लखनऊ : कर्नाटक और चंडीगढ़ में कई ऐप बेस्ड कंपनियों को अवैध मानते हुए प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके बावजूद उन्हीं ऐप बेस्ड कंपनियों के वाहन धड़ल्ले से यूपी में दौड़ रहे हैं. इनमें यात्रियों की सुरक्षा से जुड़े फीचर भी नहीं हैं. परिवहन विभाग की तरफ से कंपनी को किसी प्रकार संचालित करने का आदेश भी नहीं है कोई लाइसेंस भी नहीं, फिर भी इनका संचालन खुलेआम हो रहा है. खास बात यह भी है कि अवैध रूप से कम कर रही इन कंपनियों में किसी भी चालक या मोटर मालिक का पुलिस सत्यापन भी नहीं हुआ है. पैसेंजर की केवाईसी भी नहीं होती है, जबकि ओला उबर जैसी बड़ी ऐप बेस्ड कंपनियां पुलिस सत्यापन और पैसेंजर की केवाईसी करती हैं.
उत्तर प्रदेश में बिना एग्रीगेटर पॉलिसी के ही कई कंपनियों के दो पहिया और चार पहिया वाहन संचालित हो रहे हैं. ऐसा भी नहीं है कि सभी वाहन व्यावसायिक ही हों. प्राइवेट वाहनों से भी कंपनियां खूब पैसा कमा रही है. इन कंपनियों में मुख्य रूप से दो पहिया वाहन कंपनी रैपीडो और चार पहिया वाहन कंपनी इन ड्राइवर है. परिवहन विभाग की यूनियनों की तरफ से इन कंपनियों की धांधली को लेकर परिवहन विभाग के अधिकारियों से शिकायत की गई है. शिकायत में कहा गया है कि बिना किसी अधिकृत आदेश के इन कंपनियों के संचालक प्राइवेट वाहनों का संचालन कर रहे हैं. इससे उनके कारोबार में बढ़ोतरी हो रही है जबकि परिवहन विभाग को सिर्फ प्राइवेट वाहनों का ही टैक्स मिल रहा है. व्यावसायिक टैक्स भी नहीं मिल रहा है. जिससे विभाग को चपत लग रही है. कंपनियां ग्राहक को सेवा देने के लिए प्राइवेट वाहनों को भेजते हैं.
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परिवहन विभाग के अधिकारी भी ये मानते हैं कि उत्तर प्रदेश में अभी तक एग्रीगेटर पॉलिसी नहीं बन पाई है. ऐसे में बिना लाइसेंस के ही सिर्फ टैक्स चुकाकर ऐप बेस्ड कंपनियां उत्तर प्रदेश में संचालित हो रही हैं. एग्रीगेटर पॉलिसी तैयार की जा रही है जल्द ही इसे लागू किया जाएगा. यह कंपनियां उसी पॉलिसी के दायरे में आएंगी. एग्रीगेटर पॉलिसी से परिवहन विभाग का फायदा यह होगा कि लाइसेंस की जो फीस तय की जाएगी वह इन कंपनियों को जमा करनी होगी. अभी तक उत्तर प्रदेश में इन ऐप बेस्ड कंपनियों की जो गाड़ियां चल रही है उन पर प्रतिबंध यह सोचकर नहीं लगाया गया है कि अगर इन्हें बंद किया गया तो पब्लिक को परेशानी हो जाएगी. अधिकारियों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि परिवहन विभाग का इन पर कोई नियंत्रण नहीं है. रेगुलेटिंग अथॉरिटी परिवहन विभाग ही है और किसी भी तरह की शिकायत होने पर कार्रवाई भी विभाग की तरफ से की जाती है.