लखनऊ: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी जल्द ही यूपी के दौरे पर आने वाली हैं. हालांकि, उनके इस दौरे के दौरान सूबे की योगी सरकार उनके निशाने पर होगी, लेकिन दीदी भाजपा से अधिक कांग्रेस को कमजोर करेंगी. दरअसल, तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बड़े ही निराशा के साथ अपना दिल्ली दौरा रद्द कर दिया था और उन्होंने दो माह बाद दिल्ली जाने की जानकारी दी थी. पर अब दीदी के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में फेरबदल के संकेत मिल रहे हैं. साथ ही बताया जा रहा है कि पहले वे उत्तर प्रदेश का दौरा करेंगी.
सियासी पंडितों की मानें तो दिल्ली का सफर तभी फलदाई होता है,जब दिल्ली जाने को वाया उत्तर प्रदेश मार्ग को चुना जाए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी पहले ही इस बात को प्रमाणित कर चुके हैं.
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम तो उत्तर प्रदेश से अधिक से गोवा को अहम बता रहे हैं. उनकी मानें तो 2022 में जिस पार्टी की गोवा सरकार बनेगी, वही 2024 में दिल्ली की सत्ता पर अख्तियार कायम करेगी. बता दें कि कांग्रेस नेतृत्व ने चिदंबरम को गोवा का चुनाव प्रभारी बनाया है.
इधर, बंगाल में मिले पराजय के बाद भाजपा उत्तर प्रदेश को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है. क्योंकि इस चुनाव का सीधा असर 2024 के नतीजों पर पड़ेगा. वहीं, ममता की मंशा भी स्पष्ट है और वो भाजपा के राहों तले रोड़ा बन हर संभव खलल डालने की कोशिश कर रही हैं.
साथ ही घोषित तौर पर दीदी केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ सियासी लड़ाई लड़ रही हैं. लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से तृणमूल के कारण भाजपा से अधिक नुकसान कांग्रेस को ही हो रहा है.
गोवा से लेकर उत्तर प्रदेश तक कमोवेश एक ही स्थिति बनी हुई है. इतना ही नहीं आशंका जताई जा रही है कि असम और गोवा की तरह ही उत्तर प्रदेश में भी वैसे ही हालात बन रहे हैं.
वहीं, दीदी कहती हैं कि एक पैर से बंगाल में चित किया और अब दो पैरों से उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भाजपा को धराशाई करेंगी. इधर, भवानीपुर उपचुनाव में जीत के बाद दीदी ने अपने पूर्व निर्धारित प्लानिंग में थोड़ा परिवर्तन किया है.
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जानकारी के मुताबिक अब दीदी दिल्ली से पहले लखनऊ का रुख करेंगी. सूत्रों की मानें तो ममता 25 अक्टूबर के बाद लखनऊ का दौरा कर सकती हैं. खैर, उनके दौरे का असर भाजपा पर हो या नहीं हो, पर कांग्रेस की दीदी मुश्किलें जरूर बढ़ा सकती हैं.
जिस वाराणसी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने किसान न्याय रैली को संबोधित कर योगी और मोदी सरकार के खिलाफ जंग का एलान किया. अब उसी वाराणसी के अपने जमाने के कद्दावर नेता व पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी परिवार के ललितेशपति त्रिपाठी के तृणमूल में शामिल होने की संभावना जाहिर की जा रही है.
बता दें कि जितिन प्रसाद के बाद प्रियंका गांधी की यूपी टीम को ललितेशपति ने जोर का झटका दिया है. हालांकि, प्रियंका पहले से ही सूबे में चुनावी गठबंधन की वकालत कर रही हैं. मायावती की बसपा से तो कांग्रेस का छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है, ऐसे में प्रियंका की नजर अखिलेश की सपा पर भी है. लेकिन ममता ने वहां भी पहले ही पेंच फंसा दिया है.
चर्चा है कि ममता कुछ सीटों पर समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकती हैं. 2019 के आम चुनाव के समय से ही ममता राज्यों में मजबूत सियासी दलों के नेतृत्व में भाजपा के खिलाफ गठबंधन की पक्षधर रही हैं.
