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ग्रीन कॉरिडोर के लिए 193 एकड़ भूमि का होगा अधिग्रहण, 15 अगस्त तक DPR होगा फाइनल

ग्रीन कॉरिडोर में समतामूलक चौराहे के पास ‘क्लोवरलीफ फ्लाईओवर बनेगा. एक के ऊपर एक कर तीन रास्ते गुजरेंगे. ग्रीन कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए कुल 193 हेक्टेयर भूमि क्रय की जाएगी. इसके लिए करीब 500 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे.

लखनऊ विकास प्राधिकरण
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Published : Jul 15, 2021, 11:02 PM IST

लखनऊ: ग्रीन कॉरिडोर (green corridor) के पहले चरण का काम शुरू होने में करीब तीन महीने का समय बचा है. इस बीच डीपीआर बनाने के साथ ही जरूरी बजट की उपलब्धता को लेकर मंथन शुरू हो गया है. कुल 193 हेक्टेयर भूमि के अर्जन के लिए लगभग 500 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. इस संबंध में गुरुवार को एलडीए में पीडब्ल्यूडी के साथ एक बैठक हुई. गोमती तटबंध पर चार लेन रोड बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग (Public Works Department) के इंजीनियरों के साथ विचार-विमर्श किया गया. उन्हें बजट मुहैया कराने को लेकर कहा गया है.

गोमती नदी (gomti river) के तटबंधों पर पहले चरण में प्रस्तावित कार्य के लिए लगभग 114 हेक्टेयर भूमि तथा फेज-2 के कार्यों के लिए लगभग 79 हेक्टेयर भूमि का अर्जन किया जाएगा. आईआईएम रोड (IIM) से समतामूलक चौराहे तक पहले चरण का काम होगा. समतामूलक चौराहे के पास क्लोवरलीफ फ्लाईओवर (cloverleaf flyover) बनेगा. एक के ऊपर एक तीन फ्लाईओवर गुजरेंगे. यह इस तरह बनेगा कि ट्रैफिक लाइट से रास्ता रोकने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. समतामूलक के पास प्रस्तावित फ्लाईओवर अपने आप सबसे अलग होगा.

इसे भी पढ़ें-दीपावली पर होगा लखनऊ ग्रीन कॉरिडोर प्रोजेक्ट का शुभारंभ, DPR तैयार करने के निर्देश

दावा है कि अभी तक इस तरह का फ्लाईओवर राजधानी ही नहीं प्रदेश में कहीं नहीं बना है. टाटा इंजीनियरिंग इसके लिए डीपीआर तैयार कर रही है. समतामूलक चौराहे से फ्लाईओवर का कार्य शुरू होगा. दूसरी ओर आईआईएम रोड पर दाएं तटबंध पर चार लेन की सड़क का निर्माण पूरा होगा. चार चरणों में इस बड़ी परियोजना का कार्य पूरा किया जाना है. पहले चरण में आईआईएम रोड से हार्डिंग ब्रिज तक सात किलोमीटर की सड़क नदी के दोनों ओर बनाई जाएगी.

इसे भी पढ़ें-ग्रीन कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए सेतु निगम ने पीडब्ल्यूडी को दी सर्वे रिपोर्ट, जल्द काम शुरू कराने की तैयारी

इसकी विस्तृत परियोजना 15 अगस्त तक टाटा कंसल्टेंसी इंजीनियर्स (Tata Consultancy Engineers) बनाकर देगी. दूसरे चरण में छह जगह एलिवेटेड फ्लाईओवर (elevated flyover) बनेंगे. तीसरे में गोमती के दाएं तटबंध पर पिपराघाट से शहीद पथ तक चार लेन की सड़क बनेगी. प्रस्तावित कॉरिडोर के आसपास कॉमर्शियल ब्लॉक विकसित किए जाएंगे. इसके लिए जमीनों का चिह्नांकन करने के निर्देश दिए गए हैं. इसको विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा. इससे होने वाली आय से ग्रीन कॉरिडोर परियोजना के लिए वित्तीय मदद मिल सकेगी.

लखनऊ: ग्रीन कॉरिडोर (green corridor) के पहले चरण का काम शुरू होने में करीब तीन महीने का समय बचा है. इस बीच डीपीआर बनाने के साथ ही जरूरी बजट की उपलब्धता को लेकर मंथन शुरू हो गया है. कुल 193 हेक्टेयर भूमि के अर्जन के लिए लगभग 500 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. इस संबंध में गुरुवार को एलडीए में पीडब्ल्यूडी के साथ एक बैठक हुई. गोमती तटबंध पर चार लेन रोड बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग (Public Works Department) के इंजीनियरों के साथ विचार-विमर्श किया गया. उन्हें बजट मुहैया कराने को लेकर कहा गया है.

गोमती नदी (gomti river) के तटबंधों पर पहले चरण में प्रस्तावित कार्य के लिए लगभग 114 हेक्टेयर भूमि तथा फेज-2 के कार्यों के लिए लगभग 79 हेक्टेयर भूमि का अर्जन किया जाएगा. आईआईएम रोड (IIM) से समतामूलक चौराहे तक पहले चरण का काम होगा. समतामूलक चौराहे के पास क्लोवरलीफ फ्लाईओवर (cloverleaf flyover) बनेगा. एक के ऊपर एक तीन फ्लाईओवर गुजरेंगे. यह इस तरह बनेगा कि ट्रैफिक लाइट से रास्ता रोकने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. समतामूलक के पास प्रस्तावित फ्लाईओवर अपने आप सबसे अलग होगा.

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दावा है कि अभी तक इस तरह का फ्लाईओवर राजधानी ही नहीं प्रदेश में कहीं नहीं बना है. टाटा इंजीनियरिंग इसके लिए डीपीआर तैयार कर रही है. समतामूलक चौराहे से फ्लाईओवर का कार्य शुरू होगा. दूसरी ओर आईआईएम रोड पर दाएं तटबंध पर चार लेन की सड़क का निर्माण पूरा होगा. चार चरणों में इस बड़ी परियोजना का कार्य पूरा किया जाना है. पहले चरण में आईआईएम रोड से हार्डिंग ब्रिज तक सात किलोमीटर की सड़क नदी के दोनों ओर बनाई जाएगी.

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इसकी विस्तृत परियोजना 15 अगस्त तक टाटा कंसल्टेंसी इंजीनियर्स (Tata Consultancy Engineers) बनाकर देगी. दूसरे चरण में छह जगह एलिवेटेड फ्लाईओवर (elevated flyover) बनेंगे. तीसरे में गोमती के दाएं तटबंध पर पिपराघाट से शहीद पथ तक चार लेन की सड़क बनेगी. प्रस्तावित कॉरिडोर के आसपास कॉमर्शियल ब्लॉक विकसित किए जाएंगे. इसके लिए जमीनों का चिह्नांकन करने के निर्देश दिए गए हैं. इसको विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा. इससे होने वाली आय से ग्रीन कॉरिडोर परियोजना के लिए वित्तीय मदद मिल सकेगी.

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