनावट से अनुमान यह लगाया जा रहा है. जो भी ताम्र निधियां मिली हैं. वे शस्त्र हैं. जो ताम्र निधियां हमें मिली हैं. वे 3 प्रकार की है. मानव की आकृति, तलवारें और भाले हैं. इन ताम्र निधियों की प्योरिटी 98 प्रतिशत तक होती है.
यहां रहते थे गैरिक मृदभांग परपंरा के लोग
अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल बताते हैं कि, जहां तक संस्कृति की बात है. तो शुरूआत में थोड़ी सी दिकक्त थीं. इनको समझने और जानने में कि, वो कौन से लोग थे. जो ताम्र निधियां मिलीं. जो ज्यादातर चांस डिस्कवरी थीं. इसका संबंध गैरिक मृदभांड परंपरा के लोग थे. उनके ही साथ है. मैनपुरी की गांव गणेशपुरा की साइट से हमें गैरिक मृदभांड परंपरा के बर्तनों के टुकडें मिले हैं. जो इससे बिल्कुल स्पष्ट कर रहे हैं. हम बात करें कालखंड की तो जो अमूनम जिन-जिन स्थलों से पुरा निधियां मिली हैं. जो इनसे जुड़ी हुई पुरा निधियां हैं. उनकी कार्बन डेटिंग हुई है. उसके मुताबिक, 1800 वीसी से 1500 वीसी के बीच की है.
ऋषियों की तपोस्थली रही मैनपुरी
बता दें कि, मैनपुरी प्राचीन काल में मयन ऋषि, च्यवन ऋषि, मार्कंडेय ऋषि समेत अन्य की तपोस्थली रही है. मैनपुरी में नौवीं-दसवीं सदी के पुरावशेष पहले ही मिल चुके हैं. इसके साथ ही मैनपुरी से पहले इटावा जिले के सैफई में ताम्र निधि मिली थी. यह बात करीब 7 दशक पुरानी है. तब ताम्र निधि के रूप में एक तलवार मिली थी. तभी से ताम्र पाषाण युग में मैनपुरी के आबाद होने की संभावना प्रबल है.
यूं कर रही ताम्र निधियों का एएसआई परीक्षण
एएसआई के अधिकारियों और कर्मचारियों की टीमें मैनुपरी में मिली ताम्र निधियों का परीक्षण कर रही हैं. सबसे पहले ताम्र निधियों पर लगी मिट्टी हटाकर डाक्यूमेंटेशन किया जा रहा है. इसमें हर ताम्र निधि का वजन, लंबाई और मोटाई के साथ उसकी आकृति के आधार पर डॉक्यूमेंटेशन किया जा रहा है. इसके बाद एएसआइ की केमिकल ब्रांच में रासायनिक तरीके से ताम्र निधियों की सफाई करके जांच की जाएंगी. इसके बाद पुरातात्विक दृष्टिकोण से इनकी जांच की जाएगी.
अभी हमारी प्रारंभिक जांच हुई है. लैब में इनका अध्ययन किया जाएगा. यह ताम्र निधियां 3 तरह की है. कुछ घरेलू ताम्र निधियां, कुछ शिकार करने में उपयोग होने वाली ताम्र निधियां और मैनपुरी में जो ताम्र निधियां मिली हैं. मानव आकृति को छोड़ दें तो अधिकतर ताम्र निधियां हथियार हैं. जो युद्ध में उपयोग किए जाते होंगे.
अब तक सबसे ज्यादा एमपी में मिली ताम्र निधियां
देश में अभी तक तमाम जगह पर ताम्र निधियां मिली हैं, जिसमें सबसे अधिक ताम्र निधियां एमपी के गुगरिया में सबसे ज्यादा मिली हैं. यहां पर एक बार में 424 ताम्र निधियां मिली थीं. इसके साथ ही ताम्र निधियां हरियाणा की राखीगढी, यूपी के बागपत के सनौली, कानपुर और इटावा के सैफई में ताम्र निधियां मिल चुकी हैं.
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