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मैनपुरी: 1654 प्रवासी श्रमिक ट्रेन से बिहार के लिए रवाना

यूपी के मैनपुरी से सोमवार को 1654 प्रवासी श्रमिकों के ट्रेन से बिहार के लिए रवाना किया गया. ट्रेन में बैठने के बाद श्रमिकों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

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श्रमिक.
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Published : Jun 15, 2020, 9:57 PM IST

मैनपुरी: लॉकडाउन के चलते जिले मे ईंट-भट्ठे पर मजदूरी करने वाले श्रमिक फंस गए थे. ये श्रमिक अपने घर लौटना चाह रहे थे. काफी अंतराल के बाद सोमवार को मैनपुरी से ऐसे 1654 श्रमिकों को ट्रेन के माध्यम से बिहार के लिए रवाना किया गया. वहीं ट्रेन में बैठने के बाद श्रमिकों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

दरअसल यूपी के मैनपुरी जिले में ईंट-भट्ठे पर काम करने वाले मजदूर सर्वाधिक बिहार राज्य से आते हैं. परिवार सहित इन श्रमिकों को भट्ठे के मालिक बुलाते हैं. इन श्रमिकों के रहने-खाने की व्यवस्था की जिम्मेदारी इन्हीं भट्ठा मालिकों की होती है. कोरोना बंदी काल में ये श्रमिक जनपद में फंस गए. श्रमिकों के पास पैसा भी नहीं था. ये मजदूर वापस अपने घर जाना चाह रहे थे.

ईंट-भट्ठा मालिक भी श्रमिकों को घर भेजने के लिए प्रयासरत थे. सोमवार को स्थानीय प्रशासन ने भट्ठा संघ के लोगों से बात कर 1654 श्रमिकों को ट्रेन से बिहार के लिए रवाना किया. श्रमिकों के ट्रेन की टिकट की व्यवस्था भट्ठा मालिक ने की थी. श्रमिकों के खाने-पीने की व्यवस्था भी भट्ठा मालिकों ने की. जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने खुद ही इसकी मॉनिटरिंग की. साथ ही स्टेशन पर पहुंचकर प्रत्येक बोगी में बैठे हुए श्रमिकों का हालचाल जाना. श्रमिकों के लिए खाने से लेकर बिस्किट और पानी की व्यवस्था की गई. ट्रेन रवाना हुई तो अधिकारियों को श्रमिकों ने धन्यवाद किया. डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि शासन की मंशा थी कि इन श्रमिकों को बगैर किसी समस्या के सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया जाए. इसी के चलते श्रमिक ट्रेन से श्रमिकों को भेजा जा रहा है.

मैनपुरी: लॉकडाउन के चलते जिले मे ईंट-भट्ठे पर मजदूरी करने वाले श्रमिक फंस गए थे. ये श्रमिक अपने घर लौटना चाह रहे थे. काफी अंतराल के बाद सोमवार को मैनपुरी से ऐसे 1654 श्रमिकों को ट्रेन के माध्यम से बिहार के लिए रवाना किया गया. वहीं ट्रेन में बैठने के बाद श्रमिकों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

दरअसल यूपी के मैनपुरी जिले में ईंट-भट्ठे पर काम करने वाले मजदूर सर्वाधिक बिहार राज्य से आते हैं. परिवार सहित इन श्रमिकों को भट्ठे के मालिक बुलाते हैं. इन श्रमिकों के रहने-खाने की व्यवस्था की जिम्मेदारी इन्हीं भट्ठा मालिकों की होती है. कोरोना बंदी काल में ये श्रमिक जनपद में फंस गए. श्रमिकों के पास पैसा भी नहीं था. ये मजदूर वापस अपने घर जाना चाह रहे थे.

ईंट-भट्ठा मालिक भी श्रमिकों को घर भेजने के लिए प्रयासरत थे. सोमवार को स्थानीय प्रशासन ने भट्ठा संघ के लोगों से बात कर 1654 श्रमिकों को ट्रेन से बिहार के लिए रवाना किया. श्रमिकों के ट्रेन की टिकट की व्यवस्था भट्ठा मालिक ने की थी. श्रमिकों के खाने-पीने की व्यवस्था भी भट्ठा मालिकों ने की. जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने खुद ही इसकी मॉनिटरिंग की. साथ ही स्टेशन पर पहुंचकर प्रत्येक बोगी में बैठे हुए श्रमिकों का हालचाल जाना. श्रमिकों के लिए खाने से लेकर बिस्किट और पानी की व्यवस्था की गई. ट्रेन रवाना हुई तो अधिकारियों को श्रमिकों ने धन्यवाद किया. डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि शासन की मंशा थी कि इन श्रमिकों को बगैर किसी समस्या के सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया जाए. इसी के चलते श्रमिक ट्रेन से श्रमिकों को भेजा जा रहा है.

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