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यूपी में छोटे बच्चों में टीबी की जांच का बदलेगा तरीका, भर्ती से मिलेगा छुटकारा

लखनऊ के लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की हेड डॉ दीप्ति के मुताबिक जल्द ही छोटे बच्चों की टीबी जांच का तरीका बदलेगा. इससे बच्चों को अस्तपाल में भर्ती नहीं करना पड़ेगा.

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बच्चों की टीबी जांच
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Published : Apr 11, 2022, 5:54 PM IST

लखनऊ: यूपी में अब जल्द ही छोटे बच्चों की टीबी जांच का तरीका बदलेगा. जी हां लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की हेड डॉ दीप्ति के मुताबिक वह स्टूल (मल) के जरिए बच्चों में टीबी की जांच करेगी. इसका प्रस्ताव बनाकर अफसरों को सौंपा गया है. इसके चलते समय से बच्चों की टीबी जांच हो सकेगी और साथ ही उन्हें जांच के लिए अस्पताल में भर्ती नहीं करना पड़ेगा.

पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की हेड डॉ दीप्ति के मुताबिक टीबी की जांच और इलाज की दिशा में काफी सुधार हुआ है. नई तकनीक का विकास हुआ है, जिस कल्चर और सेंसिटीविटी की जांच में 3 से 4 महीने लगता था, वह रिपोर्ट अब कुछ घंटों में ही मिल जाती है और इसके चलते टीबी से होने वाली मौतों में कमी भी आई है. उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने 2015 से 2020 तक 20 फीसदी मौतों में कमी लाने का लक्ष्य तय किया था, इसमें 11 फीसदी कम करने में सफलता हासिल हुई है.

यह भी पढ़ें- कांग्रेस नेता शाहनवाज आलम बोले, बड़प्पन के चक्कर में मुलायम को सीएम बनवाने की सजा भुगत रहे आजम

जानकारी के मुताबिक एक साल में विश्व में करीबन 15 लाख लोग टीबी से जान गंवा रहे हैं. इसमें भारत में 4 लाख मरीजों की हर साल टीबी से मौत हो रही है. जबकि यूपी में हर साल एक लाख टीबी मरीजों की सांसे थम रही हैं. केंद्र सरकार ने बीमारी से हो रही जनहानि को समझा, ऐसे में प्रधानमंत्री ने 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है.

यूपी में टीबी के इलाज की व्यवस्था

लखनऊ: यूपी में अब जल्द ही छोटे बच्चों की टीबी जांच का तरीका बदलेगा. जी हां लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की हेड डॉ दीप्ति के मुताबिक वह स्टूल (मल) के जरिए बच्चों में टीबी की जांच करेगी. इसका प्रस्ताव बनाकर अफसरों को सौंपा गया है. इसके चलते समय से बच्चों की टीबी जांच हो सकेगी और साथ ही उन्हें जांच के लिए अस्पताल में भर्ती नहीं करना पड़ेगा.

पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की हेड डॉ दीप्ति के मुताबिक टीबी की जांच और इलाज की दिशा में काफी सुधार हुआ है. नई तकनीक का विकास हुआ है, जिस कल्चर और सेंसिटीविटी की जांच में 3 से 4 महीने लगता था, वह रिपोर्ट अब कुछ घंटों में ही मिल जाती है और इसके चलते टीबी से होने वाली मौतों में कमी भी आई है. उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने 2015 से 2020 तक 20 फीसदी मौतों में कमी लाने का लक्ष्य तय किया था, इसमें 11 फीसदी कम करने में सफलता हासिल हुई है.

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जानकारी के मुताबिक एक साल में विश्व में करीबन 15 लाख लोग टीबी से जान गंवा रहे हैं. इसमें भारत में 4 लाख मरीजों की हर साल टीबी से मौत हो रही है. जबकि यूपी में हर साल एक लाख टीबी मरीजों की सांसे थम रही हैं. केंद्र सरकार ने बीमारी से हो रही जनहानि को समझा, ऐसे में प्रधानमंत्री ने 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है.

यूपी में टीबी के इलाज की व्यवस्था

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