खैर, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस गठबंधन तो करना चाह रही है, लेकिन घोषित तौर पर बिहार की तरह नेतृत्व के पक्ष में नहीं लगती, ऐसे में ममता का प्रस्ताव अपने आप खारिज हो जाता है. बिहार में कांग्रेस ने चुनाव के पहले ही महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने को मंजूरी दे दी थी और चुनावों में भी वैसा ही नजारा दिखने को मिला था.
ऐसा लगता है, जो काम ममता चाहती थीं कि कांग्रेस की ओर से हो, अब उसी रणनीति के तहत तृणमूल को फिट करने की कोशिश करने जा रही हैं.
ये है दीदी का UP प्लान
दरअसल, भवानीपुर उपचुनाव के दौरान दीदी को रोम जाना था, लेकिन अनुमति न मिलने से नाराज दीदी ने जिस प्रकार से रिएक्ट किया था, उससे उनके आक्रोश को समझा जा सकता है. साथ ही उन्होंने कहा था कि कब तक रोकोगे, मैं भी देखती हूं.
बता दें कि तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी को इटली की सरकार ने रोम में आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर अतिथि शिरकत करने को आधिकारिक तौर पर आमंत्रित किया गया था. ये कार्यक्रम वैटिकन सिटी में 6-7 अक्टूबर, 2021 को होना था.
विदेश मंत्रालय ने ये कहते हुए ममता के वैटिकन दौरे को मंजूरी नहीं दी कि वो कार्यक्रम किसी राज्य के मुख्यमंत्री के शामिल होने के लेवल का नहीं है.
निशाने पर भाजपा और निगाह कांग्रेस पर!
वहीं, केंद्र से इटली जाने के लिए अनुमति न मिलने पर उन्होंने कहा था कि आप मुझे कितनी जगहों पर जाने नहीं देंगे. आप हमेशा के लिए मुझे नहीं रोक सकते. खैर, सामने से ममता ने उक्त बातें से भाजपा और मोदी सरकार के लिए कही थी, लेकिन ऐसा लगता है जैसे मन में ऐसी ही भावना कांग्रेस नेतृत्व के लिए भी रही होगी.
त्रिपुरा, असम और गोवा में सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ तैयारी दुरूस्त करने के बाद दीदी ने अब सियासी तौर पर देश के सबसे अहम सूबे उत्तर प्रदेश में भाजपा को चैलेंज करने की तैयारी कर चुकी हैं और ये कांग्रेस के लिए ऑटो-चैलेंज की तरह है.
हालांकि, असम और गोवा में कांग्रेस के नेताओं को झटकने के बाद ममता उत्तर प्रदेश में जितिन प्रसाद के बाद बड़े ब्राह्मण चेहरे ललितेशपति त्रिपाठी को अपने पाले में करने की तैयारी में हैं और अगर ऐसा होता है तो बीते सौ साल में ये पहला मौका होगा जब त्रिपाठी परिवार का कोई सदस्य कांग्रेस से हट कर सियासत को अग्रसर होगा.
इधर, लखनऊ में ललितेशपति त्रिपाठी के तृणमूल में शामिल होने की चर्चा है. ये भी चर्चा है कि उत्तर प्रदेश में पांव जमाने को ममता ललितेशपति के पिता राजेशपति त्रिपाठी को तृणमूल कोटे से राज्यसभा भी भेज सकती हैं और अखिलेश यादव की सपा के साथ चुनावी गठबंधन तो करीब-करीब पक्का ही माना जा रहा है.
ऐसे में माना जा रहा है कि ललितेशपति त्रिपाठी को आगे उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी जा सकती है. फिलहाल सूबे की जिम्मेदारी नीरज राय निभा रहे हैं. नीरज राय ने बताया कि सूबे के 35 से अधिक जिलों में संगठन तैयार है.
पार्टी में स्थानीय स्तर पर मुद्दों को उठाया जा रहा है और बंगाल की ममता सरकार की योजनाओं का भी प्रचार प्रसार किया जा रहा है.