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मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वनटांगिया गांव का अंधेरा नहीं दूर कर सके योगी आदित्यनाथ - up news

महराजगंज जिले के सोहगीबरवां वन्य रेंज के जंगलों में रह रहे वनटंगिया समुदाय के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं की राह देख रहे हैं. यहां के लोगों को अभी तक बिजली, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं नहीं मिल सकी हैं.

मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन-यापन कर रहे वनटांगिया समुदाय के लोग.
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Published : May 15, 2019, 3:26 PM IST

महराजगंज: देश में 17वीं लोकसभा का चुनाव अपने आखिरी पड़ाव पर है. महराजगंज में सातवें चरण में मतदान होने जा रहा है. वहीं इस चुनावी मौसम में जिले के वनटांगिया गांव के लोग आज भी विकास की राह देख रहे हैं. आलम यह है कि विकास यहां फाइलों के बीच दबकर रह जाता है.

मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन-यापन कर रहे वनटांगिया समुदाय के लोग.

क्या है वनटांगिया समुदाय के लोगों की समस्याएं

  • वनटांगिया समुदाय जिले के सोहगीबरवां वन्य जीव रेंज के जंगलों में जीवन-यापन करता है.
  • इस समुदाय के लोगों को अभी तक बिजली, सड़क, स्कूल और अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाएं भी प्राप्त नहीं हो सकी हैं.
  • मोदी सरकार के गांव-गांव में बिजली पहुंचाने के दावे के बाद भी ये लोग ढिबरी और लालटेन का ही सहारा ले रहे हैं.
  • योगी सरकार में वनटांगियां समुदाय के गांवों को साल 2017 में राजस्व गांव का तोहफा तो मिला, लेकिन अभी तक विकास की जोर-आजमाइश बाकी है.

महराजगंज: देश में 17वीं लोकसभा का चुनाव अपने आखिरी पड़ाव पर है. महराजगंज में सातवें चरण में मतदान होने जा रहा है. वहीं इस चुनावी मौसम में जिले के वनटांगिया गांव के लोग आज भी विकास की राह देख रहे हैं. आलम यह है कि विकास यहां फाइलों के बीच दबकर रह जाता है.

मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन-यापन कर रहे वनटांगिया समुदाय के लोग.

क्या है वनटांगिया समुदाय के लोगों की समस्याएं

  • वनटांगिया समुदाय जिले के सोहगीबरवां वन्य जीव रेंज के जंगलों में जीवन-यापन करता है.
  • इस समुदाय के लोगों को अभी तक बिजली, सड़क, स्कूल और अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाएं भी प्राप्त नहीं हो सकी हैं.
  • मोदी सरकार के गांव-गांव में बिजली पहुंचाने के दावे के बाद भी ये लोग ढिबरी और लालटेन का ही सहारा ले रहे हैं.
  • योगी सरकार में वनटांगियां समुदाय के गांवों को साल 2017 में राजस्व गांव का तोहफा तो मिला, लेकिन अभी तक विकास की जोर-आजमाइश बाकी है.
Intro:महराजगंज: गांव का जिक्र होते ही दिमाग में पिछड़ेपन का चित्र उभर कर सामने आ जाता है. जब हम एक गांव को शहर के सामने खड़ा करते हैं भारत बनाम इंडिया जितना अंतर पाते हैं. देश में 17वीं लोकसभा का चुनाव अपने आखिरी जाने की सातवें चरण में पहुंच चुका है. इस चुनावी मौसम में सबसे ज्यादा गांव और गरीबी के मसले पर बात हो रही है. मसलन यह सवाल लाजिमी है कि, विकास आखिरकार फाइलों का गुलाम बन कर क्यों रह जाता है. हर चुनाव में राजनैतिक पार्टियां गांव को शहर जितना सुंदर और गरीबों को अमीरों जैसी सुविधा का सपना दिखाकर भोली-भाली जनता को अपने जाल में फांस ले जाते हैं. ऐसे में जब राजनैतिक पार्टीयां लॉलीपॉप दिखाकर जनता को ठग रही तो सच से वाकिफ कराने के लिए ईटीवी भारत ने महराजगंज के गांवों की ओर रुख किया. ईटीवी भारत के इस जमीनी परीक्षण में गांवों कुछ चौंकाने वालीं बातें भी निकल कर सामने आईं.


Body:महाराजगंज में वनटांगियां को पूछना जरूरी है: वनटांगियां, सुनने में अजीब और नया सा लगता है, लेकिन ये भी हिंदुस्तानी वशिंदे है ना कि मंगल ग्रह के प्राणी. वनटांगियां समुदाय की सबसे बड़ी खूबी है कि यह समुदाय पेड़ के पोषक और जंगलों का सृजन करता है. महराजगंज जिले के सोहगीबरवां वन्य जीव रेंज के घने जंगलों में निवास करने वाले वनटांगियां समुदाय के लोगों को न्यू इंडिया के जमाने में भी बिजली-सड़क-स्कूल-अस्पताल मयस्सर नहीं हैं. देश की मोदी सरकार के 18000 गांव में बिजली पहुंचाने के दावे के बाद भी इन गांवों में उजियारे के लिए ढिबरी और लालटेन की ओर देखना पड़ता है. आजादी के इतने सालों बाद भी वनटांगिया समुदाय के 18 गांव के तकरीबन 2500 लोगों के दूभर-जीवन की कहानी सिर्फ कहानी भर नहीं बल्कि हैरानी भरी हकीकत है. गांव के लिए कहा जाता है.. बंद कमरों में कहां वो सदायें होगीं। यह मेरे गांव के बरगद की हवायें होगीं।।


Conclusion:सूबे में योगी सरकार बनने के बाद इन वनटांगियां गांवों को साल 2017 में राजस्व गांव का तोहफा तो जरूर मिल गया लेकिन अभी विकास की जोर-आजमाइश बाकी हीं है. ऐसे चुनावी मौसम में महराजगंज के सांसद का रिपोर्ट कार्ड भी खंगालना था तो ईटीवी भारत की टीम ने वह भी खंगाला तो पता चला कि सांसद महोदय सिर्फ और सिर्फ भाजपा के नाम का फायदा भुनाकर पांच दफा संसद पहुंचे पर अपने वादों पर कभी खरे नहीं ऊतरे.
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