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UP की राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर की कमी, ट्रामा सेंटर रेफर हो रहे मरीज - Hindi News

लखनऊ के सिविल अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं है. मरीजों को केजीएमयू ट्रामा सेंटर रेफर किया जा रहा है. शनिवार को ही प्रदेश के दूसरे जिले से आए एक मरीज को वेंटिलेटर नहीं होने पर ट्रामा सेंटर रेफर किया गया है.

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Published : Mar 12, 2023, 6:49 PM IST

लखनऊ : कोरोना काल में जिन मरीजों को सांस संबंधित दिक्कतें हो रही थी, उनको देखते हुए अस्पतालों में वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई थी. क्योंकि जो मरीज कोविड पॉजिटिव हो रहे थे, उन्हें वेंटिलेटर की आवश्यकता गंभीर स्थिति में पड़ रही थी. कोरोना की दूसरी लहर में कोविड अस्पताल बनाए गए डीआरडीओ और हज हाउस से राजधानी के सरकारी अस्पतालों में 26 वेंटिलेटर भेजे गए. हालांकि, दो अस्पतालों ने स्टाफ की कमी के चलते इनमें से आठ वेंटिलेटर लौटा दिए. वहीं, दस वेंटिलेटर मैनपावर की कमी के कारण बंद पड़े हैं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास से महज 500 मीटर की दूरी पर हजरतगंज में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल है. इतना ही नहीं उसके बगल में डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक का आवास और हजरतगंज में ही विधानसभा भवन है. बावजूद इसके सिविल अस्पताल में मरीजों के लिए वेंटिलेटर नहीं है. दूरदराज से जो मरीज यहां पहुंचते हैं उन्हें बगैर इलाज के ही केजीएमयू ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया जाता है. शनिवार को ही प्रदेश के दूसरे जिले से इलाज कराने आए एक मरीज को वेंटिलेटर नहीं होने के कारण अस्पताल में ट्रामा सेंटर रेफर किया.

वहीं अधिकारियों का दावा है कि अस्पतालों में वेंटिलेटर उपलब्ध है. लेकिन, सवाल ये उठता है कि अगर वेंटिलेटर उपलब्ध है तो मरीजों को इसकी व्यवस्था क्यों नहीं मिल रही है. सिविल अस्पताल में इलाज करा रहे परिजनों ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सिविल अस्पताल में इलाज बढ़िया होता है. यहां पर स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी हैं जो अच्छी दवा लिखते हैं और अस्पताल में ही दवाई मिल जाती है. कुछ दवा बाहर से लेनी पड़ती है. लेकिन, यहां वेंटिलेटर नहीं है.

सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह के मुताबिक अस्पताल में वयस्क मरीजों के लिए वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं है. बच्चों के वार्ड में वेंटिलेटर बेड उपलब्ध है. वेंटिलेटर के लिए शासन को पत्र भेजा गया है. हाल ही में सिविल अस्पताल के निदेशक डॉ. आनंद ओझा रिटायर हुए हैं और उनकी जगह पर डॉ. नरेंद्र अग्रवाल निदेशक के पद पर तैनात हुए हैं. कोशिश की जा रही है कि जल्दी अस्पताल में वेंटिलेटर उपलब्ध हो जाए.

बलरामपुर अस्पताल में चार वेंटिलेटरः बलरामपुर जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता ने कहा कि अस्पताल में मरीजों की सहूलियत के लिए चार वेंटिलटर उपलब्ध है. कोरोना काल में वेंटिलेटर की कमी होने के कारण मरीजों की स्थिति बहुत खराब थी. बहुत सारे मरीजों को समय से वेंटिलेटर नहीं मिलने के कारण जान गवानी पड़ गई. कोरोना काल एक दौर था जो कि अब गुजर गया. लेकिन व्यवस्थाओं को चुस्त-दुरुस्त हमें अब भी रखने की आवश्यकता है ताकि प्रदेशभर से जो मरीज राजधानी लखनऊ में इलाज के लिए आते हैं उन्हें दिक्कत परेशानी न हो.

