लखनऊ : राजधानी में उप्र लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान व भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में वर्षा मंगल कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह उपस्थित रहे. उन्होंने कहा कि 'हमारे देश में हर मौसम का एक अपना महत्व है. विशेष तौर पर हमारे देश की कई सांस्कृतिक गतिविधियां बरसात के मौसम पर निर्भर करती हैं, जहां बारिश के मौसम में पूरी धरती हरी भरी नजर आती है, वहीं बरसात की बूंदों के ठंडे एहसास से ही चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है. इसी कारण जल के महत्व को देखते हुए इसे देवता की उपाधि दी गयी है. अगर समय पर बारिश हो तो किसानों का मन प्रसन्न्न हो जाता है, उनके जीवन पर इसका बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है. प्रदेश में बहुत सी सांस्कृतिक गतिविधियां वर्षा से जुड़ी है, जैसे-कजरी का आयोजन फसल की बुआई के समय मुख्य तौर से होता है. इसी प्रकार बहुत से सांस्कृतिक कार्यक्रम विभिन्न मौसम में हमारे प्रदेश के कलाकारों द्वारा किया जाता है. महिलाएं मंगल गीतों के माध्यम से मौसम का स्वागत करती हैं.'
मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि 'पर्यटन व संस्कृति विभाग मिलकर काम करें तो प्रदेश में पर्यटन को काफी बढ़ावा दिया जा सकता है. उन्होंने बताया कि बरसात का मौसम न केवल फसल की बुवाई से जुड़ा है, बल्कि इस मौसम में पर्यटन की भी संभावनाएं बहुत अधिक होती हैं. विशेष तौर पर उन जगहों पर जहां पर जंगल व प्राकृतिक सौंदर्य मौजूद है. उन जगहों पर बरसात के मौसम में और भी सुंदरता बिखर जाती है, जिससे आकर्षित होकर पर्यटक वहां खिंचा चला आता है. मंत्री ने कहा कि पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें एक व्यक्ति के आने पर छह व्यक्तियों को रोजगार मिलता है और इसमें लागत भी काफी कम लगती है. इसी को आधार बनाकर हमारी सरकार प्रदेश में पर्यटन व संस्कृति को जोड़कर आगे बढ़ रही है.
कार्यक्रम में भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की छात्राओं द्वारा कहां से आवे बदरा, कहां से आवे बुंदिया और डॉ. कमलेश दुबे द्वारा लिखित, 'चला चली सावन के बहारे... जैसे वर्षा गीतों से कार्यक्रम की शुरुआत की. उसके बाद छात्रों ने गगन गरजत दमकत दामिनी पर कथक नृत्य की प्रस्तुति दी. लखनऊ की लोकगायिका अंजली खन्ना व उनके दल द्वारा 'सावन आयो सुघड़ सुहावनो..., हरी मेहंदी के हरे हरे पात व नन्हीं नन्हीं बुंदिया रे... जैसे वर्षा गीतों तथा नृत्य की प्रस्तुतियों से कार्यक्रम में विभिन्न रंगों की छटा बिखेर कर दर्शकों को आत्मविभोर कर दिया. पहली बार भातखंडे विश्वविद्यालय का मंच इस जवाबी कजरी का गवाह बना. इस कार्यक्रम में मिर्ज़ापुर से आई प्रसिद्ध लोकगायिका उर्मिला श्रीवास्तव व प्रयागराज से आई लोकगायिका आश्रया द्विवेदी के बीच "जवाबी कजरी" का आयोजन हुआ. जवाबी कजरी के इस कार्यक्रम ने दर्शकों को आनन्दित कर दिया. कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. सीमा भारद्वाज ने किया.
कार्यक्रम में भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह विशेष सचिव अमरनाथ उपाध्याय, भातखंडे की कुलसचिव डॉ. सृष्टि धवन उपस्थित रहीं.