लखनऊः राज्य सरकार ने दावा किया है कि उत्तर प्रदेश के गिरते भूजल स्तर को लेकर संवेदनशील योगी सरकार के प्रयासों का नतीजा अब दिखाई पड़ने लगा है. भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा चलाए गए अभियानों एवं कार्यक्रमों के माध्यम से अब प्रदेश के कई जनपदों का भूजल स्तर बढ़ गया है. वहीं कई विकास खंड डार्क जोन से बाहर आ गए हैं.
प्रदेश में योगी सरकार बनने से पहले राज्य के 82 विकास खंड ऐसे थे, जो डार्क जोन में चले गए थे. सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस विषय पर चिंता जाहिर करने के साथ ही इस दिशा में गंभीरता से काम भी करना शुरू किया. इसके लिए सरकार ने अटल भूजल योजना और भूजल सप्ताह जैसे अभियान चलाए. केंद्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि इन कार्यक्रमों का परिणाम यह रहा कि 2017 से 2021 के बीच मात्र पांच वर्षों में प्रदेश के 25 विकास खंड अब डार्क जोन से बाहर आ गए हैं. यही नहीं भूजल रिचार्ज को लेकर भी सरकार लगातार कार्य करती रही. इसके परिणाम स्वरूप प्रदेश के 35 जनपदों का भूजल स्तर बढ़ गया है.
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भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए योगी सरकार ने एक तरफ जहां केंद्र सरकार द्वारा संचालित अटल भूजल योजना और प्रधानमंत्री मोदी के ‘कैच द रेन’ अभियान को प्रदेश में बढ़ावा दिया. वहीं दूसरी तरफ विकास प्राधिकरणों के द्वारा बनाए जा रहे शासकीय भवनों में अनिवार्य रूप से रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की. इसके साथ ही सरकार ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए चित्रकूट और वाराणसी मॉडल बनाया. वाराणसी मॉडल के तहत सरकार ने काशी एवं उसके आस-पास के अन्य जनपदों में पुराने हैंडपंप की बोरिंग के माध्यम से वर्षा जल को सीधे जमीन में पहुंचाने के काम में लिया. चित्रकूट मॉडल के तहत सरकार ने चेक डैम बनाए और जनवरी से लेकर जून तक उनकी डिसिल्टिंग की जिससे फिर से वहां पर जल भराव हो सके.