महोबाः उत्तर प्रदेश महोबा जिले की सदर तहसील के करहरा कलां ग्राम पंचायत में डेढ़ दर्जन से ज्यादा सड़कों और आधा दर्जन नालों का निर्माण कराए बिना लाखों का भुगतान का आरोप ग्राम प्रधान पर लगाया है. ग्रामीणों ने मंगलवार को ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सचिव पर मिलीभगत कर विकास कार्यों का लाखों रुपये हड़पने का आरोप लगाया है. ग्रामीणों ने मामले की शिकायत जिलाधिकारी से की है. इसके साथ ही ग्रामीणों ने निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की भी मांग की है.
वहीं मामला खुलने के डर से आरोपी ग्राम प्रधान द्वारा आनन-फानन में गुणवत्ता विहीन सड़कों का निर्माण कराया जाना ग्रामीणों के आरोपों पर मुहर लगा रहा है. फिलहाल जिलाधिकारी ने मामले की जांच कराकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है. भुगतान कराने के सालों बीतने के बाद गांव के जागरूक ग्रामीणों ने भ्रष्टाचार का खुलासा कर ग्राम प्रधान पंचमलाल कुशवाहा और ग्राम पंचायत सहित पीडी पटेरिया पर 50 लाख सरकारी धन को ठिकाने लगाने का आरोप लगाया है.
ग्रामीणों द्वारा विकास कार्यों में धांधली की शिकायत जिलाधिकारी तक पहुंचते ही आरोपी ग्राम प्रधान पंचमलाल कुशवाहा द्वारा गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य करा बचने की कोशिशें शुरू कर दी है. फिलहाल पूरे मामले में जिलाधिकारी मनोज कुमार ने तल्ख तेवर दिखाते हुए मामले की जांच के लिए टीम गठित कर तीन दिनों में जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं.
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में भ्रष्टाचार की जड़ों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूपी में ही नहीं बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बने महोबा के व्यापारी इन्द्रकांत त्रिपाठी मामले में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पर भ्रष्टाचार के आरोप के बाद भी शासन निलंबन और मामले में आरोपी बनाए जाने की कार्रवाई के बाद भी जिले में तैनात अधिकारियों पर शासन का खौफ नजर नहीं आ रहा है.
गांव में कोई भी विकास कार्य बिना भ्रष्टाचार के नहीं हुआ है. हद तो तब हो गई जब गरीब पात्र ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास तक नहीं दिए गए. प्रधान व सचिव द्वारा लगातार योजना के लाभ पर पैसों की मांग की जा रही है. सड़क, नाली, मिड डे मील, विकास कार्य निर्माण में धांधली से ग्रामीण खासे परेशान हैं. कई बार अधिकारियों से शिकायत कर कार्रवाई की मांग कर चुके हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम प्रधान द्वारा दर्जन भर विकास कार्य के नाम पर पैसा बिना कार्य के निकाल लिया गया और अब अधिकारियों की निगाह पड़ते ही इसे दबाने का प्रयास हो रहा है. मार्ग निर्माण, इंटरलॉकिंग के काम कर रहे मिस्त्री भी बताते हैं कि काम मानक विहीन हो रहा है और बालू की जगह डस्ट और तीन नंबर के ईंटों को इस्तेमाल में लाया जा रहा है.
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