ETV Bharat / state

योगी कैबिनेट में यूपी कामगार श्रमिक कल्याण आयोग के गठन को मंजूरी

राजधानी लखनऊ में लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के रोजगार की समस्या को देखते हुए कैबिनेट ने एक बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक की गई. इस बैठक में उत्तर प्रदेश कामगार एवं श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) कल्याण आयोग के गठन को मंजूरी दे दी गई है. इसके अंतर्गत अधिक से अधिक मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा.

formation of up labor welfare commission approved
यूपी श्रमिक कल्याण आयोग के गठन को मंजूरी दी गई
author img

By

Published : Jun 16, 2020, 3:28 PM IST

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने मंगलवार को बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक की गई. इस बैठक में उत्तर प्रदेश कामगार एवं श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) कल्याण आयोग के गठन को मंजूरी दे दी गई है. इससे प्रदेश के मजदूरों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा पहले से ज्यादा सुदृढ़ होगी.

इस फैसले से प्रदेश के अंदर ही श्रमिकों एवं कामगारों का कौशल विकास कर रोजगार उपलब्ध कराए जाएंगे. प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी. कामगारों और मजदूरों को सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा के साथ उनके सर्वांगीण विकास में इस आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.

मजदूरों को उपलब्ध कराया जाएगा रोजगार
उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) कल्याण आयोग का मकसद निजी और गैर सरकारी क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर श्रमिकों और कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराना है. इस योजना के अंतर्गत मजदूरों के हुनर के अनुसार अधिकाधिक रोजगार मुहैया कराना और रोजगार के अवसरों को बढ़ाना है. कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से तमाम गतिविधियां ठप हो गई हैं. इसका सबसे अधिक असर श्रमिकों और कामगारों पर पड़ा है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर इसके वर्ग के तात्कालिक हित के लिए कई कदम उठाए गए हैं. इसके अंतर्गत 1,000 मजदूरों का भरण-पोषण भत्ता, राशन किट उपलब्ध कराया जाएगा. मनरेगा के तहत अधिकाधिक श्रम दिवसों का सृजन और दक्षता के अनुसार औद्योगिक इकाइयों में समायोजन जैसे कदम उठाए गए हैं.

पांच जनप्रतिनिधि होंगे सदस्य
उच्च स्तरीय प्रशासकीय संस्था के अध्यक्ष मुख्यमंत्री या नामित कोई कैबिनेट मंत्री होगा. श्रम एवं सेवायोजन विभाग के मंत्री संयोजक, मंत्री औद्योगिक विकास और मंत्री सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो उपाध्यक्ष होंगे. अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त सदस्य सचिव होंगे. इसके अलावा कृषि, ग्रामीण विकास मंत्री, कृषि उत्पादन आयुक्त, अपर मुख्य सचिव प्रमुख सचिव श्रम एवं सेवायोजन, मुख्यमंत्री की ओर से नामित औद्योगिक एवं श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि, उनकी ओर से ही नामित उद्योगों के विकास एवं श्रमिकों के हित में रुचि रखने वाले पांच जनप्रतिनिधि विशेष आमंत्रित इसके सदस्य होंगे.

प्रशिक्षण कार्यक्रमों का किया जाएगा आयोजन
यह आयोग श्रमिकों और उद्योगों के बीच कड़ी का काम करेगा. इस क्रम में वह मांग के अनुसार संबंधित इकाइयों को दक्ष श्रमिक मुहैया कराएगा. इसके साथ ही इंडस्ट्री की मांग के अनुसार दक्षता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोग चलाएगा. प्रशिक्षण का यह अवसर औद्योगिक इकाइयों में अप्रेंटिसशिप के रूप में भी मिलेगा. अन्य राज्यों और देशों से श्रमिकों की जो मांग होगी उसमें भी आयोग फैसलेटर की भूमिका निभाएगा. किसी भी जगह समायोजित होने वाले श्रमिक को न्यूनतम बुनियादी सुविधाएं, आवास, सामाजिक सुरक्षा, बीमा आदि भी आयोग की ओर से मुहैया कराया जाएगा.

