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महराजगंज: जर्जर बांध कैसे रोकेंगे बाढ़ का कहर, ग्रामीणों में दहशत - महराजगंज जिलाधिकारी

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में जर्जर बांध को लेकर ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. रेन कट और रैट होल से जगह-जगह जिले के लगभग सभी बांध जर्जर हो चुके हैं.

जर्जर बांध
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Published : May 18, 2020, 3:58 PM IST

महराजगंज: जिले में बाढ़ की तबाही से बचने के लिए ग्रामीण अभी से ही बांध पर आशियाना बनाने लगे हैं. साल 2002 में आई बाढ़ से बांध के समीप बसे गांव उजड़ गए और लोग बेघर हो गए थे. वहीं 2007 में रोहिन नदी अपने उफान से तबाही मचाई तो बाढ़ से निकलते वक्त खरखपुरा में नाव पलटने से 27 लोगों की मौत हो गई थी. इस तबाही का मंजर देख चुके लोग आज भी सहम उठते हैं.

देखें रिपोर्ट.

जिले में जर्जर बांध को लेकर लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है. वहीं रेन कट और रैट होल से जगह-जगह जर्जर हो चुके बांध पर समय रहते मरम्मत का कार्य न होने से दहशतजदा ग्रामीण अभी से बांध पर आशियाना बनाने लगे हैं. वर्ष 2002 में आई बाढ़ से बांध के आस-पास बसे गांव जहां उजड़ गए और लोग बेघर हो गए.

विभिन्न बांधों के आसपास बसे ग्रामीणों का कहना है कि रेन कट और रैट होल से जर्जर बांधों का वर्षों से मरम्मत न होने के कारण हल्की बारिश होने पर भी बांध कटना शुरू हो जाते हैं. जिसे लेकर ग्रामीण पुरानी घटनाओं को याद कर खौफ के साए में जीने के लिए मजबूर हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी घटना का इंतजार कर रहे हैं.

जिले में विभिन्न नदियों का कुल 21 तटबंध हैं, जिसमें महराजगंज बड़ी गंडक 2.500 किमी., महराजगंज बी-गैप बड़ी गंडक 7.320 किमी., महराजगंज लिंक बांध बड़ी गंडक 2.520 किमी, महाराजगंज नेपाल बांध बड़ी गंडक 11.760 किमी, महराजगंज नारायणी छितौनी बांध बड़ी गंडक 12.800 किमी, महराजगंज वसूली गाइड बड़ी गंडक 19.500 किमी, महराजगंज बंदेहिया घोघी 1.500 किलोमीटर, महराजगंज लेहड़ा जमीदारी घोघी 15.650 किलोमीटर, महराजगंज नगवा जमीदारी घोघी 12.400 किलोमीटर.

ये भी पढ़ें- सीएम योगी ने बुलाई मंत्रियों की बैठक, लॉकडाउन-4 में छूट पर होगा विचार

महराजगंज बंलसर रिंगौली घोघी 10.600 किलोमीटर, महराजगंज जर्दी डोमरा रोहिन 21.700 किलोमीटर, महराजगंज बनरहा विस्तार रोहिन 0.500 किमी, महराजगंज अमहवा रिंग बाद रोहिन नदी 3.000 किलोमीटर, महराजगंज लक्ष्मीपुर रिंग बांध रोहिणी नदी 0.800 किमी, महराजगंज डोमरा रिंग बांध रोहिणी नदी 3.700 किलोमीटर, महराजगंज झांवा कोर्ट बांध रोहिन नदी 3.100, किलोमीटर, महाराजगंज चेहरी बांध रोहिन नदी 7.000 किमी, महाराजगंज अनंतपुर बड़हरा बांध रोहिन नदी 7.160 किमी, महराजगंज भगवानपुर बांध रोहिन 5.000 किमी, महराजगंज रामनगर ठूठीबारी बांध रोहिन 16.000 किमी, महराजगंज टेढ़वा बांध रोहिन 3.800 किमी है.

इस तरह से जिले में तट बांध की लम्बाई कुल 168.310 किमी है, जिसमें अधिकांश बांध जर्जर हो गए हैं. मरम्मत के नाम पर यहां हर साल करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हैं. इसके बावजूद बांध जगह-जगह रेन कट और रैट होल जर्जर हो गए हैं. इन बांधों में कुछ ऐसे बांध हैं, जहां जिले के जिम्मेदार अधिकारी देखने तक नहीं जाते हैं. ऐसे में उन बांधों को राम भरोसे छोड़ दिया गया है.

इन बांधों के आसपास बसे लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है. इन बांधों के कटने का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि कुछ लोगों के द्वारा नदी से सटे खेतों में कृषि कार्य किया जाता और उसके लिए लोगों के द्वारा जगह-जगह बांध तोड़कर रास्ते बना दिए जाते हैं, जो धीरे-धीरे बांध पुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाता है.

रोहिन नदी के जर्दी डोमरा तट बांध पर बसे जंगल जरलहा उर्फ सूचितपूर बघौना, जर्दी , बड़हारालाला, लक्ष्मीपुर रानीपुर, औरहियां, डोमरा, हरखपूरा, गांव के लोगों बताया की जर्जर बांध को लेकर हमेशा डर बना रहता है. बंधे की मरम्मत के नाम पर यहां कागजी खानापूर्ति कर बाढ़ समाप्त होते ही उनके कार्यदायी संस्थाओं के फर्म पर भुगतान का खेल शुरू हो जाता है. जहां काम नहीं हुआ रहता है, उस स्थान के नाम पर भुगतान कर दिया जाता है.

