लखनऊ : राजधानी के प्राग नारायण रोड स्थित समाज कल्याण निदेशालय में शुक्रवार से कार्य बहिष्कार जारी है. कार्य बहिष्कार विभाग के निदेशक बालकृष्ण त्रिपाठी से प्रमुख सचिव के अभद्र टिप्पणी करने के बाद अचानक तबीयत खराब होने के बाद किया गया था. इसी मामले को लेकर विभाग के कर्मचारी नेता मंगलवार की सुबह समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री से आवास पर मिलने पहुंचे. वार्ता विफल होने के बाद सभी कर्मचारी निदेशालय पहुंचे. इसके बाद कार्य बहिष्कार जारी रहा. विभाग के नए निदेशक राकेश कुमार से दिन भर बातचीत का दौर चलता रहा.
जनवरी माह में प्रदेश प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक के खिलाफ अल्पसंख्यक विभाग के अधिकारियों ने मोर्चा खोल दिया था. प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक बीएल मीणा पर अधिकारियों ने गंभीर आरोप लगाते हुए राज्य हज समिति के दफ्तर से खदेड़ दिया था. अधिकारियों और कर्मचारियों ने प्रमुख सचिव पर गाली-गलौज और महिला कर्मचारियों से आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया था.
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प्रमुख सचिव पर लगा था बदसलूकी का आरोप
जनवरी में प्रमुख सचिव समाज कल्याण बीएल मीणा पर समाज कल्याण निदेशक बालकृष्ण त्रिपाठी से बदसलूकी करने का आरोप लगा था. बताया गया था कि शासन स्तर पर एक मीटिंग के दौरान बदसलूकी की गई थी. इस मीटिंग में विभाग के निदेशक समेत कई ऑफर पहुंचे थे. वहां किसी बात को लेकर प्रमुख सचिव मीणा नाराज हो गए थे. विभागीय अधिकारियों ने इसकी शिकायत कैबिनेट मंत्री रमापति शास्त्री और मुख्य सचिव आरके तिवारी से की थी.
दोनों आईएएस अधिकारियों के बीच चला था 'लेटर वॉर'
समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों और प्रमुख सचिव के बीच विवाद काफी समय से चला आ रहा है. फरवरी में शासन से जारी पत्र में प्रमुख सचिव समाज कल्याण निदेशक बालकृष्ण त्रिपाठी से जवाब तलब किया गया था. प्रमुख सचिव ने निदेशक पर वित्तीय अनियमितताओं लापरवाही और अनुशासनहीनता का आरोप लगाया गया था. इस मामले में प्रमुख सचिव समाज कल्याण बीएल मीणा ने निदेशक से 16 गंभीर आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा था. प्रमुख सचिव ने 10 पन्नों का पत्र भेजकर निदेशक को स्पष्टीकरण के लिए कहा था.
नए निदेशक ने संभाला कार्यभार
समाज कल्याण विभाग के निदेशक के पद पर तैनात किए गए राकेश कुमार ने मंगलवार को निदेशालय पहुंचकर अपना कार्यभार ग्रहण किया. कार्यभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने कार्य बहिष्कार कर रहे अधिकारी और कर्मचारियों से बातचीत की. हालांकि, इसका कोई हल नहीं निकला.
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बीएल मीणा का सहयोगी अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के साथ व्यवहार ठीक नहीं रहता. वह इससे पहले भी अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में तैनाती के समय अधिकारियों के साथ गलत तरीके से पेश आ चुके हैं. उनके खिलाफ मुख्य सचिव से शिकायत भी की गई थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ अगर इस प्रकार से दुर्व्यवहार और अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा, तो मनोबल टूटेगा. साथ ही शासन की जो योजनाएं हैं, वह भी ठीक ढंग से संचालित नहीं हो पाएंगी. मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को कार्रवाई करनी चाहिए.
-यादवेंद्र मिश्रा, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश सचिवालय संघ