लखनऊ: शहर को साफ-सुथरा रखने के लिए मोहनलागंज में कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट रीसाइक्लिंग प्लांट स्थापित किया गया था. बिजली बिल बकाया होने पर अब इसकी बिजली कट गयी (Waste recycling plant power cut in Lucknow) है. प्लांट पर करीब 80 हजार रुपये का बिजली बिल बकाया है. 100 टन क्षमता का यह प्लांट अभी पूरी तरह से संचालित भी नहीं हो सका है. इसके अलावा नगर निगम के इंजीनियरों के खेल से प्लांट शुरू होने से पहले ही बंद होने की कगार पर है. जोंस में उत्पन्न होने वाले सीएंडडी वेस्ट को नगर अभियंता प्लांट तक नहीं पहुंंचा पा रहे हैं. इस वजह से प्लांट का संचालन ठप है.
अब बिजली बिल बकाया होने पर विभाग ने कनेक्शन काट दिया है. इससे प्लांट पूरी तरह से बंद है. पयार्वरण अभियंता संजीव प्रधान ने बताया कि बिल जमा किया जाएगा. अभी पूरी क्षमता से प्लांट नहीं चल रहा है. इंजीनियरों को वेस्ट मैटेरियल प्लांट पहुंचाने को कहा गया है. यहां मलबे का वैज्ञानिक तरीके से शत प्रतिशत निस्तारण व पुनर्चक्रण की व्यवस्था है. नए मकान बनाने व पुराने को ढहाकर नये निर्माण में बड़ी मात्रा में वेस्ट बिल्डिंग मेटेरियल निकलता है. इसका कोई इस्तेमाल न होने पर लोग इधर-उधर फेंक देते हैं जो कि जल निकासी के लिए परेशानी खड़ी करता है.
इस समस्या के निराकरण के लिए शहर में कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन वेस्ट (सीएंडडी) प्लांट बनाया गया है. रायबरेली रोड पर मोहनलालगंज स्थित हरिकंशगढ़ी में एक प्लांट का निर्माण कराया गया है. इस प्लांट में 100 टन प्रतिदिन वेस्ट मेटेरियल का निस्तारण हो सकेगा. इसे बनाने में करीब 1.20 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. इसे दिसंबर 2021 तक बनकर तैयार हो जाना था, लेकिन प्लांट अभी तक पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहा है. प्लांट के तैयार होने के बाद भी घर से निकलने वाले मैटेरियल वेस्ट को सड़क पर या फिर खाली प्लॉट में फेंक दिया जा रहा है.
नगर निगम के इंजीनियर, मेट मलबा निस्तारण में खेल कर रहे हैं. इसे प्लांट न पहुंचाकर बेच दिया जा रहा है. स्थिति यह है कि प्लांट पर मलबा न पहुंचने से प्लांट चालू नहीं हो रहा है. पर्यावरण अभियंता संजीव प्रधान की ओर से सभी नगर अभियंताओं को कई पत्र लिखे जा चुके हैं. 28 अप्रैल को लिखे गए पत्र के अनुसार जोन में निकलने वाले निर्माण व विध्वंस अपशिष्ट के वैज्ञानिक निस्तारण व पुनर्चक्रण के लिए प्लांट में पहुंचाए जाने को कहा गया था जो कि नहीं किया जा रहा है. इस कारण प्लांट आपॅरेटर की ओर से प्लांट संचालन में असमर्थता व्यक्त की गयी है. प्लांट तक सीएंडडी वेस्ट को पहुंचाया जाना नगर निगम का दायित्व है. स्वच्छ सर्वेक्षण पर इसका असर पड़ेगा.
नेशनल एयर क्लीन प्रोग्राम के अंतर्गत मोहनलालगंज के हरिकंशगढी गांव में प्लांट की स्थापना के लिए 8 मार्च 2021 को मेसर्स जागृति इन्फ्राटेक प्रा. लि. के साथ नगर निगम ने अनुबंध किया था. मुख्य प्लांट पर बिजली कनेक्शन, सड़क निर्माण का कार्य व धर्म कांटा व अन्य सम्बंधित कार्य न होने पर एजेंसी को नोटिस दी गई थी. इसके चलते स्वच्छता सर्वेक्षण के अंतर्गत सीएंडडी वेस्ट के प्रसंस्करण प्लांट की स्थापना एवं कार्य से प्राप्त होने वाले अंक नहीं मिले थे. यही वजह रही कि शहर की स्वच्छता रैकिंग पर भी इसका असर पड़ा. प्लांट चालू होने में देरी के चलते एजेंसी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था. लगातार नोटिसों के बाद बीते साल प्लांट बनकर तैयार हुआ तो इंजीनियर यहां मलबा नहीं पहुंचा रहे हैं.
वेस्ट बिल्डिंग मेटेरियल से बनेंगे ईंटे, टाइल्स और ढक्कन: दावा किया गया था कि शहर से मलबे को कलेक्ट करने के लिए शहर में आठ कलेक्शन वेस्ट प्वांइट भी बनेंगे. यहां से वेस्ट मैटेरियल को सीधे प्लांट में भिजवाया जाएगा. जहां वेस्ट को उपयोगी ठोस चीजों में बदला जाएगा. जैसे मैटेरियल वेस्ट से ईंटे, टाइल्स, मेनहोल के ढक्कन आदि का निर्माण कराया जाएगा. सड़क पर मलबा फेंकने वालों से जुर्माना वसूले जाने का नियम है. करीब पचास हजार रुपये तक जुर्माना निर्धारित है. इसमें भी लापरवाही बरती जा रही है.
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