श्रमिकों की दक्षता का डाटा होगा एकत्र
सेवायोजन विभाग की मदद से आयोग प्रदेश के सभी श्रमिकों की दक्षता का डाटा एकत्र करेगा. इससे किसी औद्योगिक इकाई को उसकी मांग के अनुसार श्रमिकों को समायोजित किया जा सकेगा.

क्रियान्वयन पर अमल के लिए होगा बोर्ड
आयोग अपने मकसद के अनुसार काम करे. इसकी निगरानी के लिए औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक बोर्ड या कार्यपरिषद भी गठित होगी. इसमें एपीसी सह अध्यक्ष, प्रमुख सचिव अपर मुख्य सचिव आईआईडीसी, कृषि विभाग, पंचायती राज, लोक निर्माण, सिंचाई, नगर विकास, ग्रामीण विकास, एमएसएमई, उद्योग एवं खाद्य प्रसंस्करण, कौशल विकास सदस्य और समाज कल्याण श्रम एवं सेवायोजन सदस्य सचिव होंगे.

जिले स्तर पर भी गठित होगी समिति
आयोग और राज्य स्तरीय बोर्ड की मंशा के अनुसार काम हो रहा है. इसकी निगरानी के लिए सभी जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति भी होगी. इसमें मुख्य विकास अधिकारी उपाध्यक्ष, जिला रोजगार सहायता अधिकारी नोडल अधिकारी सदस्य होंगे. इसके अलावा परियोजना निदेशक ग्रामीण विकास, अपर मुख्य अधिकारी पंचायत, जिला उद्यान अधिकारी, उप निदेशक कृषि, उपायुक्त उद्योग, उपायुक्त एनआरएलएम, परियोजना निदेशक सूडा, जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, अपर उप सहायक श्रम आयुक्त, जिला स्तरीय श्रम प्रवर्तन अधिकारी इसके सदस्य होंगे. इस आयोग की बैठक हर माह होगी. इसी क्रम में बोर्ड की बैठक हर 15 दिन में और जिला स्तरीय समिति की बैठक हफ्ते में एक बार होगी. जिलाधिकारी हर बैठक की रिपोर्ट में प्रदेश स्तरीय बोर्ड को अवगत कराएंगे.

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने मंगलवार को बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक की गई. इस बैठक में उत्तर प्रदेश कामगार एवं श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) कल्याण आयोग के गठन को मंजूरी दे दी गई है. इससे प्रदेश के मजदूरों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा पहले से ज्यादा सुदृढ़ होगी.

इस फैसले से प्रदेश के अंदर ही श्रमिकों एवं कामगारों का कौशल विकास कर रोजगार उपलब्ध कराए जाएंगे. प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी. कामगारों और मजदूरों को सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा के साथ उनके सर्वांगीण विकास में इस आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.

मजदूरों को उपलब्ध कराया जाएगा रोजगार
उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) कल्याण आयोग का मकसद निजी और गैर सरकारी क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर श्रमिकों और कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराना है. इस योजना के अंतर्गत मजदूरों के हुनर के अनुसार अधिकाधिक रोजगार मुहैया कराना और रोजगार के अवसरों को बढ़ाना है. कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से तमाम गतिविधियां ठप हो गई हैं. इसका सबसे अधिक असर श्रमिकों और कामगारों पर पड़ा है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर इसके वर्ग के तात्कालिक हित के लिए कई कदम उठाए गए हैं. इसके अंतर्गत 1,000 मजदूरों का भरण-पोषण भत्ता, राशन किट उपलब्ध कराया जाएगा. मनरेगा के तहत अधिकाधिक श्रम दिवसों का सृजन और दक्षता के अनुसार औद्योगिक इकाइयों में समायोजन जैसे कदम उठाए गए हैं.

