महोबा: विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर महोबा जिले में पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर 635 दिनों तक बुंदेली समाज के लोग अनशन कर चुके हैं. बुंदेली समाज के लोग मध्य प्रदेश के छतरपुर जनपद स्थित बक्सवाहा जंगल को बचाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश सहित केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को एक बार फिर खून से खत लिखा है. खत के माध्यम से उन्होंने बक्सवाहा जंगल को बचाए जाने की मांग की है.
बुंदेली समाज के लोग शुक्रवार को महोबा मुख्यालय स्थित ऐतिहासिक आल्हा चौक के अंबेडकर पार्क में एकत्रित हुए. यहां उन्होंने खून से खत लिखकर जंगल को बचाए जाने की मांग की. इस दौरान बुंदेली समाज के संरक्षक तारा पाटकार ने कहा कि कोरोना महामारी में जिस तरह से ऑक्सीजन की कमी महसूस की गई, उसे देखते हुए अब हीरा खनन के लिए बक्सवाहा जंगल के 2.15 लाख पेड़ों को काटने की अनुमति देना सरकार का आत्मघाती कदम होगा. सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.
17वीं बार लिखा गया खत
तारा पाटकार ने कहा कि आज विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर 17वीं बार प्रधानमंत्री, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपने खून से खत लिखकर बुंदेलखंड के छतरपुर जनपद के बक्सवाहा जंगल को बचाने की मांग की गई. लेकिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जंगल को काटने की अनुमति दे दी है. जो केंद्र सरकार के यहां विचाराधीन है.
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'हीरा नहीं हरियाली चाहिए, बुंदेलखंड की खुशहाली चाहिए'
खत में लिखा गया है कि 'हीरा नहीं हरियाली चाहिए, बुंदेलखंड की खुशहाली चाहिए. क्योंकि यह पेड़ ही हम लोगों के लिए हीरा है. क्योंकि ये ऑक्सीजन प्लांट है.' उन्होंने कहा कि वेद पुराणों में लिखा गया है कि एक पेड़ 10 पुत्रों के समान होता है. वहां तो सवा दो लाख पेड़ों को काटे जाने का मतलब है कि 25 लाख लोगों की सामूहिक हत्या की तैयारी हो रही है. इसी को लेकर बुंदेली समाज के लोगों ने खून से खत लिखा है.