लखनऊ: आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति उत्तर बस्ति विधि महिलाओं की सूनी कोख भरने में वरदान साबित हो रही है. आयुर्वेदिक कॉलेज की डॉक्टर बताती हैं कि तमाम इलाज के बावजूद गर्भधारण से वंचित महिलाओं के लिए यह विधि कारगर साबित हो रही है. इनमें ऐसी महिलाएं भी शामिल हैं जो इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ के बाद भी गर्भधारण नहीं कर पाईं. राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में उत्तर वस्ति विधि से आयुर्वेदिक दवाएं और औषधीय सिंह यत तेल से इलाज किया जाता है. जिसकी बदौलत महिलाओं की कोख भर रही है. महिलाएं इस विधि के जरिए मातृत्व का सुख प्राप्त कर रही हैं. इसका इलाज आईवीएफ के महंगें इलाज से कई गुना ज्यादा सस्ता इलाज होता है.
गर्भाशय में डालते हैं औषधि
आयुर्वेदिक कॉलेज की विभागाध्यक्ष (पंचकर्म) डॉ. रेखा बाजपेयी बताती हैं कि मां बनना हर किसी का सपना होता है लेकिन कभी-कभी अनेक प्रकार की समस्याओं की वजह से यह सपना पूरा नहीं हो पाता. आयुर्वेदिक कॉलेज में हम उत्तर बस्ति विधि के द्वारा महिलाओं की सूनी कोख को भरते हैं. इसमें आयुर्वेदिक औषधियों और आयुर्वेदिक तेल को महिला के गर्भाशय में कैथिटर के द्वारा डालते हैं. इस विधि के जरिए पहले हम महिला की गर्भाशय में जो भी दिक्कत होती है उसको दूर करते हैं ताकि महिला गर्भधारण करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें. महिला के पीरियड के चार से पांच दिन बाद गर्भाशय में औषधि डाली जाती है. उन्होंने बताया कि इस विधि का पूरा समय तीन महीने का होता है. कभी-कभी इससे कम का भी होता है.
आईवीएफ से कही गुना सस्ता
डॉक्टर रेखा बताती हैं कि जब कोई महिला मां नहीं बन पाती है. उसके यूट्रस में या गर्भाशय में कोई समस्या होती है तो सबसे पहले हर किसी के दिमाग में आईवीएफ का ही ख्याल आता है लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि आईवीएफ के द्वारा फर्टिलाइजेशन कराने के बाद भी महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं. जिसका कोई फायदा नहीं मिलता और लाखो रुपए इंसान के बर्बाद हो जाते हैं. ऐसे में एक डॉक्टर होने के नाते उन्होंने सलाह दी कि लोगों को आयुर्वेदिक के ऊपर भरोसा रखना चाहिए उन्होंने कहा कि आईवीएफ से कई गुना ज्यादा सस्ती है यह आयुर्वेदिक पद्धति. एक बार आईवीएफ कराने में 5 से 6 लाख रुपये आसानी से लग जाता है. जबकि उत्तर बस्ति विधि में ज्यादा से ज्यादा औषधि का मूल्य 60 हजार ही लिया जाता है.
केस-1
14 साल बाद मिला मां बनने का सुख
आयुर्वेदिक कॉलेज की स्त्री रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. शशि शर्मा ने बताया कि आयुर्वेदिक कॉलेज में डालीगंज से हमारे पास एक ऐसा केस आया जिनको 14 साल से गर्भधारण करने में दिक्कत आ रही थी. मगर आयुर्वेदिक उतर बस्ति विधि द्वारा महिला को 14 साल बाद मातृत्व का सुख प्राप्त हुआ. महिला का इलाज करीब 3 महीने 18 दिन चला था.
केस-2
6 साल बाद हुए जुड़वा बच्चे
डॉ. शशि शर्मा बताती हैं कि आयुर्वेदिक कॉलेज के स्त्री रोग विभाग में 35 वर्षीय महिला रायबरेली से आई थी. महिला को 6 से अधिक साल हो गए थे लेकिन महिला का गर्भ नहीं ठहर रहा था. महिला के यूट्रस में दिक्कत थी. जबकि महिला ने आईवीएफ भी कराया था लेकिन सफल नहीं हुआ. जिसके बाद महिला आयुर्वेदिक कॉलेज आई यहां महिला का चार महीने इलाज चला. इसके बाद महिला ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया.