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बदलते मौसम ने किया बीमार, बुखार व आई फ्लू के मरीज बढ़े, इन बातों का रखें ख्याल

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 22, 2023, 7:46 PM IST

मौसम में बदलाव के बाद वायरल फीवर का प्रकोप लोगों में तेजी से फैल रहा है. राजधानी के अस्पतालों की ओपीडी में भी मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है.

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चिकित्सकों ने दी सलाह

लखनऊ : मौसम में परिवर्तन होता है तो सर्दी, जुखाम, बुखार व वायरल बीमारी लोगों को होती है. अगर घर के किसी एक व्यक्ति को इंफेक्शन हुआ है तो वह तेजी से घर के बाकी सदस्यों को भी अपनी चपेट में ले लेता है. मौजूदा समय में कभी बारिश हो रही है, कभी मौसम पूरा गर्म है, मानसून परिवर्तन के कारण इन दिनों अस्पताल की ओपीडी में काफी भीड़ हो रही है. ज्यादातर मरीज त्वचा रोग और वायरल बुखार से पीड़ित हो रहे हैं. इस मौसम में होने वाले वायरल फीवर में मरीजों को उल्टी, दस्त, मन मचलना, घबराहट, बेचैनी हो रही है. डॉक्टरों के मुताबिक, वातावरण में मौजूद नमी से फंगल इंफेक्शन के मरीज बढ़ रहे हैं. इसके अलावा कीड़े काटने के मामले भी ज्यादा आ रहे हैं. इसी तरह नमी के कारण कंजक्टिवाइटिस की परेशानी भी बढ़ रही है.

अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी
अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी

डॉक्टरों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकारी अस्पतालों में त्वचा रोग विभाग की ओपीडी में बीते एक हफ्ते में ऐसे मरीजों की संख्या 20 फीसदी तक बढ़ी है. यही हाल नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में कंजक्टिवाइटिस के मरीजों का है. इस समय जिला अस्पतालों की कुछ ओपीडी मरीजों से भरी है, जिसमें फिजिशियन, नेत्र रोग, त्वचा रोग, कार्डियक व चेस्ट फिजिशियन की ओपीडी शामिल है. बदलते मौसम में मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है.

अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी
अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी

इन बातों का रखें ख्याल : सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि 'मौसम में जब भी परिवर्तन होता है उस समय सीजनल वायरल फीवर तेजी से फैलता है. जब गर्मी से बरसात ऋतु आती है, उस समय त्वचा से संबंधित रोग तेजी से फैलते हैं. इसके अलावा अस्पतालों में उल्टी, दस्त, बुखार वाले मरीज तेजी से बढ़ जाते हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि जब बारिश होती है, उस समय साफ सफाई अच्छे से नहीं होती है. मच्छर पनपते हैं, जिसके कारण यह बीमारियां होती हैं. ऐसे में लोगों को ध्यान देना चाहिए कि इस मौसम में अपने घर की साफ-सफाई अच्छे से करें ताकि वहां पर मच्छर न पनपें. अगर कहीं गढ्ढा है और पानी भरा हुआ है तो उसे साफ कर दें. कूलर में पानी भर के न रखें, समय-समय पर कूलर का पानी बदलते रहें. बच्चों के साथ साथ खुद भी फुल बांह का कपड़ा पहनें. घर के बाहर जा रहे हैं तो धूप से बचने का इंतजाम करें. छाता लें या फिर अपने शरीर को ढक कर चलें. इन सभी बातों के अलावा खानपान का भी विशेष ख्याल रखें. उन्होंने कहा कि यह सब बीमारी इधर-उधर का खाना खाने और साफ सफाई नहीं होने के कारण होती है तो इसलिए बाहर या पार्टी में खाना खाने से बचें. फ्रिज में रखा हुआ भोजन न करें.'

अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी
अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी
अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी
अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी


बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. अतुल अग्निहोत्री ने बताया कि 'यहां कंजक्टिवाइटिस के रोजाना सात से आठ मरीज ही आ रहे हैं. बिना इलाज के फंगल इंफेक्शन ठीक नहीं होता है.' केजीएमयू की त्वचा स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ. पाल ने बताया कि 'बारिश के मौसम में कीड़ों के काटने से भी स्किन एलर्जी होती है. इससे त्वचा में सूजन और रैशेज हो सकते हैं. कभी-कभी जी मिचलाना या हल्का बुखार भी हो सकता है.' बलरामपुर अस्पताल के स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ. मसूद उस्मानी ने बताया कि 'फंगल इंफेक्शन बिना इलाज के ठीक नहीं होता, वहीं बरसाती कीड़े काटने को 'इंसेक्ट बाइट आईटीआर रिएक्शन' कहते है. अगर कीड़ा स्किन में रगड़ जाए या रंग जाए तो स्किन में केमिकल बर्न हो जाता है, इससे स्किन लाल हो जाती है और जलन होने लगती है. सही समय पर इलाज करवाने से यह तीन से चार दिन में आसानी से ठीक हो जाता है.'

