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योगी सरकार का बड़ा ऐलान, इमरजेंसी सेवाओं में अब 48 घंटे तक निशुल्क होगा इलाज

योगी सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बड़ा फैसला किया है. सरकार ने इमरजेंसी सेवाओं में अब 48 घंटे तक मुफ्त इलाज देने का ऐलान किया है.

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Published : Aug 1, 2022, 3:32 PM IST

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48 घंटे तक निशुल्क इलाज

लखनऊ: दुर्घटनाओं में होने वाली जन हानि को रोकने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों पर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं में परिवर्तन की तैयारीयां की जा रही हैं. इस पर 3000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. प्रदेश सरकार ने इमरजेंसी में भर्ती होने वाले हर व्यक्ति को 48 घंटे तक निशुल्क उपचार देने का फैलला किया है. सरकार ने पिछले 5 वर्ष में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बुनियादी ढांचे से लेकर संसाधनों में भी वृद्धि की है.

एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज सहित कई योजनाओं को भी अमलीजामा पहनाया जा रहा है, लेकिन अब पहली बार लाइव इमरजेंसी मॉनिटरिंग सिस्टम प्रदेश में लागू होने वाला है. कोविड कमांड सेंटर की तर्ज पर इंटीग्रेटेड ट्रामा और इमरजेंसी मेडिसिन सेंटर की स्थापना की जाएगी. इस सेवा के तहत एक कॉल पर इमरजेंसी में एंबुलेंस पहुंचेगी और अस्पताल में तुरंत इलाज शुरू होगा.
सरकार की ओर से खर्च किए जा रहे 3000 करोड़ में से 5 वर्ष में सबसे अधिक आधारभूत सुविधाएं विकसित करने के लिए 1614 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

इसके अलावा ट्रामा और नॉन ट्रामा मेडिसिन रोगियों के निशुल्क उपचार में हर साल औसतन साढ़े 500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. ऐसे ही एंबुलेंस सेवाओं पर करीब 300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली 750 एंबुलेंस खरीदी जाएंगी. एंबुलेंस संचालन, प्रशिक्षित स्टाफ के वेतन और प्रशिक्षण पर भी करीब 165 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसके अलावा कॉल सेंटर, कमांड सेंटर, साफ्टवेयर के संचालन और मेंटेनेंस आदि में सालाना खर्च 125 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.

इसे भी पढ़े-आज कई कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे सीएम योगी, स्कूली बच्चों के खाते में ट्रांसफर होंगे पैसे

चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि, लाइव इमरजेंसी मानिटरिंग सिस्टम प्रदेश में लागू करने के लिए योजना बनाकर चरणबद्ध ढंग से कार्य किया जा रहा है. किसी भी इमरजेंसी रोगी के जीवन के लिए शुरुआत के 48 घंटे काफी अहम होते हैं. इसलिए सीएम योगी के संकल्पों को धरातल पर उतारा जा रहा है.

प्रथम 48 घंटे तक रोगियों को निशुल्क उपचार उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है. इससे ऐसे रोगी जो अकेले होते हैं या उनके साथ तीमारदार भी होते हैं, लेकिन तत्काल पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था नहीं हो पाती है. उनका उपचार निशुल्क होगा, उनके साथ-साथ आम जन मानस भी लाभान्वित होगा.

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लखनऊ: दुर्घटनाओं में होने वाली जन हानि को रोकने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों पर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं में परिवर्तन की तैयारीयां की जा रही हैं. इस पर 3000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. प्रदेश सरकार ने इमरजेंसी में भर्ती होने वाले हर व्यक्ति को 48 घंटे तक निशुल्क उपचार देने का फैलला किया है. सरकार ने पिछले 5 वर्ष में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बुनियादी ढांचे से लेकर संसाधनों में भी वृद्धि की है.

एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज सहित कई योजनाओं को भी अमलीजामा पहनाया जा रहा है, लेकिन अब पहली बार लाइव इमरजेंसी मॉनिटरिंग सिस्टम प्रदेश में लागू होने वाला है. कोविड कमांड सेंटर की तर्ज पर इंटीग्रेटेड ट्रामा और इमरजेंसी मेडिसिन सेंटर की स्थापना की जाएगी. इस सेवा के तहत एक कॉल पर इमरजेंसी में एंबुलेंस पहुंचेगी और अस्पताल में तुरंत इलाज शुरू होगा.
सरकार की ओर से खर्च किए जा रहे 3000 करोड़ में से 5 वर्ष में सबसे अधिक आधारभूत सुविधाएं विकसित करने के लिए 1614 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

इसके अलावा ट्रामा और नॉन ट्रामा मेडिसिन रोगियों के निशुल्क उपचार में हर साल औसतन साढ़े 500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. ऐसे ही एंबुलेंस सेवाओं पर करीब 300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली 750 एंबुलेंस खरीदी जाएंगी. एंबुलेंस संचालन, प्रशिक्षित स्टाफ के वेतन और प्रशिक्षण पर भी करीब 165 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसके अलावा कॉल सेंटर, कमांड सेंटर, साफ्टवेयर के संचालन और मेंटेनेंस आदि में सालाना खर्च 125 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.

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चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि, लाइव इमरजेंसी मानिटरिंग सिस्टम प्रदेश में लागू करने के लिए योजना बनाकर चरणबद्ध ढंग से कार्य किया जा रहा है. किसी भी इमरजेंसी रोगी के जीवन के लिए शुरुआत के 48 घंटे काफी अहम होते हैं. इसलिए सीएम योगी के संकल्पों को धरातल पर उतारा जा रहा है.

प्रथम 48 घंटे तक रोगियों को निशुल्क उपचार उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है. इससे ऐसे रोगी जो अकेले होते हैं या उनके साथ तीमारदार भी होते हैं, लेकिन तत्काल पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था नहीं हो पाती है. उनका उपचार निशुल्क होगा, उनके साथ-साथ आम जन मानस भी लाभान्वित होगा.

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