महराजगंज: जिले में बाढ़ की तबाही से बचने के लिए ग्रामीण अभी से ही बांध पर आशियाना बनाने लगे हैं. साल 2002 में आई बाढ़ से बांध के समीप बसे गांव उजड़ गए और लोग बेघर हो गए थे. वहीं 2007 में रोहिन नदी अपने उफान से तबाही मचाई तो बाढ़ से निकलते वक्त खरखपुरा में नाव पलटने से 27 लोगों की मौत हो गई थी. इस तबाही का मंजर देख चुके लोग आज भी सहम उठते हैं.

देखें रिपोर्ट.

जिले में जर्जर बांध को लेकर लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है. वहीं रेन कट और रैट होल से जगह-जगह जर्जर हो चुके बांध पर समय रहते मरम्मत का कार्य न होने से दहशतजदा ग्रामीण अभी से बांध पर आशियाना बनाने लगे हैं. वर्ष 2002 में आई बाढ़ से बांध के आस-पास बसे गांव जहां उजड़ गए और लोग बेघर हो गए.

विभिन्न बांधों के आसपास बसे ग्रामीणों का कहना है कि रेन कट और रैट होल से जर्जर बांधों का वर्षों से मरम्मत न होने के कारण हल्की बारिश होने पर भी बांध कटना शुरू हो जाते हैं. जिसे लेकर ग्रामीण पुरानी घटनाओं को याद कर खौफ के साए में जीने के लिए मजबूर हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी घटना का इंतजार कर रहे हैं.

जिले में विभिन्न नदियों का कुल 21 तटबंध हैं, जिसमें महराजगंज बड़ी गंडक 2.500 किमी., महराजगंज बी-गैप बड़ी गंडक 7.320 किमी., महराजगंज लिंक बांध बड़ी गंडक 2.520 किमी, महाराजगंज नेपाल बांध बड़ी गंडक 11.760 किमी, महराजगंज नारायणी छितौनी बांध बड़ी गंडक 12.800 किमी, महराजगंज वसूली गाइड बड़ी गंडक 19.500 किमी, महराजगंज बंदेहिया घोघी 1.500 किलोमीटर, महराजगंज लेहड़ा जमीदारी घोघी 15.650 किलोमीटर, महराजगंज नगवा जमीदारी घोघी 12.400 किलोमीटर.

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महराजगंज बंलसर रिंगौली घोघी 10.600 किलोमीटर, महराजगंज जर्दी डोमरा रोहिन 21.700 किलोमीटर, महराजगंज बनरहा विस्तार रोहिन 0.500 किमी, महराजगंज अमहवा रिंग बाद रोहिन नदी 3.000 किलोमीटर, महराजगंज लक्ष्मीपुर रिंग बांध रोहिणी नदी 0.800 किमी, महराजगंज डोमरा रिंग बांध रोहिणी नदी 3.700 किलोमीटर, महराजगंज झांवा कोर्ट बांध रोहिन नदी 3.100, किलोमीटर, महाराजगंज चेहरी बांध रोहिन नदी 7.000 किमी, महाराजगंज अनंतपुर बड़हरा बांध रोहिन नदी 7.160 किमी, महराजगंज भगवानपुर बांध रोहिन 5.000 किमी, महराजगंज रामनगर ठूठीबारी बांध रोहिन 16.000 किमी, महराजगंज टेढ़वा बांध रोहिन 3.800 किमी है.

इस तरह से जिले में तट बांध की लम्बाई कुल 168.310 किमी है, जिसमें अधिकांश बांध जर्जर हो गए हैं. मरम्मत के नाम पर यहां हर साल करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हैं. इसके बावजूद बांध जगह-जगह रेन कट और रैट होल जर्जर हो गए हैं. इन बांधों में कुछ ऐसे बांध हैं, जहां जिले के जिम्मेदार अधिकारी देखने तक नहीं जाते हैं. ऐसे में उन बांधों को राम भरोसे छोड़ दिया गया है.

इन बांधों के आसपास बसे लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है. इन बांधों के कटने का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि कुछ लोगों के द्वारा नदी से सटे खेतों में कृषि कार्य किया जाता और उसके लिए लोगों के द्वारा जगह-जगह बांध तोड़कर रास्ते बना दिए जाते हैं, जो धीरे-धीरे बांध पुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाता है.

रोहिन नदी के जर्दी डोमरा तट बांध पर बसे जंगल जरलहा उर्फ सूचितपूर बघौना, जर्दी , बड़हारालाला, लक्ष्मीपुर रानीपुर, औरहियां, डोमरा, हरखपूरा, गांव के लोगों बताया की जर्जर बांध को लेकर हमेशा डर बना रहता है. बंधे की मरम्मत के नाम पर यहां कागजी खानापूर्ति कर बाढ़ समाप्त होते ही उनके कार्यदायी संस्थाओं के फर्म पर भुगतान का खेल शुरू हो जाता है. जहां काम नहीं हुआ रहता है, उस स्थान के नाम पर भुगतान कर दिया जाता है.

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