यह भी पढ़ें : बच्चों को नशामुक्त बनाने के लिए बाल आयोग कर रहा मदद, विशेषज्ञ से जानें कैसे छुड़ाएं लत

चिकित्सकों ने दी सलाह

लखनऊ : मौसम में परिवर्तन होता है तो सर्दी, जुखाम, बुखार व वायरल बीमारी लोगों को होती है. अगर घर के किसी एक व्यक्ति को इंफेक्शन हुआ है तो वह तेजी से घर के बाकी सदस्यों को भी अपनी चपेट में ले लेता है. मौजूदा समय में कभी बारिश हो रही है, कभी मौसम पूरा गर्म है, मानसून परिवर्तन के कारण इन दिनों अस्पताल की ओपीडी में काफी भीड़ हो रही है. ज्यादातर मरीज त्वचा रोग और वायरल बुखार से पीड़ित हो रहे हैं. इस मौसम में होने वाले वायरल फीवर में मरीजों को उल्टी, दस्त, मन मचलना, घबराहट, बेचैनी हो रही है. डॉक्टरों के मुताबिक, वातावरण में मौजूद नमी से फंगल इंफेक्शन के मरीज बढ़ रहे हैं. इसके अलावा कीड़े काटने के मामले भी ज्यादा आ रहे हैं. इसी तरह नमी के कारण कंजक्टिवाइटिस की परेशानी भी बढ़ रही है.

अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी
अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी

डॉक्टरों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकारी अस्पतालों में त्वचा रोग विभाग की ओपीडी में बीते एक हफ्ते में ऐसे मरीजों की संख्या 20 फीसदी तक बढ़ी है. यही हाल नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में कंजक्टिवाइटिस के मरीजों का है. इस समय जिला अस्पतालों की कुछ ओपीडी मरीजों से भरी है, जिसमें फिजिशियन, नेत्र रोग, त्वचा रोग, कार्डियक व चेस्ट फिजिशियन की ओपीडी शामिल है. बदलते मौसम में मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है.

अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी
अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी

इन बातों का रखें ख्याल : सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि 'मौसम में जब भी परिवर्तन होता है उस समय सीजनल वायरल फीवर तेजी से फैलता है. जब गर्मी से बरसात ऋतु आती है, उस समय त्वचा से संबंधित रोग तेजी से फैलते हैं. इसके अलावा अस्पतालों में उल्टी, दस्त, बुखार वाले मरीज तेजी से बढ़ जाते हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि जब बारिश होती है, उस समय साफ सफाई अच्छे से नहीं होती है. मच्छर पनपते हैं, जिसके कारण यह बीमारियां होती हैं. ऐसे में लोगों को ध्यान देना चाहिए कि इस मौसम में अपने घर की साफ-सफाई अच्छे से करें ताकि वहां पर मच्छर न पनपें. अगर कहीं गढ्ढा है और पानी भरा हुआ है तो उसे साफ कर दें. कूलर में पानी भर के न रखें, समय-समय पर कूलर का पानी बदलते रहें. बच्चों के साथ साथ खुद भी फुल बांह का कपड़ा पहनें. घर के बाहर जा रहे हैं तो धूप से बचने का इंतजाम करें. छाता लें या फिर अपने शरीर को ढक कर चलें. इन सभी बातों के अलावा खानपान का भी विशेष ख्याल रखें. उन्होंने कहा कि यह सब बीमारी इधर-उधर का खाना खाने और साफ सफाई नहीं होने के कारण होती है तो इसलिए बाहर या पार्टी में खाना खाने से बचें. फ्रिज में रखा हुआ भोजन न करें.'

अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी
अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी
अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी
अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी


बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. अतुल अग्निहोत्री ने बताया कि 'यहां कंजक्टिवाइटिस के रोजाना सात से आठ मरीज ही आ रहे हैं. बिना इलाज के फंगल इंफेक्शन ठीक नहीं होता है.' केजीएमयू की त्वचा स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ. पाल ने बताया कि 'बारिश के मौसम में कीड़ों के काटने से भी स्किन एलर्जी होती है. इससे त्वचा में सूजन और रैशेज हो सकते हैं. कभी-कभी जी मिचलाना या हल्का बुखार भी हो सकता है.' बलरामपुर अस्पताल के स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ. मसूद उस्मानी ने बताया कि 'फंगल इंफेक्शन बिना इलाज के ठीक नहीं होता, वहीं बरसाती कीड़े काटने को 'इंसेक्ट बाइट आईटीआर रिएक्शन' कहते है. अगर कीड़ा स्किन में रगड़ जाए या रंग जाए तो स्किन में केमिकल बर्न हो जाता है, इससे स्किन लाल हो जाती है और जलन होने लगती है. सही समय पर इलाज करवाने से यह तीन से चार दिन में आसानी से ठीक हो जाता है.'

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