महराजगंज: उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के ग्राम पंचायत पनियरा को नगर पंचायत बनने का जैसे ही सौभाग्य प्राप्त हुआ तो लोगों में विकास की उम्मीद जगी. वहीं वैश्विक महामारी कोरोना के कारण विकास कार्यों पर ग्रहण लग गया और मनरेगा मजदूरों की रोजी-रोटी चली गई. जिले में लगभग एक लाख मनरेगा मजदूरों को इस लाॅकडाउन में जीविकोपार्जन के लिए रोजगार मिला हुआ है. वहीं ग्राम पंचायत से नगर पंचायत बने पनियरा के 1500 मनरेगा के मजदूर रोजगार के लिए तरस रहे हैं और दर-दर भटकने को मजबूर हैं.
लाॅकडाउन से लोगों का काम धंधा बन्द हो गया है और लोग लगातार अपने घर लौट रहे हैं. इन्हें जीविकोपार्जन के लिए सरकार मनरेगा के माध्यम से रोजगार उपलब्ध करा रही है. वहीं ग्राम पंचायत बड़वार, बसडीली, और पनियरा को सम्मिलित कर नगर पंचायत बनाए जाने के बाद से मनरेगा मजदूरों की रोजी-रोटी चली गई है. गांव के सारे विकास कार्य ठप हो गए हैं.
मनरेगा मजदूरों ने बताया कि जब से उनका गांव ग्राम पंचायत से नगर पंचायत में सम्मिलित हुआ तब से उन्हें जीविकोपार्जन के लिए कोई रोजगार नहीं मिला और न ही उनके गांव में मनरेगा से कोई कार्य कराया गया. इससे उन्हें अब अपने परिवार का भरण-पोषण करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. मनरेगा मजदूरों ने बताया कि इस समय लाॅकडाउन से उनकी स्थिति और दयनीय हो गई है. बड़ी मुश्किल से उनके घरों में एक वक्त का चूल्हा जल रहा है.
मनरेगा मजदूरों ने कहा कि एक तरफ सरकार सभी को रोजगार उपलब्ध कराने का दावा कर रही है. वहीं वे लोग ग्राम पंचायत से नगर पंचायत होने का दंश झेल रहे हैं. इस लाॅकडाउन के दौरान आज तक न तो नगर पंचायत से कोई रोजगार मिला और न ही ग्राम पंचायत से. ऐसे में परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा यह चिंता का विषय बना हुआ है.
इस समबन्ध में पूछे जाने पर पर मुख्य विकास अधिकारी पवन अग्रवाल ने बताया कि जिन मनरेगा मजदूरों को रोजगार नहीं मिला है, उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए आदेश दे दिया गया. शीघ्र उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा.