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International Women Day : किसी ने बनाई अपनी खुद की पहचान तो कोई संभाल रहा अपने पूर्वज का काम - महिला दिवस

देश में बुधवार (8 मार्च) को होली, शब-ए-बारात के साथ-साथ महिला दिवस भी है. ईटीवी भारत आपको ऐसी महिलाओं (International Women Day) से रूबरू कराएगा. जिन्होंने समाज में अपना मुकाम हासिल किया.

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Published : Mar 8, 2023, 5:59 AM IST

लखनऊ : आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं, फिर चाहे अंतरिक्ष विज्ञान या चाहे खेल कूद हो महिलाएं कहीं पीछे नहीं हैं. आज हम आपको कुछ ऐसी ही प्रतिभाशाली महिलाओं से रूबर कराएंगे जिन्होंने समाज में अपना एक मुकाम हासिल किया है. खुद की पहचान बनाई है और अपने बुजुर्गों का नाम रोशन कर रही हैं. आज हम आपको राजधानी की महिलाओं से रूबरू करा रहे हैं जिन्होंने बहुत ही कम समय में अपना एक अलग ही मुकाम हासिल किया है. कोई महिला कला के क्षेत्र में आगे बढ़ रही है तो कोई समाज सेवा के जरिए लोगों की मदद कर रही है. इसके अलावा युवा लड़कियां सोशल मीडिया के जरिए पूरी दुनिया में अपना परचम लहरा रही हैं.

समाज सेविका वर्षा वर्मा
समाज सेविका वर्षा वर्मा

समाज सेविका वर्षा वर्मा ने बताया कि 'हमेशा से दूसरों की मदद करने के रुझान ने मुझे समाज सेविका बना दिया. मुझे दूसरों की मदद करना अच्छा लगता है. लॉकडाउन में लोग अपने घरों में कैद थे. इसी दौरान मेरी नजर एक लावारिश लाश पर पड़ी. उसका दाह संस्कार करने वाला कोई नहीं था. शहर में सामाजिक गतिविधियों में रहने वाले लोगों का भी ध्यान इस ओर नहीं गया. इसके बाद मैंने तय कर लिया कि जिसका कोई नहीं, उसका साथ दूंगी. इसके पहले भी वर्षा ऐसे ही सड़क पर मिली कई लाशों का अंतिम संस्कार करवा चुकी हैं. उनका मानना है कि लॉकडाउन एक मुश्किलों भरा पल था. इसमें उन्हें और मजबूती के साथ ऐसे लोगों के साथ खड़ा रहना चाहिए जिन्हें मदद की जरूरत है. उन्होंने कई बुजुर्ग महिलाओं को खाना-खिलाने से लेकर उन्हें नहलाने-धुलाने तक का काम भी किया है.' उन्होंने बताया कि 'कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हर घर से किसी न किसी सदस्य की मौत जरूर हुई है और उस दौरान ऐसा समय था कि कोई किसी की लाश को भी हाथ नहीं लगा रहा था, क्योंकि जिसे भी एक बार कोरोना हो रहा था उसके बचने की संभावनाएं कम हो रही थीं. इस दौरान हमने बहुत सी लावारिस लाशों का दाह संस्कार किया.' उन्होंने कहा कि 'मौजूदा समय में महिलाओं का आत्मनिर्भर होना बहुत भी जरूरी है क्योंकि जो भी व्यक्ति आत्मनिर्भर होता है उसके अंदर एक अलग लेवल का आत्मवश्वास होता है. भारत सरकार के द्वारा 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' मुहिम चलाई जा रही है, लेकिन इसमें एक शब्द और जोड़ना चाहिए 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और उन्हें आत्मनिर्भर बनाओ'. अगर एक महिला आत्मनिर्भर होगी तो अपने पूरे परिवार को शिक्षित कर सकेगी.'



सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर मीथिका द्विवेदी
सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर मीथिका द्विवेदी

सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर मीथिका द्विवेदी इस समय 11वीं की छात्रा हैं. मीथिका लखनऊ के अलीगंज की रहने वाली हैं. सोशल मीडिया पर इनके मिलियंस फॉलोअर हैं. लखनऊ के देसी अंदाज में मीथिका इंस्टाग्राम पर वीडियो बनाती थीं, फिलहाल आज मीथिका कई कंपनी से जुड़ी हुई हैं. उनके कई प्रोजेक्ट हैं जिन्हें वह फिलहाल कर रही हैं. मीथिका ने बताया कि 'सोशल मीडिया आज के समय में महिलाओं को एक मंच दे रहा है, जहां पर वह अपने टैलेंट को दिखा सकती हैं.' मीथिका ने बताया कि 'कोरोना काल के दौरान वह काफी खाली रहती थीं उस समय पर उन्होंने यूं ही सोशल मीडिया पर खुद के कंटेंट से वीडियो बनाकर इंस्टाग्राम पर पोस्ट करने लगीं. जिसे आम पब्लिक काफी पसंद करने लगी थी. यहां तक कि मीथिका के फॉलोवर में बॉलीवुड इंडस्ट्री के कई जाने-माने सेलिब्रिटी शामिल हैं जिसमें एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा, एक्टर अरबाज खान भी हैं.' मीथिका ने कहा कि 'आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं. मौजूदा समय की लड़कियां किसी डरती नहीं हैं बल्कि आत्मनिर्भर हैं. लड़कियों को हमेशा निडर होना चाहिए. समाज में पहले से अब में बहुत कुछ बदलाव आया है. आज के समय में सोशल मीडिया भी एक ऐसा जरिया है जहां पर कोई भी अपने टैलेंट को प्रस्तुत कर सकता है. जहां पर हर वर्ग के लोग आपको देखते हैं. बहुत से लोगों को यहीं से एक बढ़िया मंच मिला है. सोशल मीडिया ने बहुत से युवाओं का भविष्य संवारा है.'


प्रियम चंद्रा
प्रियम चंद्रा

वॉश पेंटिंग कलाकार प्रियम चंद्रा के नाना प्रो. सुखवीर सिंघल न सिर्फ लखनऊ बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में अपनी वॉश पेंटिंग के लिए जाने जाते हैं. प्रियम ने बताया कि 'उन्होंने बीटेक किया हुआ था और नौकरी करनी थी, लेकिन नौकरी छोड़कर उन्होंने अपने नाना के द्वारा सिखाई गई वॉश पेंटिंग को करियर के तौर पर चुना.' प्रियम ने बताया कि 'आज के दौर में जो युवा पीढ़ी है वह अपनी कला और संस्कृति को भूलती जा रही है. उनका मुख्य उद्देश्य है कि युवा पीढ़ी अपनी कला को समझे और अपनी संस्कृति को कभी न भूले.' उन्होंने कहा कि 'मैं स्वयं एक युवा हूं, समझती हूं कि कितनी तेजी से समय बदल रहा है. कला के प्रति बहुत ही कम लोगों का रुझान रहता है. हमारा उद्देश्य है कि जितने भी लोग कला प्रेमी हैं उन्हें वॉश पेंटिंग सिखाया जाए.' ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि 'आज के समय में महिलाओं का आत्मनिर्भर होना बहुत ज्यादा जरूरी है. जिस भी क्षेत्र में महिला को रूचि हो उस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए.

यह भी पढ़ें : Good News : बागवानों को इस बार बेहतर आम उत्पादन की उम्मीद

लखनऊ : आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं, फिर चाहे अंतरिक्ष विज्ञान या चाहे खेल कूद हो महिलाएं कहीं पीछे नहीं हैं. आज हम आपको कुछ ऐसी ही प्रतिभाशाली महिलाओं से रूबर कराएंगे जिन्होंने समाज में अपना एक मुकाम हासिल किया है. खुद की पहचान बनाई है और अपने बुजुर्गों का नाम रोशन कर रही हैं. आज हम आपको राजधानी की महिलाओं से रूबरू करा रहे हैं जिन्होंने बहुत ही कम समय में अपना एक अलग ही मुकाम हासिल किया है. कोई महिला कला के क्षेत्र में आगे बढ़ रही है तो कोई समाज सेवा के जरिए लोगों की मदद कर रही है. इसके अलावा युवा लड़कियां सोशल मीडिया के जरिए पूरी दुनिया में अपना परचम लहरा रही हैं.

