लखनऊ: उत्तर प्रदेश की कचरा निस्तारण परियोजनाएं देश के लिए रोल मॉडल बन सकती है. प्रदेश में कचरा निस्तारण के लिए कचरे से खाद बनाने के 16 प्लांट लग चुके हैं. केरल ने भी इसमें रुचि दिखाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसकी सराहना की है. अन्य राज्य भी अब इस परियोजना में रुचि लेने लगे हैं. नगर विकास विभाग अब इसके विस्तार की योजना बना रहा है.
उत्तर प्रदेश के कई महानगरों में कूड़े के पहाड़ खड़े हो गए थे, उन्हें तेजी के साथ खत्म कर खाद में तब्दील किया जा रहा है. जहां कचरे के पहाड़ 750 टन से अधिक कूड़ा प्रतिदिन उत्सर्जित होता है. उत्तर प्रदेश स्वच्छता के मामले में सातवें स्थान पर आ गया है. नगर विकास विभाग के अधिकारियों की माने तो जल्द ही प्रदेश के सभी नगर निकायों से कूड़े के ढेर खत्म होंगे. इसके लिए पीपीपी मॉडल पर परियोजनाएं तैयार की जा रही है. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसमें रुचि ले रहे हैं.
हाल ही में जब प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश के दौरे पर आए तो उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि के मॉडल के बाद उत्तर प्रदेश की स्वच्छता परियोजनाओं पर रुचि ली. राज्यपाल मुख्यमंत्री के साथ-साथ उन्होंने नगर विकास विभाग के अधिकारियों के साथ कचरे से खाद बनाने वाले मॉडल का निरीक्षण किया.
नगर विकास विभाग की ओर से सर्वदमन सिंह ने पूरी परियोजना इस पर आने वाली लागत और होने वाले लाभ को प्रधानमंत्री के सामने रखा. प्रधानमंत्री काफी देर तक ध्यान से इसे सुनते रहे. समझा जा रहा है कि जिन राज्यों में कचरे की समस्या गंभीर होती जा रही है. उनमें उत्तर प्रदेश कि कचरा निस्तारण परियोजनाओं की तर्ज पर कार्य शुरू किया जा सकता है.
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