लोकबंधु में चार वेंटिलेटरः लोक बंधु अस्पताल के एमएस डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने कहा कि लोक बंधु अस्पताल में चार वेंटिलेटर उपलब्ध है. इसके अलावा इंडोस्कोपी, ब्राउनकोस्कोपी कोलोनोस्कोपी की मशीन अस्पताल में आ गई है इसके लिए अस्पताल में फिजिशियन को ट्रेनिंग दी जाएगी. ताकि जल्दी वह इन जांचों को भी करने में सक्षम हो जाए धीरे-धीरे करके लोकबंधु अस्पताल में मरीजों की सहूलियत के लिए जरूरत की सभी जांच शुरू की जा रही है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में स्थिति बहुत खराब थी उसी समय मरीजों को वेंटिलेटर की आवश्यकता हो पड़ रही थी. जिसके बाद अस्पताल में 35 वेंटीलेटर की व्यवस्था की गई ताकि मरीजों को वेंटिलेटर के कारण अपनी जान न गवाना पड़े.

सीएमओ बोले- पता कर रहे हैं वजहः हज हाउस व डीआरडीओ से डफरिन और झलकारी बाई अस्पताल को चार-चार वेंटिलेटर मिले थे. हालांकि, जरूरी स्टाफ न होने से सीएमओ ऑफिस को ये लौटा दिए गए. उधर, मैनपावर न होने से सिविल अस्पताल ने अलॉट किए गए वेंटिलेटर लिए तक नहीं रानी लक्ष्मी बाई अस्पताल की सीएमएस डॉ. संगीता टंडन का कहना है कि डॉक्टर व स्टाफ न होने से दो वेंटिलेटर नहीं चल पा रहे हैं. रामसागर मिश्रा अस्पताल के सीएमएस डॉ. सुमित का कहना है कि सभी वेंटिलेटर इंस्टॉल कर लिए गए हैं, पर डॉक्टर और स्टाफ के संकट से मरीज नहीं भर्ती किए जा रहे. सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल का कहना है कि किस वजह से वेंटिलेटर नहीं चल रहे हैं, इसकी जानकारी जुटाई जाएगी.

ये भी पढ़ेंः लुट गई 22 दूल्हों को लूटने वाली दुल्हन, जानिए कैसे मुस्लिम युवक के झांसे में फंसी

लखनऊ : कोरोना काल में जिन मरीजों को सांस संबंधित दिक्कतें हो रही थी, उनको देखते हुए अस्पतालों में वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई थी. क्योंकि जो मरीज कोविड पॉजिटिव हो रहे थे, उन्हें वेंटिलेटर की आवश्यकता गंभीर स्थिति में पड़ रही थी. कोरोना की दूसरी लहर में कोविड अस्पताल बनाए गए डीआरडीओ और हज हाउस से राजधानी के सरकारी अस्पतालों में 26 वेंटिलेटर भेजे गए. हालांकि, दो अस्पतालों ने स्टाफ की कमी के चलते इनमें से आठ वेंटिलेटर लौटा दिए. वहीं, दस वेंटिलेटर मैनपावर की कमी के कारण बंद पड़े हैं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास से महज 500 मीटर की दूरी पर हजरतगंज में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल है. इतना ही नहीं उसके बगल में डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक का आवास और हजरतगंज में ही विधानसभा भवन है. बावजूद इसके सिविल अस्पताल में मरीजों के लिए वेंटिलेटर नहीं है. दूरदराज से जो मरीज यहां पहुंचते हैं उन्हें बगैर इलाज के ही केजीएमयू ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया जाता है. शनिवार को ही प्रदेश के दूसरे जिले से इलाज कराने आए एक मरीज को वेंटिलेटर नहीं होने के कारण अस्पताल में ट्रामा सेंटर रेफर किया.

