लखनऊ: विजय दशमी के दिन प्रदेश के ऐतिहासिक ऐशबाग रामलीला मैदान में रावण वध के बाद, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया जाता है. यहां गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामलीला मंचन की शुरुआत की थी. उस समय जिस परिवार ने रावण का पुतला बनाया था, आज भी उसी परिवार की पांचवी पीढ़ी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है. कारीगर राजू फकीरा ने बताया कि पहले करवा चौथ के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता था, अब विजयादशमी को रावण के पुतले का दहन किया जाता है.
मथुरा में सारस्वत ब्राह्मणों ने की दशानन की पूजा
कान्हा की नगरी में दशानन की पूजा सारस्वत ब्राह्मण के लोगों ने विधि-विधान के अनुसार की. कई वर्षों से सारस्वत ब्राह्मण के लोग रावण की पूजा करते आ रहे हैं. लोगों का कहना है कि हिंदू रीति रिवाज में एक व्यक्ति का पुतला एक ही बार फूंका जा सकता है, बार-बार नहीं. इसलिए हम रावण के पुतले का भी विरोध करते हैं.
गाजीपुर में सुरक्षा कारणों से घटाई गई रावण के पुतले की ऊंचाई
गाजीपुर में 400 साल पुरानी रामलीला में आज विजयादशमी के दिन रावण का दहन रामलीला कमेटी और जिला प्रशासन की ओर से तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. पिछली बार की तुलना में रावण के पुतले की ऊंचाई 70 फीट से बढ़ाकर 73 फीट कर दी गई थी, लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर जिलाधिकारी के निर्देश पर रावण के पुतले की ऊंचाई घटाकर 60 फीट कर दी गई है.