लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में बिजली कर्मचारी इन दिनों प्रबंधन से नाराज हैं, क्योंकि उनकी जन समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है. उनकी मांग है कि बिजली और संविदा श्रमिकों को फ्रंटलाइन वर्कर घोषित किया जाए. वहीं, सरकार से भी मांग की है कि विद्युत कर्मचारी जब हर आपात स्थिति में काम कर रहे हैं तो उन्हें फ्रंटलाइन वर्कर क्यों नहीं माना जा रहा है.
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि ऊर्जा निगमों के काम कर रहे बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मचारी जूनियर इंजीनियर और अभियंता दो जून से ही ऑक्सीजन प्लांट, अस्पताल और आम जनता को बिजली आपूर्ति के अतिरिक्त अन्य कोई कार्य नहीं करेंगे. व्यापक जनहित में बिजली आपूर्ति को जारी रखा जाएगा.
बिजली कर्मचारियों की चेतावनी, बुधवार से होगा आंदोलन
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के बिजली कर्मचारियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि उन्हें फ्रंटलाइन वर्कर घोषित किया जाए, नहीं तो वे बुधवार से काम नहीं करेंगे. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की तरफ से यह चेतावनी जारी हुई है. संघर्ष समिति ने कहा है कि कोरोना वायरस से 253 बिजलीकर्मियों की मौतें हुई हैं. वहीं, इस मामले में ऊर्जा निगम प्रबंध द्वारा संवेदनहीन रवैये की भी आलोचना की गई.
संघर्ष समिति की मांग
संघर्ष समिति ने मांग की है कि हर आपात स्थिति में बिजलीकर्मी काम कर रहे हैं तो उन्हें फ्रंटलाइन वर्कर क्यों नहीं माना जा रहा है. ऐसे में ऊर्जा निगम के बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर, अभियंता और संविदाकर्मी को प्राथमिकता से सरकार वैक्सीन लगवाए. साथ ही मृत कर्मियों के परिजनों को 50 लाख का मुआवजा और उनके आश्रितों को नौकरी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.
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