वहीं अधिकारियों का दावा है कि अस्पतालों में वेंटिलेटर उपलब्ध है. लेकिन, सवाल ये उठता है कि अगर वेंटिलेटर उपलब्ध है तो मरीजों को इसकी व्यवस्था क्यों नहीं मिल रही है. सिविल अस्पताल में इलाज करा रहे परिजनों ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सिविल अस्पताल में इलाज बढ़िया होता है. यहां पर स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी हैं जो अच्छी दवा लिखते हैं और अस्पताल में ही दवाई मिल जाती है. कुछ दवा बाहर से लेनी पड़ती है. लेकिन, यहां वेंटिलेटर नहीं है.

सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह के मुताबिक अस्पताल में वयस्क मरीजों के लिए वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं है. बच्चों के वार्ड में वेंटिलेटर बेड उपलब्ध है. वेंटिलेटर के लिए शासन को पत्र भेजा गया है. हाल ही में सिविल अस्पताल के निदेशक डॉ. आनंद ओझा रिटायर हुए हैं और उनकी जगह पर डॉ. नरेंद्र अग्रवाल निदेशक के पद पर तैनात हुए हैं. कोशिश की जा रही है कि जल्दी अस्पताल में वेंटिलेटर उपलब्ध हो जाए.

बलरामपुर अस्पताल में चार वेंटिलेटरः बलरामपुर जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता ने कहा कि अस्पताल में मरीजों की सहूलियत के लिए चार वेंटिलटर उपलब्ध है. कोरोना काल में वेंटिलेटर की कमी होने के कारण मरीजों की स्थिति बहुत खराब थी. बहुत सारे मरीजों को समय से वेंटिलेटर नहीं मिलने के कारण जान गवानी पड़ गई. कोरोना काल एक दौर था जो कि अब गुजर गया. लेकिन व्यवस्थाओं को चुस्त-दुरुस्त हमें अब भी रखने की आवश्यकता है ताकि प्रदेशभर से जो मरीज राजधानी लखनऊ में इलाज के लिए आते हैं उन्हें दिक्कत परेशानी न हो.

लोकबंधु में चार वेंटिलेटरः लोक बंधु अस्पताल के एमएस डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने कहा कि लोक बंधु अस्पताल में चार वेंटिलेटर उपलब्ध है. इसके अलावा इंडोस्कोपी, ब्राउनकोस्कोपी कोलोनोस्कोपी की मशीन अस्पताल में आ गई है इसके लिए अस्पताल में फिजिशियन को ट्रेनिंग दी जाएगी. ताकि जल्दी वह इन जांचों को भी करने में सक्षम हो जाए धीरे-धीरे करके लोकबंधु अस्पताल में मरीजों की सहूलियत के लिए जरूरत की सभी जांच शुरू की जा रही है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में स्थिति बहुत खराब थी उसी समय मरीजों को वेंटिलेटर की आवश्यकता हो पड़ रही थी. जिसके बाद अस्पताल में 35 वेंटीलेटर की व्यवस्था की गई ताकि मरीजों को वेंटिलेटर के कारण अपनी जान न गवाना पड़े.

सीएमओ बोले- पता कर रहे हैं वजहः हज हाउस व डीआरडीओ से डफरिन और झलकारी बाई अस्पताल को चार-चार वेंटिलेटर मिले थे. हालांकि, जरूरी स्टाफ न होने से सीएमओ ऑफिस को ये लौटा दिए गए. उधर, मैनपावर न होने से सिविल अस्पताल ने अलॉट किए गए वेंटिलेटर लिए तक नहीं रानी लक्ष्मी बाई अस्पताल की सीएमएस डॉ. संगीता टंडन का कहना है कि डॉक्टर व स्टाफ न होने से दो वेंटिलेटर नहीं चल पा रहे हैं. रामसागर मिश्रा अस्पताल के सीएमएस डॉ. सुमित का कहना है कि सभी वेंटिलेटर इंस्टॉल कर लिए गए हैं, पर डॉक्टर और स्टाफ के संकट से मरीज नहीं भर्ती किए जा रहे. सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल का कहना है कि किस वजह से वेंटिलेटर नहीं चल रहे हैं, इसकी जानकारी जुटाई जाएगी.

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