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लापरवाही किसकी? बगैर प्रशिक्षण के ही ऑक्सीजन प्लांट पर कर्मचारी तैनात - employees posted on oxygen not trained

सरकार कोविड-19 को लेकर मरीजों की मदद के लिए लाख दावे कर रही है. भविष्य में आने वाली कोरोना वायरस की लहर में बचाव के लिए शासन-प्रशासन कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. कई जिलों में ऑक्सीजन प्लांट भी लगवाए जा रहे हैं. महोबा जिले में जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र श्रीनगर में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं, मगर काम कर रहे इन कर्मचारियों को प्रशिक्षण नहीं दिया गया है. अब इसे अस्पताल प्रशासन की लापरवाही कहे या अनदेखी, क्योंकि अप्रशिक्षित कर्मचारी कहीं न कहीं जिले में बड़ी घटना का कारण भी बन सकते हैं.

लापरवाही या अनदेखी!
लापरवाही या अनदेखी!
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Published : Aug 28, 2021, 5:51 PM IST

महोबा: जिले में शासन द्वारा मरीजों के बेहतर इलाज के लिए कई सौगातें दी गई हैं. शासन के निर्देश पर महोबा जिले में तीन स्थानों पर ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं. ताकि भविष्य में आने वाली कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर में किसी भी मरीज की ऑक्सीजन की कमी से मौत न हो. लेकिन इन ऑक्सीजन प्लांट्स में तैनात किए गए कर्मचारी ऑक्सीजन प्लांट को चलाने के लिए प्रशिक्षित नहीं किए गए हैं. यह हम नहीं कह रहे बल्कि ऑक्सीजन प्लांट में काम कर रहे कर्मचारियों ने इस बात को स्वीकार किया है. अस्पताल प्रशासन की यह छोटी सी लापरवाही भविष्य में ऑक्सीजन प्लांट में बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है.

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की तीसरी लहर की तैयारी करते हुए जिला प्रशासन द्वारा महोबा के जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र श्रीनगर में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं, ऑक्सीजन प्लांट में कर्मचारियों को भी तैनात किया गया है, मगर काम कर रहे इन कर्मचारियों को प्रशिक्षण नहीं दिया गया है. ऐसे में कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है.

लापरवाही या अनदेखी!

अब इसे लापरवाही कहें या अनदेखी. वहीं, हद तो तब हो गई जब जिले के सीएमओ यह कहते नजर आए कि जिले में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट में लगाए गए कर्मचारी पूर्णतया प्रशिक्षित हैं. जबकि प्लांट में काम कर रहे कर्मचारी इस बात को बड़ी सहजता से स्वीकार कर रहे हैं कि उन्हें कहीं से भी ऑक्सीजन प्लांट चलाने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया है



यहां के कर्मचारी अभीष्ट नारायण ने बताया कि हमे इंजीनियर ने आकर यह बताया था कि प्लांट को कैसे बंद करते हैं और कैसे खोलते हैं. उन्होंने कहा कि हम वही कार्य कर रहे हैं. साथ ही सीएमएस साहब के आदेश पर इसके साथ ही हम अपना प्लंबर का काम भी करते हैं. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन प्लांट मे काम करने की कोई सुरक्षा किट भी नहीं दी गई है.

वहीं प्लांट में काम कर रहे किशोरी लाल ने बताया कि लखनऊ से इंजीनियर साहब आए थे उन्होंने हमे सिर्फ प्लांट को बंद करना और खोलने के बारे मे बताया है, जबकि हम जनरेटर ऑपरेटर के पद मे तैनात हैं.

इस मुद्दे पर जब CMO डॉ. मनोज कांत सिन्हा से बात की तो उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी महोबा के प्रयास से हमारे यहां तीन ऑक्सीजन प्लांट बनवाए गए हैं, जो जिला पुरुष अस्पताल, जिला महिला अस्पताल और श्रीनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में है. इनकी देख रेख के लिए सभी प्लांट मे तीन-तीन कर्मचारी तैनात किए गए हैं. यह सभी कर्मचारी स्टॉफ से ही लिए गए हैं. सभी प्लांट का प्रभारी हमारे कार्यालय मे तैनात चिकित्साधिकारी को बनाया गया है, जो समय-समय पर प्लांट मे जाकर चेक भी करते हैं.

महोबा: जिले में शासन द्वारा मरीजों के बेहतर इलाज के लिए कई सौगातें दी गई हैं. शासन के निर्देश पर महोबा जिले में तीन स्थानों पर ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं. ताकि भविष्य में आने वाली कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर में किसी भी मरीज की ऑक्सीजन की कमी से मौत न हो. लेकिन इन ऑक्सीजन प्लांट्स में तैनात किए गए कर्मचारी ऑक्सीजन प्लांट को चलाने के लिए प्रशिक्षित नहीं किए गए हैं. यह हम नहीं कह रहे बल्कि ऑक्सीजन प्लांट में काम कर रहे कर्मचारियों ने इस बात को स्वीकार किया है. अस्पताल प्रशासन की यह छोटी सी लापरवाही भविष्य में ऑक्सीजन प्लांट में बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है.

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की तीसरी लहर की तैयारी करते हुए जिला प्रशासन द्वारा महोबा के जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र श्रीनगर में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं, ऑक्सीजन प्लांट में कर्मचारियों को भी तैनात किया गया है, मगर काम कर रहे इन कर्मचारियों को प्रशिक्षण नहीं दिया गया है. ऐसे में कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है.

लापरवाही या अनदेखी!

अब इसे लापरवाही कहें या अनदेखी. वहीं, हद तो तब हो गई जब जिले के सीएमओ यह कहते नजर आए कि जिले में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट में लगाए गए कर्मचारी पूर्णतया प्रशिक्षित हैं. जबकि प्लांट में काम कर रहे कर्मचारी इस बात को बड़ी सहजता से स्वीकार कर रहे हैं कि उन्हें कहीं से भी ऑक्सीजन प्लांट चलाने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया है



यहां के कर्मचारी अभीष्ट नारायण ने बताया कि हमे इंजीनियर ने आकर यह बताया था कि प्लांट को कैसे बंद करते हैं और कैसे खोलते हैं. उन्होंने कहा कि हम वही कार्य कर रहे हैं. साथ ही सीएमएस साहब के आदेश पर इसके साथ ही हम अपना प्लंबर का काम भी करते हैं. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन प्लांट मे काम करने की कोई सुरक्षा किट भी नहीं दी गई है.

वहीं प्लांट में काम कर रहे किशोरी लाल ने बताया कि लखनऊ से इंजीनियर साहब आए थे उन्होंने हमे सिर्फ प्लांट को बंद करना और खोलने के बारे मे बताया है, जबकि हम जनरेटर ऑपरेटर के पद मे तैनात हैं.

इस मुद्दे पर जब CMO डॉ. मनोज कांत सिन्हा से बात की तो उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी महोबा के प्रयास से हमारे यहां तीन ऑक्सीजन प्लांट बनवाए गए हैं, जो जिला पुरुष अस्पताल, जिला महिला अस्पताल और श्रीनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में है. इनकी देख रेख के लिए सभी प्लांट मे तीन-तीन कर्मचारी तैनात किए गए हैं. यह सभी कर्मचारी स्टॉफ से ही लिए गए हैं. सभी प्लांट का प्रभारी हमारे कार्यालय मे तैनात चिकित्साधिकारी को बनाया गया है, जो समय-समय पर प्लांट मे जाकर चेक भी करते हैं.

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