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टूटी सड़कें, पेयजल संकटः लोगों को नहीं मिल रहीं मूलभूत सुविधाएं

उत्तर प्रदेश के जिले महाराजगंज में नगर पालिका परिषद के गठन को 30 साल हो गए मगर यहां के चिउरहां वार्ड में विकास कार्य कहीं दिखाई नहीं देते. स्थानीय लोगों का आरोप है कि सड़कें टूटी हुई हैं. बिजली के पोल तमाम स्थानों पर नहीं हैं और पेयजल भी सालों से नहीं आ रहा.

जलभराव से बुरा हाल
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Published : Dec 8, 2020, 10:42 AM IST

महाराजगंजः जिले के चिउरहां क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि यहां विकास कार्य नहीं हो रहे. पेयजल, सड़क व सार्वजनिक सुविधाएं- सभी का अभाव है. प्रशासन भी ध्यान नहीं दे रहा.

जलभराव से बुरा हाल

30 वर्ष पहले शुरू हुई कहानी
नगर पालिका परिषद महाराजगंज का गठन करीब 30 वर्ष पहले हुआ था. उस समय महाराजगंज में मूलतः दो गांव चिउरहां और अमरुतियां की आबादी शहर की आधी आबादी से ज्यादा थी. नगर पालिका गठन होने से पहले चिउरहां गांव हुआ करता था. नगर पालिका परिषद में आने से यह 30 वर्षों से नगर पालिका का चिउरहां वार्ड संख्या 15 हो गया. यहां आज भी गांव जैसी स्थितियां नजर आती हैं. एक ओर जहां तमाम गांव भी शहर को टक्कर देने लगे हैं, वहीं इसका शहरीकरण नाम का ही हुआ. स्थानीय निवासियों का कहना है कि विकास अभी भी शून्य है. प्रशासन के अनदेखे रवैये से चिउरहां अब भी नगर पालिका परिषद के शहरी विकास की राह जोह रहा है.

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सड़क का बुरा हाल
सड़कों का बुरा हाल, शौचालय पर ताला लोगों ने बताया कि यहां मुख्य मार्ग आए दिन ध्वस्त हो जाता है. इससे राहगीर चोटिल होते रहते हैं. वार्ड के अंदर की इंटरलॉकिंग सड़कों पर तो नजारा देखने लायक है क्योंकि इन सड़कों को कोई सड़क ना बताए तो ऐसा प्रतीत होगा कि इन सड़कों पर खेती की गई है. और अब यह भी ध्वस्त होते नजर आ रहे हैं. लोग अपनी सुविधानुसार या तो रास्ता बदल देते हैं या फिर उन गड्ढों में मिट्टी-पत्थर डालकर आवागमन करते हैं. चिउरहां में एक सामुदायिक शौचालय का निर्माण भी किया गया है. इसका लोकार्पण वर्ष 2018-2019 में नगर पालिका अध्यक्ष कृष्ण गोपाल जायसवाल ने किया था. लोगों ने बताया कि इसके उद्घाटन के बाद से ही यहां ताला लटका हुआ था लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तभी वहां एक कर्मचारी मिला. उसने बताया कि उसकी यहां नियुक्ति 24 नवंबर को हुई है और यह अब लोगों की सेवा में खोल दिया गया है. इसी के साथ तमाम लोगों के शिकायत है उनके क्षेत्र में बिजली के पोल आज तक नहीं गाड़े गए.

पेयजल आपूर्ति का बुरा हाल
राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में शहरों के कई इलाकों में हुए ध्वस्तीकरण ने लोगों के जीने का सहारा यानी कि पेयजल आपूर्ति पूर्णतः ठप कर दी है. यह पिछले 1 साल से बंद पड़ी है, जिसके कारण पेयजल संकट बना हुआ है. सवाल यह है कि अब तो शहर के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग भी बन चुका है तो ऐसे में पेयजल आपूर्ति क्यों रोकी गई है.

महाराजगंजः जिले के चिउरहां क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि यहां विकास कार्य नहीं हो रहे. पेयजल, सड़क व सार्वजनिक सुविधाएं- सभी का अभाव है. प्रशासन भी ध्यान नहीं दे रहा.

जलभराव से बुरा हाल

30 वर्ष पहले शुरू हुई कहानी
नगर पालिका परिषद महाराजगंज का गठन करीब 30 वर्ष पहले हुआ था. उस समय महाराजगंज में मूलतः दो गांव चिउरहां और अमरुतियां की आबादी शहर की आधी आबादी से ज्यादा थी. नगर पालिका गठन होने से पहले चिउरहां गांव हुआ करता था. नगर पालिका परिषद में आने से यह 30 वर्षों से नगर पालिका का चिउरहां वार्ड संख्या 15 हो गया. यहां आज भी गांव जैसी स्थितियां नजर आती हैं. एक ओर जहां तमाम गांव भी शहर को टक्कर देने लगे हैं, वहीं इसका शहरीकरण नाम का ही हुआ. स्थानीय निवासियों का कहना है कि विकास अभी भी शून्य है. प्रशासन के अनदेखे रवैये से चिउरहां अब भी नगर पालिका परिषद के शहरी विकास की राह जोह रहा है.

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सड़क का बुरा हाल
सड़कों का बुरा हाल, शौचालय पर ताला लोगों ने बताया कि यहां मुख्य मार्ग आए दिन ध्वस्त हो जाता है. इससे राहगीर चोटिल होते रहते हैं. वार्ड के अंदर की इंटरलॉकिंग सड़कों पर तो नजारा देखने लायक है क्योंकि इन सड़कों को कोई सड़क ना बताए तो ऐसा प्रतीत होगा कि इन सड़कों पर खेती की गई है. और अब यह भी ध्वस्त होते नजर आ रहे हैं. लोग अपनी सुविधानुसार या तो रास्ता बदल देते हैं या फिर उन गड्ढों में मिट्टी-पत्थर डालकर आवागमन करते हैं. चिउरहां में एक सामुदायिक शौचालय का निर्माण भी किया गया है. इसका लोकार्पण वर्ष 2018-2019 में नगर पालिका अध्यक्ष कृष्ण गोपाल जायसवाल ने किया था. लोगों ने बताया कि इसके उद्घाटन के बाद से ही यहां ताला लटका हुआ था लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तभी वहां एक कर्मचारी मिला. उसने बताया कि उसकी यहां नियुक्ति 24 नवंबर को हुई है और यह अब लोगों की सेवा में खोल दिया गया है. इसी के साथ तमाम लोगों के शिकायत है उनके क्षेत्र में बिजली के पोल आज तक नहीं गाड़े गए.

पेयजल आपूर्ति का बुरा हाल
राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में शहरों के कई इलाकों में हुए ध्वस्तीकरण ने लोगों के जीने का सहारा यानी कि पेयजल आपूर्ति पूर्णतः ठप कर दी है. यह पिछले 1 साल से बंद पड़ी है, जिसके कारण पेयजल संकट बना हुआ है. सवाल यह है कि अब तो शहर के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग भी बन चुका है तो ऐसे में पेयजल आपूर्ति क्यों रोकी गई है.

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