महाराजगंजः जिले के चिउरहां क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि यहां विकास कार्य नहीं हो रहे. पेयजल, सड़क व सार्वजनिक सुविधाएं- सभी का अभाव है. प्रशासन भी ध्यान नहीं दे रहा.
30 वर्ष पहले शुरू हुई कहानी
नगर पालिका परिषद महाराजगंज का गठन करीब 30 वर्ष पहले हुआ था. उस समय महाराजगंज में मूलतः दो गांव चिउरहां और अमरुतियां की आबादी शहर की आधी आबादी से ज्यादा थी. नगर पालिका गठन होने से पहले चिउरहां गांव हुआ करता था. नगर पालिका परिषद में आने से यह 30 वर्षों से नगर पालिका का चिउरहां वार्ड संख्या 15 हो गया. यहां आज भी गांव जैसी स्थितियां नजर आती हैं. एक ओर जहां तमाम गांव भी शहर को टक्कर देने लगे हैं, वहीं इसका शहरीकरण नाम का ही हुआ. स्थानीय निवासियों का कहना है कि विकास अभी भी शून्य है. प्रशासन के अनदेखे रवैये से चिउरहां अब भी नगर पालिका परिषद के शहरी विकास की राह जोह रहा है.
पेयजल आपूर्ति का बुरा हाल
राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में शहरों के कई इलाकों में हुए ध्वस्तीकरण ने लोगों के जीने का सहारा यानी कि पेयजल आपूर्ति पूर्णतः ठप कर दी है. यह पिछले 1 साल से बंद पड़ी है, जिसके कारण पेयजल संकट बना हुआ है. सवाल यह है कि अब तो शहर के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग भी बन चुका है तो ऐसे में पेयजल आपूर्ति क्यों रोकी गई है.