पांच जनप्रतिनिधि होंगे सदस्य
उच्च स्तरीय प्रशासकीय संस्था के अध्यक्ष मुख्यमंत्री या नामित कोई कैबिनेट मंत्री होगा. श्रम एवं सेवायोजन विभाग के मंत्री संयोजक, मंत्री औद्योगिक विकास और मंत्री सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो उपाध्यक्ष होंगे. अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त सदस्य सचिव होंगे. इसके अलावा कृषि, ग्रामीण विकास मंत्री, कृषि उत्पादन आयुक्त, अपर मुख्य सचिव प्रमुख सचिव श्रम एवं सेवायोजन, मुख्यमंत्री की ओर से नामित औद्योगिक एवं श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि, उनकी ओर से ही नामित उद्योगों के विकास एवं श्रमिकों के हित में रुचि रखने वाले पांच जनप्रतिनिधि विशेष आमंत्रित इसके सदस्य होंगे.

प्रशिक्षण कार्यक्रमों का किया जाएगा आयोजन
यह आयोग श्रमिकों और उद्योगों के बीच कड़ी का काम करेगा. इस क्रम में वह मांग के अनुसार संबंधित इकाइयों को दक्ष श्रमिक मुहैया कराएगा. इसके साथ ही इंडस्ट्री की मांग के अनुसार दक्षता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोग चलाएगा. प्रशिक्षण का यह अवसर औद्योगिक इकाइयों में अप्रेंटिसशिप के रूप में भी मिलेगा. अन्य राज्यों और देशों से श्रमिकों की जो मांग होगी उसमें भी आयोग फैसलेटर की भूमिका निभाएगा. किसी भी जगह समायोजित होने वाले श्रमिक को न्यूनतम बुनियादी सुविधाएं, आवास, सामाजिक सुरक्षा, बीमा आदि भी आयोग की ओर से मुहैया कराया जाएगा.

श्रमिकों की दक्षता का डाटा होगा एकत्र
सेवायोजन विभाग की मदद से आयोग प्रदेश के सभी श्रमिकों की दक्षता का डाटा एकत्र करेगा. इससे किसी औद्योगिक इकाई को उसकी मांग के अनुसार श्रमिकों को समायोजित किया जा सकेगा.

क्रियान्वयन पर अमल के लिए होगा बोर्ड
आयोग अपने मकसद के अनुसार काम करे. इसकी निगरानी के लिए औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक बोर्ड या कार्यपरिषद भी गठित होगी. इसमें एपीसी सह अध्यक्ष, प्रमुख सचिव अपर मुख्य सचिव आईआईडीसी, कृषि विभाग, पंचायती राज, लोक निर्माण, सिंचाई, नगर विकास, ग्रामीण विकास, एमएसएमई, उद्योग एवं खाद्य प्रसंस्करण, कौशल विकास सदस्य और समाज कल्याण श्रम एवं सेवायोजन सदस्य सचिव होंगे.

जिले स्तर पर भी गठित होगी समिति
आयोग और राज्य स्तरीय बोर्ड की मंशा के अनुसार काम हो रहा है. इसकी निगरानी के लिए सभी जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति भी होगी. इसमें मुख्य विकास अधिकारी उपाध्यक्ष, जिला रोजगार सहायता अधिकारी नोडल अधिकारी सदस्य होंगे. इसके अलावा परियोजना निदेशक ग्रामीण विकास, अपर मुख्य अधिकारी पंचायत, जिला उद्यान अधिकारी, उप निदेशक कृषि, उपायुक्त उद्योग, उपायुक्त एनआरएलएम, परियोजना निदेशक सूडा, जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, अपर उप सहायक श्रम आयुक्त, जिला स्तरीय श्रम प्रवर्तन अधिकारी इसके सदस्य होंगे. इस आयोग की बैठक हर माह होगी. इसी क्रम में बोर्ड की बैठक हर 15 दिन में और जिला स्तरीय समिति की बैठक हफ्ते में एक बार होगी. जिलाधिकारी हर बैठक की रिपोर्ट में प्रदेश स्तरीय बोर्ड को अवगत कराएंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.