लखनऊः अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान एवं उत्तर प्रदेश जैन विद्या शोध संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में भारत रत्न बाबा साहेब अम्बेडकर की 130वीं जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान एक वेबीनार 'सामाजिक समता एवं समता के प्रतीक बाबा साहेब अम्बेडकर' विषयक सेमिनार का आयोजन 15 अप्रैल गुरुवार को हुआ. बेबिनार भदन्त शान्ति मित्र की अध्यक्षता में हुआ.
बाबा साहेब ने उदारवादी दृष्टिकोण अपनाया
वेबीनार में उत्तर प्रदेश जैन विद्या शोध संस्थान के उपाध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर अभय कुमार जैन ने कहा कि हमारे संविधान में बाबा साहेब ने सर्वधर्म समभाव का उदारवादी दृष्टिकोण अपनाया है. इसी के साथ सभी को समान अधिकार प्रदान करने का सार्थक प्रयास भी किया.
परम्पराओं को सहज संविधान की व्याख्या
बौद्ध संस्थान के उपाध्यक्ष श्री हरगोविंद कुशवाहा ने कहा कि आज बाबा साहेब ने भारतीय परम्पराओं को सहेज कर संविधान की व्याख्या की. सदस्य तरुणेश मिश्रा ने कहा कि डॉक्टर अम्बेडकर ने हमें परस्पर प्रेम का पाठ पढ़ाया.
सामाजिक समरसता के प्रतीक
सरदार प्रीतम सिंह, धर्मराज आदि ने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि बाबा साहेब अम्बेडकर सामाजिक समरसता के प्रतीक थे.
अध्यक्ष का उद्बोधन
अध्यक्षीय भाषण में भदन्त शान्ति मित्र ने कहा कि बाबा साहेब अम्बेडकर वर्तमान समय के युगपुरुष हैं. जिसने पंथ निरपेक्ष को स्वीकार कर महान कार्य किया. संस्थान के निदेशक डॉक्टर राकेश सिंह ने सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया.