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महराजगंज: ग्रामीणों ने चंदन नदी पर बना दिया उम्मीदों का पुल

उत्तर प्रदेश के महराजगंज में सरकार की तरफ से कोई मदद न मिलने पर लोगों ने चंदन नदी पर लकड़ी का अस्थायी पुल बना डाला. इस पुल के बन जाने से लोगों को काफी राहत मिली है. अब सरकार से इन गांव वालों को आस है कि सरकार यहां पक्का पुल बना डाले.

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नदी पर बनाया लकड़ी का अस्थायी पुल.
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Published : Nov 26, 2019, 9:28 AM IST

महराजगंज: जिले की निचलौल तहसील के बकुलडीहा गांव के लोगों ने संपर्क से कटे गांव के लोगों की राह आसान कर दी. उन्होंने वह काम पूरा कर दिखाया, जिसकी मांग वह बरसों से करते आ रहे थे. सरकार की तरफ कोई मदद न मिलने के बाद लोगों ने खुद पुल बनाने का बीड़ा उठाया और चंदन नदी पर पुल बना डाला.

ग्रामीणों ने चंदन नदी पर बना दिया उम्मीदों का पुल.

पुल न होने से परेशान ग्रामीण
नदी पर पुल न होने के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. लोगों को जिला मुख्यालय जाने के लिए भी 25 किलोमीटर चक्कर लगाना पड़ता था. यहां तक कि पुल न होने से कई मरीजों की जान भी खतरे में पड़ जाती थी, क्योंकि उन्हें जिला अस्पताल जाने के लिए कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी.

बच्चे जाते थे नाव पर सवार होकर पढ़ने
स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी खतरा मोल लेकर पढ़ने जाते थे. पुल न होने की वजह से उन्हें नाव पर सवार होकर अपने स्कूल जाना पड़ता था और बरसात में तो दिक्कतें और भी बढ़ जाती थी. इन्हीं सब कारणों की वजह से यहां लोगों को काफी परेशानियां होती थी.

गांव के लोगों ने बना डाला लकड़ी का पुल
ग्रामीणों ने पुल बनाने को लेकर कई अधिकारियों और नेताओं से बात की. अधिकारियों से इन्हें तारीखों और आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिलता था. बात करें नेताओं की तो नेता वोट मांगने के समय आकर कई वादे कर के जाते तो थे, मगर वोट मिल जाने के बाद ऐसे गायब होते थे जैसे बरमूडा ट्रायंगल से जहाज. सरकार की अनदेखी से परेशान होकर लोगों ने खुद पुल बनाने का फैसला लिया और लकड़ी और बांस बल्ली का अस्थायी पुल बना डाला.

इसे भी पढ़ें- संतकबीर नगर: खतरे में ऐतिहासिक किला, अस्तित्व से मिटता ऐतिहासिक सुरंग

सरकार से है पक्के पुल बनाने की आस

ग्रामीणों को पहले नौतनवा ठूठीबारी तक जाने के लिए 80 किलोमीटर चलना पड़ता था. अब पुल बन जाने के बाद यह दूरी 25 किलोमीटर कम हो गई है. ग्रामीणों के इस पुल की सभी लोग सराहना कर रहे हैं. हालांकि ग्रामीण अभी भी पक्के पुल की मांग कर रहे हैं.

महराजगंज: जिले की निचलौल तहसील के बकुलडीहा गांव के लोगों ने संपर्क से कटे गांव के लोगों की राह आसान कर दी. उन्होंने वह काम पूरा कर दिखाया, जिसकी मांग वह बरसों से करते आ रहे थे. सरकार की तरफ कोई मदद न मिलने के बाद लोगों ने खुद पुल बनाने का बीड़ा उठाया और चंदन नदी पर पुल बना डाला.

ग्रामीणों ने चंदन नदी पर बना दिया उम्मीदों का पुल.

पुल न होने से परेशान ग्रामीण
नदी पर पुल न होने के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. लोगों को जिला मुख्यालय जाने के लिए भी 25 किलोमीटर चक्कर लगाना पड़ता था. यहां तक कि पुल न होने से कई मरीजों की जान भी खतरे में पड़ जाती थी, क्योंकि उन्हें जिला अस्पताल जाने के लिए कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी.

बच्चे जाते थे नाव पर सवार होकर पढ़ने
स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी खतरा मोल लेकर पढ़ने जाते थे. पुल न होने की वजह से उन्हें नाव पर सवार होकर अपने स्कूल जाना पड़ता था और बरसात में तो दिक्कतें और भी बढ़ जाती थी. इन्हीं सब कारणों की वजह से यहां लोगों को काफी परेशानियां होती थी.

गांव के लोगों ने बना डाला लकड़ी का पुल
ग्रामीणों ने पुल बनाने को लेकर कई अधिकारियों और नेताओं से बात की. अधिकारियों से इन्हें तारीखों और आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिलता था. बात करें नेताओं की तो नेता वोट मांगने के समय आकर कई वादे कर के जाते तो थे, मगर वोट मिल जाने के बाद ऐसे गायब होते थे जैसे बरमूडा ट्रायंगल से जहाज. सरकार की अनदेखी से परेशान होकर लोगों ने खुद पुल बनाने का फैसला लिया और लकड़ी और बांस बल्ली का अस्थायी पुल बना डाला.

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सरकार से है पक्के पुल बनाने की आस

ग्रामीणों को पहले नौतनवा ठूठीबारी तक जाने के लिए 80 किलोमीटर चलना पड़ता था. अब पुल बन जाने के बाद यह दूरी 25 किलोमीटर कम हो गई है. ग्रामीणों के इस पुल की सभी लोग सराहना कर रहे हैं. हालांकि ग्रामीण अभी भी पक्के पुल की मांग कर रहे हैं.

Intro:जब गुहार लगाकर थक गए तमाम मन्नतो से भी बात नहीं बनी तो लोगों ने अपने बाहुबल पर भरोसा जताया और बना लिया आपने उम्मीदों का पुल। उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के निचलौल तहसील के बकुलडीहा गांव के ग्रामीणों ने चंदन नदी पर पक्के पुल निर्माण के लिए नेताओं और अधिकारियों से कई बार मुलाकात कर मदद की अपील की लेकिन जब कोई नतीजा नहीं निकला तो जल सत्याग्रह तक कर दिया लेकिन प्रशासन से केवल IIIIIIतारीख पर तारीख ही मिलता रहा जिसके बाद ग्रामीणों ने खुद चंदन नदी पर लकड़ी व बांस बल्ली का पुल बना लिया अब इस पुल का फायदा दर्जनों गांव के लोगों को मिल रहा है और जिला मुख्यालय जाने के लिए कई किलोमीटर लंबा चक्कर काटने से भी छुटकारा मिल रहा है वहीं ग्रामीणों द्वारा बनाए गए इस पुल का अधिकारियों और लोगों द्वारा प्रशंसा भी किया जा रहा है वहीं अब ग्रामीणों का योगी सरकार से यही मांग है कि पक्का पुल का निर्माण हो जाए जिससे उनकी समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाए।


