लखनऊ: योगी सरकार को प्रदेश को वन ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने के लिए अगले पांच वर्षों (2022-2027) के दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य, न्यायिक प्रणाली, शिक्षा, भारी उद्योग आदि के लिए करीब 40 लाख करोड़ रुपये की धनराशि खर्च करनी होगी. जिसका खाका तैयार कर लिया गया है.
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के समक्ष प्रस्ताव को प्रस्तुत कर दिया गया है. अब जल्द ही प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा जाएगा. गौरतलब है कि कैबिनेट की प्रस्ताव पर मुहर लगते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा.
जीएसडीपी, मैन्युफैक्चरिंग और विकास दर को बढ़ाएगी योगी सरकार
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के समक्ष रखे गए प्रस्ताव में बताया गया कि प्रदेश को वन ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने के लिए मूलभूत सुविधाओं के साथ कई बिंदुओं पर बारीकी से काम करना होगा. सबसे पहले इसके लिए हमें अपनी सालाना विकास दर को 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ानी होगी. प्रदेश में हर वर्ष होने वाली जीएसडीपी (ग्रास स्टेट डोमेस्टिक प्रोडेक्ट) के निवेश को बढ़ाकर 43 से 47 प्रतिशत करना होगा. साथ ही मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लक्ष्य को बढ़ाकर वर्तमान का 45 प्रतिशत तक ले जाना होगा. जानकारों की मानें तो इन बिंदुओं पर फोकस करने के बाद आसानी से वन ट्रिलियन इकोनॉमी के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा. इसके साथ ही प्रदेश में आयात को घटाकर निर्यात पर फोकस करना होगा. इस नीति को विदेश से लेकर अन्य प्रदेशों पर लागू करना होगा. इससे प्रदेश में अधिक से अधिक इकाइयां तो लगेंगी ही साथ में रोजगार बढ़ेगा और प्रदेश की इकोनॉमी मजबूत होगी.
200 करोड़ न्यायिक प्रणाली पर होंगे खर्च
वन ट्रिलियन इकोनॉमी के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निवेशकों को लुभाने के लिए इंवेस्टमेंट नीति का खाका तैयार किया गया है. इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस और नई इकोनॉमी को विभिन्न चरणों में बांटने के साथ इस पर जोर दिया गया है. इंफ्रास्ट्रक्चर को 2 भागों में बांटा गया है, जिसके हार्ड और साॅफ्ट दो हिस्से हैं. हार्ड इंफ्रास्ट्रक्चर में लॉजिस्टिक के साथ पॉवर और एनर्जी शामिल है. जबकि साॅफ्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में नियामक, न्यायिक प्रणाली, शिक्षा, स्वास्थ्य को शामिल किया गया है. वहीं, सर्विस में पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य को शामिल किया गया है. साॅफ्ट इंंफ्रास्ट्रक्चर के तहत पूरे प्रदेश में आधुनिक चिकित्सा व्यवस्था के लिए योगी सरकार को वर्ष 2022 से 2027 के बीच करीब 2.1 लाख करोड़ खर्च करने होंगे. इसमें 24 लाख बेड के अस्पताल का निर्माण किया जाएगा. इसके लिए करीब 4.35 लाख डॉक्टर्स और 17 लाख नर्स की भर्ती की जाएगी. जबकि हार्ड इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत अधीनस्थ न्यायालय में 1092 जज की नियुक्ति की जाएगी. वहीं, हाईकोर्ट में 90 नए जज की नियुक्ति की जाएगी. वहीं, 13 लाख करोड़ बिजली, 25 लाख करोड़ रोड और 200 करोड़ रुपये न्यायिक प्रणाली पर खर्च किए जाएंगे.
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