महोबा: पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग कर रहे बुंदेली समाज ने रविवार को काला दिवस मनाया. बुंदेली समाज के लोगों ने अम्बेडकर पार्क में बैठकर काले वस्त्र धारण कर अलग राज्य की मांग की. उन्होंने प्रधानमंत्री को संबोधित खून से खत लिखा. खत में लिखा गया कि मोदी जी ये बुन्देलों का लहू है, लाल स्याही न समझना... उमा बहन का वादा है बुन्देलखण्ड याद रखना... जय-जय बुन्देलखण्ड. बुंदेली समाज ने 1 नवंबर को काले दिवस के रूप में मनाकर केंद्र सरकार से दोबारा बुंदेलखंड राज्य बनाने की मांग की. महोबा के बुन्देली समाज ने पीएम मोदी से बुंदेलखंड राज्य बनाकर वर्षों पुरानी ऐतिहासिक भूल को सुधारने की अपील की है. बुंदेलों ने बताया कि आज ही के दिन बुंदेलखंड के दो टुकड़े कर उसके वजूद को खत्म किया गया था.
आज के ही दिन बुंदेलखंड के हुए थे दो टुकड़े
महोबा शहर के ऐतिहासिक आल्हा चौक पर स्थित अम्बेडकर पार्क में बुन्देली समाज के कई सदस्यों ने संयोजक तारा पाटकार के नेतृत्व में एकत्रित होकर पीएम मोदी को खून से खत लिखा. बुन्देली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने कहा कि 1947 में जब देश आजाद हुआ, तब बुंदेलखंड राज्य था और नौगांव इसकी राजधानी थी. चरखारी के कामता प्रसाद सक्सेना मुख्यमंत्री थे, लेकिन 22 मार्च, 1948 को बुंदेलखंड का नाम बदलकर विन्ध्य प्रदेश कर दिया गया और इसमें बुंदेलखंड को जोड़ दिया गया. 1 नवंबर, 1956 ही बुंदेलखंड के इतिहास का वह काला दिल है, जब बुंदेलखंड के दो टुकड़े कर उसे भारत के नक्शे से मिटा दिया गया था.
बुदेलखंड का आधा हिस्सा उत्तर प्रदेश और आधा हिस्सा मध्यप्रदेश में शामिल कर दिया गया था. तभी से बुंदेलखंड दो बड़े राज्यों के बीच पिस रहा है. तत्कालीन नेहरू सरकार ने प्रथम राज्य पुनर्गठन आयोग के सदस्य सरदार के एम पणिक्कर की बुंदेलखंड राज्य बनाए रखने की सिफारिश को दरकिनार करते हुए यह फैसला लिया था. आयोग ने 30 दिसंबर, 1955 को जो रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंपी थी. उसमें 16 राज्य और 3 केन्द्र शासित प्रदेश बनाने की सिफारिश की थी, जिसमें थोड़ा बदलाव करने के बाद नेहरू सरकार ने 14 राज्य और 5 केन्द्र शासित प्रदेश बना दिए थे.
पत्र में हमने लिखा है कि मोदी जी बुंदेलों का लहू है लाल स्याही न समझना. 5 साल पहले उमा भारती जी ने वादा किया था. 2014 के लोकसभा चुनाव के समय कहा था कि बुंदेलखंड राज्य 3 साल के अंदर बनाया जाएगा. अब समय 6 साल से ज्यादा हो गया है. उमा बहन का वादा है बुंदेलखंड याद रखना. मोदी जी जब तक हमारी बात नहीं सुनते हैं, तब तक खून से खत लिखते रहेंगे.
तारा पाटकर, संयोजक, बुंदेली समाज