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उत्तर प्रदेश में अलग-अलग अंदाज में मनाया गया विजयादशमी का त्योहार

उत्तर प्रदेश में जगह-जगह विजयादशमी का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. लोग अलग-अलग अंदाज और मान्यताओं के आधार पर इस पर्व को मना रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में अलग-अलग अंदाज में मनाया गया विजयादशमी का त्योहार
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Published : Oct 8, 2019, 7:56 PM IST

लखनऊ: विजय दशमी के दिन प्रदेश के ऐतिहासिक ऐशबाग रामलीला मैदान में रावण वध के बाद, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया जाता है. यहां गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामलीला मंचन की शुरुआत की थी. उस समय जिस परिवार ने रावण का पुतला बनाया था, आज भी उसी परिवार की पांचवी पीढ़ी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है. कारीगर राजू फकीरा ने बताया कि पहले करवा चौथ के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता था, अब विजयादशमी को रावण के पुतले का दहन किया जाता है.

यहां गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामलीला मंचन की शुरूआत की थी.

मथुरा में सारस्वत ब्राह्मणों ने की दशानन की पूजा
कान्हा की नगरी में दशानन की पूजा सारस्वत ब्राह्मण के लोगों ने विधि-विधान के अनुसार की. कई वर्षों से सारस्वत ब्राह्मण के लोग रावण की पूजा करते आ रहे हैं. लोगों का कहना है कि हिंदू रीति रिवाज में एक व्यक्ति का पुतला एक ही बार फूंका जा सकता है, बार-बार नहीं. इसलिए हम रावण के पुतले का भी विरोध करते हैं.

मथुरा में सारस्वत ब्राह्मणों ने की दशानन की पूजा

गाजीपुर में सुरक्षा कारणों से घटाई गई रावण के पुतले की ऊंचाई
गाजीपुर में 400 साल पुरानी रामलीला में आज विजयादशमी के दिन रावण का दहन रामलीला कमेटी और जिला प्रशासन की ओर से तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. पिछली बार की तुलना में रावण के पुतले की ऊंचाई 70 फीट से बढ़ाकर 73 फीट कर दी गई थी, लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर जिलाधिकारी के निर्देश पर रावण के पुतले की ऊंचाई घटाकर 60 फीट कर दी गई है.

गाजीपुर में सुरक्षा कारणों से घटाई गई रावण के पुतले की ऊंचाई.

लखनऊ: विजय दशमी के दिन प्रदेश के ऐतिहासिक ऐशबाग रामलीला मैदान में रावण वध के बाद, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया जाता है. यहां गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामलीला मंचन की शुरुआत की थी. उस समय जिस परिवार ने रावण का पुतला बनाया था, आज भी उसी परिवार की पांचवी पीढ़ी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है. कारीगर राजू फकीरा ने बताया कि पहले करवा चौथ के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता था, अब विजयादशमी को रावण के पुतले का दहन किया जाता है.

यहां गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामलीला मंचन की शुरूआत की थी.

मथुरा में सारस्वत ब्राह्मणों ने की दशानन की पूजा
कान्हा की नगरी में दशानन की पूजा सारस्वत ब्राह्मण के लोगों ने विधि-विधान के अनुसार की. कई वर्षों से सारस्वत ब्राह्मण के लोग रावण की पूजा करते आ रहे हैं. लोगों का कहना है कि हिंदू रीति रिवाज में एक व्यक्ति का पुतला एक ही बार फूंका जा सकता है, बार-बार नहीं. इसलिए हम रावण के पुतले का भी विरोध करते हैं.

मथुरा में सारस्वत ब्राह्मणों ने की दशानन की पूजा

गाजीपुर में सुरक्षा कारणों से घटाई गई रावण के पुतले की ऊंचाई
गाजीपुर में 400 साल पुरानी रामलीला में आज विजयादशमी के दिन रावण का दहन रामलीला कमेटी और जिला प्रशासन की ओर से तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. पिछली बार की तुलना में रावण के पुतले की ऊंचाई 70 फीट से बढ़ाकर 73 फीट कर दी गई थी, लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर जिलाधिकारी के निर्देश पर रावण के पुतले की ऊंचाई घटाकर 60 फीट कर दी गई है.

गाजीपुर में सुरक्षा कारणों से घटाई गई रावण के पुतले की ऊंचाई.
Intro:विजय दशमी के दिन आज ऐतिहासिक ऐशबाग राम लीला मैदान में रावध वध के बाद रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया जाएगा। यहां गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामलीला मंचन की शुरूआत की थी। उस समय जिस परिवार ने रावण का पुतला बनाया था। आज भी उसी परिवार की पांचवी पीढ़ी इस परम्परा को आगे बढ़ा रही है। कारीगर राजू फकीरा ने बताया कि पहले करवा चौथ के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता था, अब विजय दशमी को रावध के पुतले का दहन किया जाता है।


Body:रामलीला भारत में परंपरागत रूप से भगवान श्री राम के चरित्र पर आधारित नाटक है। जिसका देश में अलग-अलग तरीकों और अलग-अलग भाषाओं में मंचन किया जाता है। कहा जाता है कि ऐशबाग रामलीला मैदान में मंचन की शुरुआत गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। उस समय जिस परिवार ने रावण का पुतला बनाया था, आज भी उसी की पांचवी पीढ़ी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है। राजू फकीरा पांचवी पीढ़ी के कारीगर है। राजू फकीरा ने बताया कि उनके बाबा मक्का दास, दादा नारायण दास और उनके पिता फकीरा दास के बाद आज वह इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। राजू फकीरा ने बताया कि शुरू में ऐशबाग रामलीला मैदान में करवा चौथ के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता था और अब विजयदशमी के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है। उन्होंने बताया कि रावण और मेघनाथ का पुतला उनके परिवार के लोग मिलकर बनाते हैं।


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