लखनऊ: शुद्ध पेयजल योजना के तहत गांव-गांव और शहर-शहर जनता को पानी पहुंचाने के लिए टंकी का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन राजधानी के ही एक गांव में पिछले कई सालों से पानी की टंकी महज शोपीस बनकर खड़ी हुई है. यहां न तो लोगों तक शुद्ध पानी पहुंच पाया है और न ही टंकी का निर्माण कार्य अब तक पूरा हो पाया है.
पानी की समस्याओं को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा पेयजल योजना की शुरुआत की गई, जिसके तहत घर-घर, गांव-गांव शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए टंकी का निर्माण शुरू किया गया. ऐसी ही एक पानी की टंकी राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज विकासखंड के अंतर्गत आने वाले निगोहा गांव में बनना शुरू हुई. सरकारें बदल गईं, लेकिन टंकी से पानी लोगों के घर तक नहीं पहुंच पाया.
निगोहा गांव में करीब 5 साल पहले टंकी का निर्माण शुरू हुआ था. इस टंकी की कीमत औसतन 2 से ढाई करोड़ की है, लेकिन अब तक न तो लोगों के घरों तक पानी पहुंच पाया है और न ही कस्बे में सप्लाई की लाइन. वहीं जब कर्मचारियों से हमने बात की तो उन्होंने भी कोई सही जवाब नहीं दिया. बताते चलें कि ऑपरेटर के बिना ही टंकी की सप्लाई की जाने की बात कर्मचारी ने कही है.
वहीं जब हमने ग्रामीणों से बात की तो उनका कहना है कि 5 सालों से उनके दरवाजों पर नल तो लगा दिए गए हैं, लेकिन पानी की एक बूंद भी उस नल से अब तक नहीं निकल पाई है. पानी की टंकी हो या दरवाजे पर लगा सरकारी नल, सभी शो पीस बने हुए हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि पानी तो हमें नहीं मिला, लेकिन टंकी की सप्लाई के लिए जो रोड खोदी गई थी, वह भी अब तक दुरुस्त नहीं हो पाई है. आए दिन लोग इन गड्ढों की वजह से दुर्घटना का शिकार हुआ करते हैं.
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राजधानी लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र में शुद्ध पेयजल योजना के तहत शुरू किया गया टंकी का निर्माण तो पूरा हो गया है, लेकिन पिछले 5 सालों में लोगों के घरों तक पानी की एक बूंद तक नहीं पहुंच पाई है. ग्रामीणों का कहना है कि इतने सालों में पानी तो नहीं आया, लेकिन उनके गांव की सड़कें पाइप लाइन बिछाने के कारण जो खोदी गई थी, वह भी अब तक दुरुस्त नहीं हो पाई है.
ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि जहां एक तरफ सरकार घर-घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने की बात कह रही है. वहीं करोड़ों की लागत से बनी टंकी से कब ग्रामीणों को पानी मिल पाता है.