लखनऊ: शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी कुरान से 26 आयतों को हटाए जाने की अपनी मांग को लेकर अब युनाइटेड नेशन्स ह्यूमन राइट्स के दर पहुंच गए हैं. वसीम रिजवी ने इससे पहले देश की सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने उन पर जुर्मना लगाकर याचिका को खारिज कर दिया था.
अपने विवादित बयानों से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने कुरान से 26 आयतों को हटाने और मदरसों में कुरान की शिक्षा दिए जाने पर रोक लगाने की मांग की है. वसीम रिजवी ने यह मांग युनाइटेड नेशन्स ह्यूमन राइट्स में शिकायत कर उठाई है. बुधवार को वसीम रिजवी ने अपने बयान में कहा कि मैंने युनाइटेड नेशन ह्यूमन राइट्स में भारत सहित 52 मुस्लिम देशों में संचलित मदरसों में कुरान की शिक्षा को बंद किए जाने के सम्बन्ध में शिकायत दर्ज कराई है.
'कुरान पर प्रतिबंध लगाना बेहद जरूरी'
वसीम रिजवी ने विवादित टिप्पणी करते हुए कहा कि कुरान आतंक की शिक्षा देता है. मदरसों के माध्यम से पूरी दुनिया में कुरान कि दी जा रही शिक्षा एक चैलेंज है. क्योंकि अगर कुरान कि शिक्षा रोकी नहीं गई या फिर कुरान से 26 आयतें हटाई नहीं गई तो पूरी दुनिया में जल्द ही मुसलमान बनाम गैर मुसलमान जंग शुरू हो जाएगी. वसीम रिजवी ने कहा कि दुनिया में शांति के लिए कुरान पर प्रतिबंध लगाना बेहद जरूरी है.
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बता दें कि पिछले दिनों शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कुरान की आयतों का मामला उठाया था. जिसके बाद वसीम रिजवी ने कुरान से 26 आयतें हटवा कर एक नई कुरान लिखी थी. वसीम रिजवी के मुताबिक, मुसलमानों के आखिरी रसूल मोहम्मद के बाद कुरान-ए-मजीद को आखिरी बार इस्लाम के तीसरे खलीफा उस्मान ने तैयार कराया था, जिसे अब तक अल्लाह की किताब मानकर पढ़ा जा रहा है. कुरान-ए-मजीद की इन 26 आयतों में चरमपंथी को बढ़ावा मिल रहा है. उन्होंने कुरान की 26 आयतों की वजह मुस्लिम समाज में आतंकी विचारधारा पैदा होने का आरोप लगाया.
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कल भी दिया था विवादित बयान
वहीं 13 जुलाई को शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने विवादित बयान देकर इस्लाम धर्म पर टिप्पणी की थी. वसीम रिजवी ने बयान जारी कर कहा था कि इस्लाम में ह्यूमन राइट्स नाम की कोई चीज ही नहीं है. मुसलमान ज्यादा बच्चे पैदा कर आतंकी फौज बनाना चाहते हैं. वसीम रिजवी ने विवादित बयान देते हुए कहा कि मुसलमानों का यह सोचना है कि पहले तो ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करो, फिर उनको मदरसों में आतंकी शिक्षा दो. उसके बाद उनको आतंक से जोड़कर पूरी दुनिया में एक बड़ी फौज तैयार करो जो अल्लाह के नाम पर शहीद हो जाए.