लखनऊ : बिजली विभाग के इंजीनियरों की एक और कारस्तानी का पर्दाफाश होने वाला है. अस्थाई कनेक्शन के नाम पर सालों तक उपभोक्ता से पैसा ऐंठने वाले अवर अभियंता विजिलेंस की जांच में फंस सकते हैं. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सूर्यपाल गंगवार ने पिछले एक साल या इससे ज्यादा वक्त से चल रहे स्थाई कनेक्शनों की विजिलेंस जांच कराने के निर्देश दिए हैं.
विजिलेंस जांच से खुलेगी अभियंताओं की पोल
विजिलेंस जांच से खुलेगी अभियंताओं की पोलबिजली विभाग के नियमों के मुताबिक अस्थाई कनेक्शन सिर्फ 6 माह तक के लिए दिया जाता है, लेकिन इंजीनियर बड़ी रकम लेकर सालों तक अस्थाई कनेक्शन चलने देते हैं, इससे विभाग को नुकसान होता है. वहीं उपभोक्ता और अभियंता को सीधा फायदा मिलता है. इसी तरह की शिकायतें मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सूर्यपाल गंगवार को मिली हैं. इसके बाद उन्होंने शहर में एक साल से ज्यादा समय से चल रहे अस्थाई बिजली कनेक्शन की विजिलेंस जांच के निर्देश दे दिए हैं. इससे पहले भी जब बिजली विभाग की तरफ से ऐसे टेंपरेरी कनेक्शनों की जांच कराई गई थी तो बड़े स्तर पर टेंपरेरी कनेक्शन के नाम पर धांधली सामने आई थी. अब ऐसे कनेक्शनों की विजिलेंस जांच होगी तो निश्चित तौर से बड़े स्तर पर बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर की गर्दन तक विजिलेंस पहुंचेगी. जांच में अधिकारियों की कमीशनखोरी का खेल सामने आ सकता है.विजिलेंस जांच से खुलेगी अभियंताओं की पोल सालों से चल रहे अस्थाई कनेक्शन
सूत्रों की मानें तो लखनऊ विद्युत संपूर्ति प्रशासन (लेसा) के अंतर्गत लखनऊ शहर में ही फिलहाल 5580 टेंपरेरी बिजली कनेक्शन हैं. इन कनेक्शंस में से 1821 कनेक्शन एक वर्ष से और 1141 कनेक्शन दो साल से भी ज्यादा पुराने हैं. इतना ही नहीं 804 टेंपरेरी कनेक्शन तो ऐसे हैं जो पिछले 3 साल या इससे अधिक समय से अभी भी चल रहे हैं. मध्यांचल की तरफ से एक साल से ज्यादा ऐसे कनेक्शनों के बारे में संबंधित जूनियर इंजीनियर से सीधे तौर पर स्पष्टीकरण मांगा गया है.