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बुंदेली समाज ने 15वीं बार प्रधानमंत्री को लिखे खून से खत, जानें क्यों - प्रधानमंत्री को खून से लिखा गया पत्र

महोबा में बुंदेली समाज के कई सदस्यों ने संयोजक तारा पाटकार के नेतृत्व में 9 मार्च को बुंदेलखंड दिवस के रूप में मनाया. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रिकार्ड 15वीं बार खून से खत लिखकर अलग बुंदेलखंड राज्य बनाने की मांग की.

स्वर्गीय शंकर लाल मेहरोत्रा की जयंती.
स्वर्गीय शंकर लाल मेहरोत्रा की जयंती.
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Published : Mar 9, 2021, 5:57 PM IST

महोबाः पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर महोबा जिले में मंगलवार को स्वर्गीय शंकर लाल मेहरोत्रा की जयंती के अवसर पर बुंदेली समाज ने बुन्देलखण्ड दिवस के रूप में मनाया. इस दौरान बुंदेली समाज के सदस्यों ने रिकार्ड 15वीं बार प्रधानमंत्री को खून से खत लिखकर पृथक बुन्देलखण्ड राज्य बनाने की मांग की.

महोबा जिला मुख्यालय के ऐतिहासिक आल्हा चौक चौराहे स्थित आंबेडकर पार्क में बुंदेली समाज के कई सदस्यों ने संयोजक तारा पाटकार के नेतृत्व में 9 मार्च के दिन बुंदेलखंड दिवस के रूप में मनाकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रिकार्ड 15वीं बार खून से खत लिखकर अलग बुंदेलखंड राज्य बनाने की मांग की. बुंदेलखंड को भले ही अब तक अलग राज्य का दर्जा न मिल पाया हो, लेकिन वह अपनी विशिष्ट भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासतों के लिए देश में अलग पहचान रखता है.

पिछले 65 सालों से दो बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच मे पिस रहे बुंदेलखंड को अपनी राजनैतिक पहचान दिलाने के लिए स्वर्गीय शंकर लाल मेहरोत्रा ने सबसे ज्यादा संघर्ष किया है. उन्होंने ने अलग राज्य आंदोलन को गति देने के लिए बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा नाम से एक संगठन भी बनाया. आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया था. इसलिए बुंदेली समाज ने उनके जन्म दिवस को बुंदेलखंड दिवस के रूप में मनाया है.

महोबाः पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर महोबा जिले में मंगलवार को स्वर्गीय शंकर लाल मेहरोत्रा की जयंती के अवसर पर बुंदेली समाज ने बुन्देलखण्ड दिवस के रूप में मनाया. इस दौरान बुंदेली समाज के सदस्यों ने रिकार्ड 15वीं बार प्रधानमंत्री को खून से खत लिखकर पृथक बुन्देलखण्ड राज्य बनाने की मांग की.

महोबा जिला मुख्यालय के ऐतिहासिक आल्हा चौक चौराहे स्थित आंबेडकर पार्क में बुंदेली समाज के कई सदस्यों ने संयोजक तारा पाटकार के नेतृत्व में 9 मार्च के दिन बुंदेलखंड दिवस के रूप में मनाकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रिकार्ड 15वीं बार खून से खत लिखकर अलग बुंदेलखंड राज्य बनाने की मांग की. बुंदेलखंड को भले ही अब तक अलग राज्य का दर्जा न मिल पाया हो, लेकिन वह अपनी विशिष्ट भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासतों के लिए देश में अलग पहचान रखता है.

पिछले 65 सालों से दो बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच मे पिस रहे बुंदेलखंड को अपनी राजनैतिक पहचान दिलाने के लिए स्वर्गीय शंकर लाल मेहरोत्रा ने सबसे ज्यादा संघर्ष किया है. उन्होंने ने अलग राज्य आंदोलन को गति देने के लिए बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा नाम से एक संगठन भी बनाया. आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया था. इसलिए बुंदेली समाज ने उनके जन्म दिवस को बुंदेलखंड दिवस के रूप में मनाया है.

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