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सूर्यकांत त्रिपाठी की 122वीं जयंती पर हुआ युवा कार्यक्रम - लखनऊ न्यूज

लखनऊ के निराला नगर स्थित रामकृष्ण मठ के सभागार में आज यानी 21 फरवरी को महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की 122वीं जयंती मनाई गई. निराला जी की जयंती के अवसर पर युवा कार्यक्रम सान्ध्य का आयोजन किया गया.

सूर्यकांत त्रिपाठी की 122वीं जयंती पर हुआ युवा कार्यक्रम
सूर्यकांत त्रिपाठी की 122वीं जयंती पर हुआ युवा कार्यक्रम
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Published : Feb 21, 2021, 11:01 PM IST

लखनऊ : आज यानी 21 फरवरी को महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की 122वीं जयंती मनाई गई. निराला जी की जयंती के अवसर पर निराला नगर रामकृष्ण मठ के सभागार में युवा कार्यक्रम सान्ध्य का आयोजन किया गया. जिसमें महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के बारे में, रामकृष्ण परमहंस से जुड़े और महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी के समय और विचारों के बारे में संगोष्ठी भी की गई.

डॉ सूर्य प्रताप दीक्षित ने जानकारी देते हुए बताया कि महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी पर भगवान श्री रामकृष्ण परमहंस का बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा था. उनका जन्म बंगाल महिषादल मेदनीपुर में हुआ था. बंगला उनकी मातृभाषा थी. जिसके माध्यम से उन्होंने प्रवेशिका की शिक्षा प्राप्त की थी. बंगला में उन्होंने आरंभिक लेखन लिखा. हिंदी बंगला के व्याकरण की तुलनात्मक विवेचना की.

उन्होंने कहा कि निराला जी बचपन से ही दार्शनिक प्रवृत्ति के थे. स्वामी विवेकानंद जी को उन्होंने बड़े मनोयोग से पढ़ा था. ब्लू मठर्म में सन्यासियों के साथ निराला जी ने योग का अभ्यास भी किया था. आश्रम में बेगैरिक वस्त्र धारण करते थे. निराला जी ने 3 वर्ष तक दार्शनिक पत्र संबंध का सहज पादन स्वामी माधव नंद जी महाराज के साथ किया था. तदैव दे वेदांत चरित्र नारायण की सेवा और राष्ट्रीय संस्कृति का उन्होंने अजीवन संकल्प निभाया. परमहंस के वचनामृत का और स्वामी जी के व्याख्यान हो तथा कई कविताओं का उन्होंने अनुवाद भी किया. निराला जी योग 'वेदांत वैष्णव' मत के मध्य संबंध करता की भूमिका निभाते रहे. वस्तुतः उनका यह पक्ष सुविदिय नहीं है. इसलिए आज की गोष्ठी में इस पर गंभीर विमर्श करना अपेक्षित रहा है.

लखनऊ : आज यानी 21 फरवरी को महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की 122वीं जयंती मनाई गई. निराला जी की जयंती के अवसर पर निराला नगर रामकृष्ण मठ के सभागार में युवा कार्यक्रम सान्ध्य का आयोजन किया गया. जिसमें महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के बारे में, रामकृष्ण परमहंस से जुड़े और महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी के समय और विचारों के बारे में संगोष्ठी भी की गई.

डॉ सूर्य प्रताप दीक्षित ने जानकारी देते हुए बताया कि महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी पर भगवान श्री रामकृष्ण परमहंस का बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा था. उनका जन्म बंगाल महिषादल मेदनीपुर में हुआ था. बंगला उनकी मातृभाषा थी. जिसके माध्यम से उन्होंने प्रवेशिका की शिक्षा प्राप्त की थी. बंगला में उन्होंने आरंभिक लेखन लिखा. हिंदी बंगला के व्याकरण की तुलनात्मक विवेचना की.

उन्होंने कहा कि निराला जी बचपन से ही दार्शनिक प्रवृत्ति के थे. स्वामी विवेकानंद जी को उन्होंने बड़े मनोयोग से पढ़ा था. ब्लू मठर्म में सन्यासियों के साथ निराला जी ने योग का अभ्यास भी किया था. आश्रम में बेगैरिक वस्त्र धारण करते थे. निराला जी ने 3 वर्ष तक दार्शनिक पत्र संबंध का सहज पादन स्वामी माधव नंद जी महाराज के साथ किया था. तदैव दे वेदांत चरित्र नारायण की सेवा और राष्ट्रीय संस्कृति का उन्होंने अजीवन संकल्प निभाया. परमहंस के वचनामृत का और स्वामी जी के व्याख्यान हो तथा कई कविताओं का उन्होंने अनुवाद भी किया. निराला जी योग 'वेदांत वैष्णव' मत के मध्य संबंध करता की भूमिका निभाते रहे. वस्तुतः उनका यह पक्ष सुविदिय नहीं है. इसलिए आज की गोष्ठी में इस पर गंभीर विमर्श करना अपेक्षित रहा है.

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