लखनऊ. कैंसर संस्थान का हाल बुरा है जबकि अभी तक यह पूरी तरह से बनकर तैयार भी नहीं हुआ है. सपा सरकार में शुरू हुए इस संस्थान का निर्माण अभी भी अधूरा है. करोड़ो खर्च हो चुके हैं. जो सेवाएं यहां संचालित हैं, उसका हाल भी बुरा है. कर्मचारियों की कमी से कई विभाग ठीक से काम नहीं कर रहे हैं. यहां लगी छह लिफ्ट भी खराब पड़ी हैं. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों को कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
पांच मंजिला भवन बनकर तैयार, उद्घाटन का है इंतजार: योजना के मुताबिक कैंसर संस्थान में कुल 1200 बेड होने हैं. इसमें प्रथम चरण में 700 बेड की सुविधा होनी है. गत वर्ष स्थायी निदेशक भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण हटा दिए गए थे. ऐसे में एसजीपीजीआई के डायरेक्टर डॉ. आरके धीमान को कार्यवाहक निदेशक बनाया गया जबकि सीएमएस की जिम्मेदारी डॉ. अनुपम वर्मा को सौंपी गई है. डॉ. आर के धीमान के मुताबिक संस्थान में पांच मंजिला ब्लॉक बनकर तैयार हो गया है. इसकी क्षमता 210 बेड की है. मरीजों के लिए 12 बेड का प्री-ऑपरेटिव वार्ड और 16 बेड का पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड भी है लेकिन इसके उद्घाटन का इंतजार है.
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ओटी कॉम्प्लेक्स में हैं सिर्फ 8 ऑपरेशन थियेटर : कैंसर संस्थान में मरीजों के ऑपरेशन के लिए ओटी कॉम्प्लेक्स तैयार हो गया. इसमें आठ नए ऑपरेशन थिएटर (ओटी) हैं लेकिन अभी शुरू नहीं हुआ है. फिलहाल एक ही ऑपरेशन थिएटर काम कर रहा है. ऐसे में रोजाना दो से तीन मरीजों के ही ऑपरेशन हो पा रहे हैं. वहीं ऑपरेशन थियेटर की संख्या नहीं बढ़ने से ऑपरेशन के लिए मरीजों की लंबी कतार लगी हुई है.संस्थान में कुल 24 ओटी प्रस्तावित हैं. सरकारी क्षेत्र में कैंसर मरीजों के ऑपरेशन की सुविधा सिर्फ केजीएमयू, पीजीआई और लोहिया संस्थान में ही हैं.
ब्लड बैंक तक नहीं खुला है : कैंसर इंस्टीट्यूट में ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग भी खुलना है. इसमें ब्लड बैंक का भी संचालन होना है. मगर अभी तक ब्लड बैंक नहीं खुल सका है. ऐसे में इलाज के लिए मरीज के परिजनों को खून के लिए भटकना पड़ता है.
219 स्टाफ की भर्ती भी रूकी हुई है: संस्थान में फिलहाल मात्र 8 कैंसर सर्जन कार्यरत हैं जबकि 24 रेजिडेंट डॉक्टर हैं. 219 पदों पर भर्ती होनी है. स्टाफ की भर्ती संबंधी विज्ञापन तक नहीं निकला है. वहीं, एमआरआई, सीटी स्कैन, ब्लड बैंक व ऑपरेशन थिएटर के आवश्यक उपकरण की खरीद भी रूकी हुई है.
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