लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बजट में लोक कला संवर्धन के तहत प्रदेश में बोले जानी वाली भाषाओं के विकास के लिए 4 अकादमी के निर्माण के लिए 2022-23 के बजट में दो करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. इस बजट से प्रदेश में अवधी, भोजपुरी, ब्रज और बुन्देली अकादमी की स्थापना किया जाना था. बीते सत्र में बजट में आवंटित पैसा 31 मार्च 2023 को लैप्स हो जाएगा. लेकिन अभी तक इन चारों अकादमी के स्थापना के लिए कोई प्रक्रिया नहीं शुरू हो पाई है. हालात ये हैं कि एक साल गुजरने के बाद भी अकादमी स्थापना के सम्बंध में एक भी बैठक शासन स्तर पर नहीं हुई.
50-50 लाख से 4 अकादमी का होना था गठना : योगी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में पेश किए पहले बजट में अपने घोषणापत्र में की गई घोषणा को पूरा करने के लिए इन संस्थाओं की स्थापना के लिए 50 50 लाख रुपये की व्यवस्था की थी. इन चारों अकादमियों का संचालक सिंधी अकादमी व भाषा संस्थान के तर्ज पर होना था. सरकार को इन अकादमी के स्थापना के लिए नियमावली तैयार करनी थी, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी अभी तक इन अकादमी के गठन के लिए कोई भी कार्य नहीं शुरू हो पाया है. अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी न्यास के अध्यक्ष डॉ. एसके गोपाल ने बताया कि पिछले साल के बजट में भाषा विभाग को प्रत्येक अकादमी के लिए 50-50 लाख का प्रावधान किया गया था. योगी सरकार लंबे समय से प्रदेश में प्रचलित भाषाओं के संरक्षण उनके विकास को बढ़ावा देने के लिए अपने घोषणा पत्र में इसके लिए व्यवस्था करने की बात करती आ रही थी.
पिछले साल जब दोबारा से सरकार बनी तो पहले ही बजट में सरकार ने अवध, ब्रज, भोजपुरी व बुंदेलखंडी भाषा के विकास के लिए बजट में प्रावधान किया था. भाषा विभाग खुद मुख्यमंत्री के अधीन है, लेकिन बजट जारी होने के बाद से जो जरूरी कदम उठाए जाने से नहीं उठाए गए हैं. सरकार ने इन चार अकादमी गठन के लिए जो पैसा जारी किया है वह लेफ्ट होने की कगार पर पहुंच गया है. आने वाले 31 मार्च को वित्तीय वर्ष समाप्त हो जाएगा, किन्तु अभी तक अकादमी स्थापना की योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है.
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