Body:महाराजगंज जिले के निचलौल तहसील के बकुलडीहा गांव के लोगों ने संपर्क से कटे करीब दर्जन भर गांव के लोगों की राह आसान कर दी वह काम पूरा कर दिखाया जिसकी मांग व आजादी के बाद से करते आ रहे थे जब मांग प्रदर्शन जल सत्याग्रह आदि के बाद भी उनकी आवाज अनसुनी रही तो ग्रामीणों ने खुद बीड़ा उठाया और बांस बल्ली के सहारे चंदन नदी पर अस्थाई पुल बना दिया इस तरह नौतनवा ठूठीबारी आने जाने के लिए 25 किलोमीटर का चक्कर लगाने से लोगों को राहत मिल गई वही बिना किसी सरकारी मदद से पुल बनाकर दूसरे के लिए एक मिसाल पेश किया है देश आजाद होने के बाद इन गांव में विकास तो हुआ लेकिन लगभग 2500 अबादी के लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत तब होती थी जब किसी की मरीज की तबीयत खराब होती थी और जिला मुख्यालय व जिला अस्पताल जाने के लिए इन लोगों को कई किलोमीटर घूमकर जाना पड़ता था जिससे मरीजों की जान चली गई थी नदी पर पुल न होने के कारण लोगों को तमाम जरूरतों के लिए लंबा चक्कर काटना पड़ता था बच्चों को अच्छे स्कूल में भेजने की ख्वाहिश भी पूरी नहीं हो पाती थी चुनाव में नेता आते थे और वोट लेने के लिए झूठा आश्वासन देकर वोट लेकर चले जाते थे और फिर वापस नहीं आते थे जिसके बाद गांव के ग्रामीणों ने आपस में बैठक कर चंदा जुटाया और बना दिया प्यास नदी पर अपनी उम्मीदों का पुल आज इस पुल के बन जाने पर आए दिन जहां लोगों को कई किलोमीटर जाना नहीं पड़ रहा है और लोगों की जरूरतमंद समान आसानी से पूरा हो जारहा है। पक्के पुल को लेकर ग्रामीणों की मांग हालांकि अब भी जारी है।


Conclusion:आज चंदन नदी पर लकड़ी का पुल बन जाने से जहां सभी ग्रामीणों को फायदा हो रहा है वही सबसे ज्यादा खुश छोटे छोटे स्कूली बच्चो के जो जान जोखिम में उठाकर रोज पढ़ने जाते थे बरसात में तो काफी दिक्कतों का सामना कर पढ़ाई करने जाते थे आज बांस बल्ली के पुल बन जाने से इनके चेहरे पर मुस्कान देखी जा सकती हैं ग्रामीणों का कहना है कि पुल होने से बीमार लोगों को काफी दिक्कत होती थी वही नई नवेली दुल्हन भी इन गांवों में काफी घूमकर आती थी लेकिन बांस का पुल बन जाने से इसी पुल से दुल्हन आरही हैं आज दूल्हा भी इसी पुल से शादी करने के लिए जा रहे हैं और उनके चेहरे पर खुशी साफ दिख रही है कि वह अपनी दुल्हन भी इसी पुल से ले आएंगे इन ग्रामीणों का अब सरकार से यही आशा है कि योगी सरकार इस लकड़ी के पुल को पक्का पुल बनवा दे जिससे बरसात में जब काठ का पुल बह जाएगा तो एक बार फिर नाव से उसे जान जोखिम उठाकर आना पड़ेगा।
बकुलडीहा गांव के लोगों ने चंदन नदी पर लकड़ी और बांस बल्ली से पुल बनाकर आज दूसरों के लिए एक मिसाल कायम किए हैं इन लोगों को ना ही किसी जनप्रतिनिधियों की मदद मिली और ना ही किसी अधिकारियों का लेकिन ग्रामीणों ने आज अपने बलबूते बना लिया अपनी उम्मीदों का पुल ग्रामीणों की इस पहल की सराहना अब खुद डीएम कर रहे हैं उनका कहना है कि लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए खुद जागरूक हो गए हैं इससे लगता है कि हम विकास की ओर बढ़ रहे हैं उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन भी दिया है कि जल्द ही चंदन नदी पर पुल निर्माण के लिए शासन में प्रस्ताव भेजेंगे।


बाइट। राजू गुप्ता ग्रामीण
बाइट। रामकृपाल यादव ग्रामीण
बाइट। डॉ उज्ज्वल कुमार जिलाधिकारी
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