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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छलका शिक्षामित्रों का दर्द - up teacher cut off

उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शिक्षामित्रों में मायूसी छाई हुई है. शिक्षामित्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट न्याय की आखिरी उम्मीद थी. वह भी आज टूट गई. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ईटीवी भारत ने जानी शिक्षामित्रों की राय.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला.
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Published : Nov 18, 2020, 6:09 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के मौजूदा कट ऑफ को सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से शिक्षामित्रों में न्याय की उम्मीद खत्म हो गई है. वहीं शिक्षामित्रों में मायूसी छाई हुई है.

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से शिक्षामित्रों में छाई मायूसी.

प्रतिभावान बच्चों का घोटा गलाः मिराज
लखनऊ के सरोजनी नगर ब्लॉक में प्राथमिक विद्यालय मैं तैनात शिक्षा मित्र मोहम्मद मेराज ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि सुप्रीम कोर्ट से सभी शिक्षा मित्रों ने बहुत उम्मीद लगाई हुई थी. 69000 शिक्षक भर्ती का बहुप्रतीक्षित निर्णय बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से जारी हुआ. उन्होंने बताया कि 25 जुलाई 2017 के निर्णय के उपरांत एक बार फिर से न्याययोजित तरीके से गरीब किसान के, प्रतिभावान बच्चों, का गला घोटा गया है.

सुप्रीम कोर्ट के न्याय से टूटी आखिरी उम्मीद
मेराज ने बताया कि आज मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा की जिन शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 के निर्णय में सामुदायिक कर्मी माना है. आज उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के आला अधिकारी शिक्षक मानते हुए शिक्षक के समान कार्य ले रहे हैं. क्या यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से एक उम्मीद थी लेकिन आज वो भी टूट गई.

उम्र हो गई, अब नहीं मिलेगी नौकरी
अपना दर्द बयां करते हुए मेराज ने कहा कि अब उम्र तो निकल गई है, उम्र के हिसाब से तो अब हम लोगों को नौकरी भी नहीं मिल सकती है. न ही पैसे से इतने संपन्न हैं कि अपना कारोबार कर सकें. इस फैसले के आने के बाद सभी शिक्षा मित्रों में मायूसी छाई हुई है.

समस्याओं का नहीं हुआ समाधानः बीएल यादव
लखनऊ के प्राथमिक विद्यालय बाधामऊ विकास खंड चिनहट के शिक्षा मित्र बीएल यादव ने बताया कि अब हम लोगों की उम्मीद का दीया बुझ चुका है. सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद थी. आज दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों का गला घोटा गया है. अब न्याय से विश्वास उठ चुका है. तीन साल से शिक्षामित्र उन्हीं विद्यालयों में 10,000 रुपये की सैलरी पर कार्य कर रहा है. सरकार ने उचित निर्णय लेने का हमें तीन महीने का आश्वासन दिया था लेकिन हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हो सका है.

वंचितों को मिलेगा एक और मौका
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बढ़े हुए कटऑफ को सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से शिक्षामित्रों को तगड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों ने योगी सरकार के शिक्षक भर्ती के पदों को भरने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है. वहीं यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि नए कटऑफ की वजह से नौकरी से वंचित रह गए शिक्षामित्रों को अगले साल एक और मौका दिया जाएगा.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के मौजूदा कट ऑफ को सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से शिक्षामित्रों में न्याय की उम्मीद खत्म हो गई है. वहीं शिक्षामित्रों में मायूसी छाई हुई है.

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से शिक्षामित्रों में छाई मायूसी.

प्रतिभावान बच्चों का घोटा गलाः मिराज
लखनऊ के सरोजनी नगर ब्लॉक में प्राथमिक विद्यालय मैं तैनात शिक्षा मित्र मोहम्मद मेराज ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि सुप्रीम कोर्ट से सभी शिक्षा मित्रों ने बहुत उम्मीद लगाई हुई थी. 69000 शिक्षक भर्ती का बहुप्रतीक्षित निर्णय बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से जारी हुआ. उन्होंने बताया कि 25 जुलाई 2017 के निर्णय के उपरांत एक बार फिर से न्याययोजित तरीके से गरीब किसान के, प्रतिभावान बच्चों, का गला घोटा गया है.

सुप्रीम कोर्ट के न्याय से टूटी आखिरी उम्मीद
मेराज ने बताया कि आज मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा की जिन शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 के निर्णय में सामुदायिक कर्मी माना है. आज उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के आला अधिकारी शिक्षक मानते हुए शिक्षक के समान कार्य ले रहे हैं. क्या यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से एक उम्मीद थी लेकिन आज वो भी टूट गई.

उम्र हो गई, अब नहीं मिलेगी नौकरी
अपना दर्द बयां करते हुए मेराज ने कहा कि अब उम्र तो निकल गई है, उम्र के हिसाब से तो अब हम लोगों को नौकरी भी नहीं मिल सकती है. न ही पैसे से इतने संपन्न हैं कि अपना कारोबार कर सकें. इस फैसले के आने के बाद सभी शिक्षा मित्रों में मायूसी छाई हुई है.

समस्याओं का नहीं हुआ समाधानः बीएल यादव
लखनऊ के प्राथमिक विद्यालय बाधामऊ विकास खंड चिनहट के शिक्षा मित्र बीएल यादव ने बताया कि अब हम लोगों की उम्मीद का दीया बुझ चुका है. सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद थी. आज दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों का गला घोटा गया है. अब न्याय से विश्वास उठ चुका है. तीन साल से शिक्षामित्र उन्हीं विद्यालयों में 10,000 रुपये की सैलरी पर कार्य कर रहा है. सरकार ने उचित निर्णय लेने का हमें तीन महीने का आश्वासन दिया था लेकिन हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हो सका है.

वंचितों को मिलेगा एक और मौका
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बढ़े हुए कटऑफ को सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से शिक्षामित्रों को तगड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों ने योगी सरकार के शिक्षक भर्ती के पदों को भरने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है. वहीं यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि नए कटऑफ की वजह से नौकरी से वंचित रह गए शिक्षामित्रों को अगले साल एक और मौका दिया जाएगा.

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