लखनऊ: गृह मंत्री अमित शाह और ब्रू समुदाय के प्रतिनिधियों ने ब्रू शरणार्थियों के संकट को समाप्त करने और त्रिपुरा में उन्हें बसाने को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते को लेकर गृह मंत्री ने ट्वीट भी किया. शरणार्थियों के परिवार को चार लाख रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट, एक आवासीय प्लॉट, हर महीने 5,000 रुपये की नकद सहायता और 2 साल तक मुफ्त राशन दिए जाने की बात कही गई. केंद्र सरकार ने इसके लिए 600 करोड़ रुपये का पैकेज देने का एलान कर दिया है.
दरअसल ब्रू समुदाय मिजोरम का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक आदिवासी समूह है. यह आदिवासी समूह अपने आप को मयांमार के शान प्रांत का मूल निवासी मानता है. कई साल पहले ये लोग मयांमार से मिजोरम में आकर बस गए थे. वैसे तो इनकी छूटी-मोटी आबादी देश के पूरे पूर्वोत्तर में फैली हुई है, लेकिन ज्यादातर ब्रू मिजोरम के मामित और कोलासिब जिले में रहते हैं.
साल 1996 में मिजोरम में हुए ब्रू और बहुसंख्यक मीजों समुदाय के बीच सांप्रदायिक दंगे ब्रू के पलायन का मुख्य कारण बना. वक्त के साथ हालात और बिगड़ते चले गए. साल 1997 में हिंसा और भड़क गई, इन हिंसक झड़पों के बाद ब्रू समुदाय के हजारों लोग भागकर त्रिपुरा आ गए और यहां शरणार्थी शिविरों में रहने लगे. अब 23 सालों से शरणार्थी शिविरों में रह रहे इन लोगों के लिए केंद्र सरकार ने ये सौगात दी है, जिससे अब वह त्रिपुरा में ही स्थाई रूप से बस सकेंगे.