समाज सेविका वर्षा वर्मा
समाज सेविका वर्षा वर्मा

समाज सेविका वर्षा वर्मा ने बताया कि 'हमेशा से दूसरों की मदद करने के रुझान ने मुझे समाज सेविका बना दिया. मुझे दूसरों की मदद करना अच्छा लगता है. लॉकडाउन में लोग अपने घरों में कैद थे. इसी दौरान मेरी नजर एक लावारिश लाश पर पड़ी. उसका दाह संस्कार करने वाला कोई नहीं था. शहर में सामाजिक गतिविधियों में रहने वाले लोगों का भी ध्यान इस ओर नहीं गया. इसके बाद मैंने तय कर लिया कि जिसका कोई नहीं, उसका साथ दूंगी. इसके पहले भी वर्षा ऐसे ही सड़क पर मिली कई लाशों का अंतिम संस्कार करवा चुकी हैं. उनका मानना है कि लॉकडाउन एक मुश्किलों भरा पल था. इसमें उन्हें और मजबूती के साथ ऐसे लोगों के साथ खड़ा रहना चाहिए जिन्हें मदद की जरूरत है. उन्होंने कई बुजुर्ग महिलाओं को खाना-खिलाने से लेकर उन्हें नहलाने-धुलाने तक का काम भी किया है.' उन्होंने बताया कि 'कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हर घर से किसी न किसी सदस्य की मौत जरूर हुई है और उस दौरान ऐसा समय था कि कोई किसी की लाश को भी हाथ नहीं लगा रहा था, क्योंकि जिसे भी एक बार कोरोना हो रहा था उसके बचने की संभावनाएं कम हो रही थीं. इस दौरान हमने बहुत सी लावारिस लाशों का दाह संस्कार किया.' उन्होंने कहा कि 'मौजूदा समय में महिलाओं का आत्मनिर्भर होना बहुत भी जरूरी है क्योंकि जो भी व्यक्ति आत्मनिर्भर होता है उसके अंदर एक अलग लेवल का आत्मवश्वास होता है. भारत सरकार के द्वारा 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' मुहिम चलाई जा रही है, लेकिन इसमें एक शब्द और जोड़ना चाहिए 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और उन्हें आत्मनिर्भर बनाओ'. अगर एक महिला आत्मनिर्भर होगी तो अपने पूरे परिवार को शिक्षित कर सकेगी.'



सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर मीथिका द्विवेदी
सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर मीथिका द्विवेदी

सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर मीथिका द्विवेदी इस समय 11वीं की छात्रा हैं. मीथिका लखनऊ के अलीगंज की रहने वाली हैं. सोशल मीडिया पर इनके मिलियंस फॉलोअर हैं. लखनऊ के देसी अंदाज में मीथिका इंस्टाग्राम पर वीडियो बनाती थीं, फिलहाल आज मीथिका कई कंपनी से जुड़ी हुई हैं. उनके कई प्रोजेक्ट हैं जिन्हें वह फिलहाल कर रही हैं. मीथिका ने बताया कि 'सोशल मीडिया आज के समय में महिलाओं को एक मंच दे रहा है, जहां पर वह अपने टैलेंट को दिखा सकती हैं.' मीथिका ने बताया कि 'कोरोना काल के दौरान वह काफी खाली रहती थीं उस समय पर उन्होंने यूं ही सोशल मीडिया पर खुद के कंटेंट से वीडियो बनाकर इंस्टाग्राम पर पोस्ट करने लगीं. जिसे आम पब्लिक काफी पसंद करने लगी थी. यहां तक कि मीथिका के फॉलोवर में बॉलीवुड इंडस्ट्री के कई जाने-माने सेलिब्रिटी शामिल हैं जिसमें एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा, एक्टर अरबाज खान भी हैं.' मीथिका ने कहा कि 'आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं. मौजूदा समय की लड़कियां किसी डरती नहीं हैं बल्कि आत्मनिर्भर हैं. लड़कियों को हमेशा निडर होना चाहिए. समाज में पहले से अब में बहुत कुछ बदलाव आया है. आज के समय में सोशल मीडिया भी एक ऐसा जरिया है जहां पर कोई भी अपने टैलेंट को प्रस्तुत कर सकता है. जहां पर हर वर्ग के लोग आपको देखते हैं. बहुत से लोगों को यहीं से एक बढ़िया मंच मिला है. सोशल मीडिया ने बहुत से युवाओं का भविष्य संवारा है.'


प्रियम चंद्रा
प्रियम चंद्रा

वॉश पेंटिंग कलाकार प्रियम चंद्रा के नाना प्रो. सुखवीर सिंघल न सिर्फ लखनऊ बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में अपनी वॉश पेंटिंग के लिए जाने जाते हैं. प्रियम ने बताया कि 'उन्होंने बीटेक किया हुआ था और नौकरी करनी थी, लेकिन नौकरी छोड़कर उन्होंने अपने नाना के द्वारा सिखाई गई वॉश पेंटिंग को करियर के तौर पर चुना.' प्रियम ने बताया कि 'आज के दौर में जो युवा पीढ़ी है वह अपनी कला और संस्कृति को भूलती जा रही है. उनका मुख्य उद्देश्य है कि युवा पीढ़ी अपनी कला को समझे और अपनी संस्कृति को कभी न भूले.' उन्होंने कहा कि 'मैं स्वयं एक युवा हूं, समझती हूं कि कितनी तेजी से समय बदल रहा है. कला के प्रति बहुत ही कम लोगों का रुझान रहता है. हमारा उद्देश्य है कि जितने भी लोग कला प्रेमी हैं उन्हें वॉश पेंटिंग सिखाया जाए.' ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि 'आज के समय में महिलाओं का आत्मनिर्भर होना बहुत ज्यादा जरूरी है. जिस भी क्षेत्र में महिला को रूचि हो उस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए.

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