लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 'योजनाओं के केवल होने से ही काम नहीं चलता. शासन और प्रशासन में बैठे अधिकारियों को प्रेरक के तौर पर इन योजनाओं का लाभ आम आदमी को देना पड़ेगा. उन्होंने गोरखपुर में दिमागी बुखार के प्रकोप को लेकर उदाहरण दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 में जब उनकी सरकार आई तो उससे पहले 40 साल में करीब 50 हजार बच्चों की मौत गोरखपुर में दिमागी बुखार से हो चुकी थी, लेकिन हमने जमीन पर न उतरने वाली योजनाओं पर काम करना शुरू किया. इस वर्ष दिमागी बुखार से गोरखपुर में केवल चार मरीज सामने आए, जिनमें से दो की मौत हुई और उनमें से एक बिहार का रहने वाला बच्चा था. इस तरह से देखा जा सकता है कि मिलकर जमीनी स्तर पर किए गए प्रयास कैसे हालात को बदल सकते हैं.'
लोकभवन में शुक्रवार को मुख्यमंत्री फेलोशिप कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान 100 आकांक्षात्मक विकासखंडों में कार्यरत शोधार्थियों से संवाद किया गया. इसके अलावा वार्षिक प्रतिवेदन-2022-23 आकांक्षात्मक विकासखंडों की प्रगति पुस्तिका का विमोचन किया गया. उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले आकांक्षात्मक विकासखंडों को प्रोत्साहन राशि का वितरण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया. इस मौके पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र भी मौजूद रहे.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि 'हम प्रेरक के तौर पर काम करें. सरकार की योजनाओं से सबको जोड़ना है. हमने दिमागी बुखार की मौतों को बहुत कम कर दिया. हमने जमीन पर योजनाओं को उतारा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत के विकास की धुरी गांव है. नीति आयोग के सर्वे में यूपी के आठ जनपद खासे पिछड़े हुए थे. देश के सबसे पिछड़े जिले थे. शिक्षा, स्वास्थ्य, क़ृषि जल संसाधन, इंफ्रास्ट्रक्चर, आर्थिक आधार पर ये पीछे थे. उन्होंने बताया कि इसके बाद एक टीम वर्क से काम किया गया. मानव संसाधन की व्यवस्था की गई. फिर काम औऱ मॉनिटरिंग की गई. अब ऐसे जिलों की सुधार संबंधित रैकिंग की टॉप 10 में यूपी के पांच औऱ टॉप 20 में सभी जनपद शामिल हुए. फिर हमने 100 विकास खंड पर नीति आयोग से मिलकर काम शुरू किया गया है. हम रीयल टाइम डेटा अपडेट कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा कि 'काम करने के लिए अलग से कोई फंड नहीं देना है. स्कूल चलो अभियान चला रहे हैं. स्कूल चलो अभियान के तहत क्या काम हुए उसके लिए बैठक हुई. भोजन से लेकर सब कुछ फ्री है. स्कूल की हालात कैसी है. पुराने विद्यार्थियों से बात कीजिये. ऑपरेशन कायाकल्प को लागू किया जाए. जिन बच्चों का स्कूल में मन नहीं लग रहा है उनका मन लगाना है. खासतौर पर बालिकाएं स्कूल छोड़ रही हैं. मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की जानकारी दी जाए. ऐसे ही स्वास्थ्य में काम किया जाए. संचारी रोग के अभियान से जुड़िये. गांव की साफ सफाई करवाएं. लोगों को जागरूक किया जाए.'