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राजधानी में महिलाएं धड्ल्ले से चला रही हैं नशे का कारोबार, देखें वीडियो... - मवैया क्रॉसिंग बस्ती

लखनऊ स्थित थाना आलमबाग इन दिनों मादक पदार्थो की बिक्री का गढ़ बना हुआ है. आप भी देखिए वीडियो में कैसे महिलाएं चरस, गांजा और स्मैक की धड़ल्ले से बिक्री कर रही हैं.

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Published : Jan 5, 2022, 10:08 AM IST

लखनऊ: राजधानी लखनऊ स्थित थाना आलमबाग इन दिनों मादक पदार्थो की बिक्री का गढ़ बना हुआ है. थाना क्षेत्र में चरस, गांजा और स्मैक की बिक्री धड़ल्ले से जारी है. हैरान करने वाली बात यह है कि इलाके में जहरीले मादक पदार्थ का कारोबार करने वाली महिलाएं है. जो नौनिहालों को गोद में लेकर नशे का धंधा कर रही हैं.

मामले की जानकारी होते ही ईटीवी भारत की टीम खुफिया कैमरे के साथ थाना आलमबाग इलाके की इस मवैया क्रॉसिंग बस्ती की हकीकत जानने के लिये पहुंची. नशे के सामग्री बेचने के लिए मशहूर ये बस्ती रेलवे के स्पोर्ट्स स्टेडियम व रेलवे क्रॉसिंग के बीच में बसी है. इस बस्ती में रहने वाली महिलाएं व छोटे-छोटे बच्चे तक गांजा, चरस, स्मैक की सप्लाई करते हैं. यही नहीं इन परिवारों आदमी शहर के लिस्टिड नशा माफियाओं से चरस, गांजा व स्मैक की खेप इस बस्ती में पहुंचाने का काम कर रहे है.

वीडियो.

लखनऊ के आलमबाग थाना अंतर्गत आने वाली इस नशाखोरों की इस बस्ती में पुलिस का तो कोई खौफ है ही नहीं. ईटीवी भारत की टीम इस बस्ती में एक अनजान चेहरा थी, इसके बावजूद इस बस्ती में नशा का कारोबार करने वाली महिलाएं बिल्कुल नहीं डरी बल्कि हमें नशे का ग्राहक समझ कर तत्काल हमसे पूंछने लगे कि कौन सा नशा चाहिए?

क्या है नशे का रेट ?
नशे की इस बस्ती में गांजा की 5 ग्राम की पुड़िया 70 रुपये, स्मैक की एक ग्राम की पुड़िया 120 -150 रुपये और चरस की दो ग्राम की पुड़िया 100 रुपये में आसानी से बेची जा रही है। यहीं नही इस बस्ती में बाकायदा आपको झोपड़ी में बने घरों में बैठ कर नशा करवाने की सुविधा दी जाती है। हांलकि उसके लिए अलग से पैसे खर्च करने होंगे।

क्या कहते है जिम्मेदार ?
डीसीपी मध्य अपर्णा गौतम के मुताबिक, समय समय पर ऐसे लोगों की धड़पकड़ करने के लिए पुलिस टीम छापेमारी करती रहती है। इसी इलाके से हालहीं में आधा दर्जन लोगों को मादक पदार्थ की बिक्री करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। डीसीपी के मुताबिक, ये पुलिस टीम को कई बार सूचना मिली है कि कई महिलाएं भी बच्चों को लेकर गांजा और चरस की बिक्री कर रही है। जल्द ही इस पूरे रैकेट को जड़ से खत्म किया जा रहा है। अपर्णा गौतम ने कहा कि वो चाहती है कि इन झोपड़पट्टी तक गांजा सप्लाई करने वालों की चेन को पता लगाने में उनकी टीम लगी हुई है और जल्द ही उन्हें पकड़ा जाएगा.

बीते साल 75 करोड़ के मादक पदार्थों को STF ने पकड़ा

सूबे की राजधानी समेत रायबरेली, औरैया, इटावा, एटा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, आगरा समेत कई जिले नशे के बड़े बाजार के रूप में तब्दील हो गए हैं। इन स्थानों में उड़ीसा और छतीसगढ़ से गांजा सप्लाई किया जा रहा है। ऐसा नही है कि यूपी पुलिस ख़ासतौर पर एसटीएफ इन नशे की सामग्री के तस्करों पर लगाम नही लगाती है। पिछले एक साल में 138 मादक पदार्थों के तस्करों को गिरफ्तार किया गया। वहीं लगभग 8 करोड़ की कीमत का 228 किलो चरस, 18 हजार किलो गांजा जिसकी कीमत 38 करोड़ से ज्यादा थी , 5 किलो स्मैक और 2500 किलो डोडा बरामद किया है। इन सब के बाद भी अभी भी लगातार राजधानी में नशे का धंधा फलफूल रहा है.

