लखनऊ: अयोध्या में आवास विकास परिषद करीब दो महीने बाद 'नव्य अयोध्या' नाम से कॉलोनी विकसित करने का काम शुरू करेगा. यह कॉलोनी करीब 2200 एकड़ की होगी, जिसका पहला चरण 1200 एकड़ का होगा. इस पूरी कॉलोनी की खास बात यह है कि रिहायशी मानचित्र को मंदिरों की तरह दर्शाया जाएगा. सभी घरों का नक्शा एक जैसा बनाने की योजना है. सभी का स्वरूप राम मंदिर की तरह रखा जाएगा. पूरी दुनिया में यह अपने तरह की एक अद्भुत कॉलोनी होगी, जिसका संपूर्ण वास्तु वैदिक होगा.
'नव्य अयोध्या' का मॉडल आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में प्रदर्शित किया गया है. आवास विकास के इस मॉडल में रोजाना हजारों लोग रुचि ले रहे हैं. इस योजना को लेकर परिषद के विशेषज्ञ राजेश मेहतानी ने बताया कि पहला चरण करीब 1200 एकड़ का है, जिसके लिए भूमि अर्जन का काम बहुत तेजी से चल रहा है और दो से तीन महीने में काम का आगाज हो जाएगा. ढाई से तीन साल में यह कॉलोनी विकसित कर दी जाएगी.
उन्होंने बताया कि इस कॉलोनी से राम मंदिर की दूरी 6 किलोमीटर है, जिसके बाद में पुरानी बसी हुई अयोध्या और लखनऊ-गोरखपुर हाईवे है. इस हाईवे को पार करने के बाद यह 'नव्य अयोध्या' बसाई जा रही है. उन्होंने बताया कि न केवल रिहायशी, बल्कि यहां पर व्यावसायिक होटल, सराय और गेस्ट हाउस बनाए जाएंगे, जबकि इसके बीचोबीच वैदिक कर्मकांड के लिए एक विशेष स्थान का भी निर्माण किया जाना है. 'नव्य अयोध्या' में रहने वालों को आध्यात्मिक अनुभूति हो, वह यह महसूस करें कि वह राम नगरी में हैं, इसका पूरा इंतजाम किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि अलग-अलग राज्यों के गेस्ट हाउस भी यहां बनाए जाएंगे, जिनको राज्यों के नाम पर भवन के रूप में विकसित किया जाएगा. कोशिश यही है कि पूरी कॉलोनी में भवनों के मानचित्र एक तरह से पास हों. कलर थीम एक जैसी हो, जिससे पूरी दुनिया में 'नव्य अयोध्या' की एक खास पहचान बन सके.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक ड्रीम प्रोजेक्ट है. उनकी इस में विशेष रुचि है. इसलिए इस पर काम बहुत तेजी से किया जा रहा है. भूमि अर्जन का काम करीब 65 से 70 फीसद तक पूरा किया जा चुका है. इसलिए 80 फीसद भूमि अर्जित होते ही कॉलोनी का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा.
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