इसे भी पढे़ं- नशे को लेकर सांसद कौशल किशोर की लोगों से अपील, बोले- घर पर सेलिब्रेट करें न्यू ईयर

लखनऊ: राजधानी लखनऊ स्थित थाना आलमबाग इन दिनों मादक पदार्थो की बिक्री का गढ़ बना हुआ है. थाना क्षेत्र में चरस, गांजा और स्मैक की बिक्री धड़ल्ले से जारी है. हैरान करने वाली बात यह है कि इलाके में जहरीले मादक पदार्थ का कारोबार करने वाली महिलाएं है. जो नौनिहालों को गोद में लेकर नशे का धंधा कर रही हैं.

मामले की जानकारी होते ही ईटीवी भारत की टीम खुफिया कैमरे के साथ थाना आलमबाग इलाके की इस मवैया क्रॉसिंग बस्ती की हकीकत जानने के लिये पहुंची. नशे के सामग्री बेचने के लिए मशहूर ये बस्ती रेलवे के स्पोर्ट्स स्टेडियम व रेलवे क्रॉसिंग के बीच में बसी है. इस बस्ती में रहने वाली महिलाएं व छोटे-छोटे बच्चे तक गांजा, चरस, स्मैक की सप्लाई करते हैं. यही नहीं इन परिवारों आदमी शहर के लिस्टिड नशा माफियाओं से चरस, गांजा व स्मैक की खेप इस बस्ती में पहुंचाने का काम कर रहे है.

वीडियो.

लखनऊ के आलमबाग थाना अंतर्गत आने वाली इस नशाखोरों की इस बस्ती में पुलिस का तो कोई खौफ है ही नहीं. ईटीवी भारत की टीम इस बस्ती में एक अनजान चेहरा थी, इसके बावजूद इस बस्ती में नशा का कारोबार करने वाली महिलाएं बिल्कुल नहीं डरी बल्कि हमें नशे का ग्राहक समझ कर तत्काल हमसे पूंछने लगे कि कौन सा नशा चाहिए?

क्या है नशे का रेट ?
नशे की इस बस्ती में गांजा की 5 ग्राम की पुड़िया 70 रुपये, स्मैक की एक ग्राम की पुड़िया 120 -150 रुपये और चरस की दो ग्राम की पुड़िया 100 रुपये में आसानी से बेची जा रही है। यहीं नही इस बस्ती में बाकायदा आपको झोपड़ी में बने घरों में बैठ कर नशा करवाने की सुविधा दी जाती है। हांलकि उसके लिए अलग से पैसे खर्च करने होंगे।

क्या कहते है जिम्मेदार ?
डीसीपी मध्य अपर्णा गौतम के मुताबिक, समय समय पर ऐसे लोगों की धड़पकड़ करने के लिए पुलिस टीम छापेमारी करती रहती है। इसी इलाके से हालहीं में आधा दर्जन लोगों को मादक पदार्थ की बिक्री करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। डीसीपी के मुताबिक, ये पुलिस टीम को कई बार सूचना मिली है कि कई महिलाएं भी बच्चों को लेकर गांजा और चरस की बिक्री कर रही है। जल्द ही इस पूरे रैकेट को जड़ से खत्म किया जा रहा है। अपर्णा गौतम ने कहा कि वो चाहती है कि इन झोपड़पट्टी तक गांजा सप्लाई करने वालों की चेन को पता लगाने में उनकी टीम लगी हुई है और जल्द ही उन्हें पकड़ा जाएगा.

बीते साल 75 करोड़ के मादक पदार्थों को STF ने पकड़ा

सूबे की राजधानी समेत रायबरेली, औरैया, इटावा, एटा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, आगरा समेत कई जिले नशे के बड़े बाजार के रूप में तब्दील हो गए हैं। इन स्थानों में उड़ीसा और छतीसगढ़ से गांजा सप्लाई किया जा रहा है। ऐसा नही है कि यूपी पुलिस ख़ासतौर पर एसटीएफ इन नशे की सामग्री के तस्करों पर लगाम नही लगाती है। पिछले एक साल में 138 मादक पदार्थों के तस्करों को गिरफ्तार किया गया। वहीं लगभग 8 करोड़ की कीमत का 228 किलो चरस, 18 हजार किलो गांजा जिसकी कीमत 38 करोड़ से ज्यादा थी , 5 किलो स्मैक और 2500 किलो डोडा बरामद किया है। इन सब के बाद भी अभी भी लगातार राजधानी में नशे का धंधा फलफूल रहा है.

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