लखनऊ: मुलायम सरकार में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन (Uttar Pradesh Power Corporation) के अवर अभियंताओं के प्रमोशन परीक्षा में हुई धांधली (Junior Engineers Promotion Examination) के मामले में रविवार को विजलेंस ने छह नामजद समेत अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. अब टीम इन सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही है. इस मामले (FIR against promotion scammers in Lucknow) की खुली जांच शासन ने वर्ष 2017 में विजिलेंस को सौंपी थी.
सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) के लखनऊ सेक्टर थाने में विद्युत सेवा आयोग के तत्कालीन उप सचिव आरके राम, सदस्य एवं उप महाप्रबंधक लालचंद्र, सदस्य बीके श्रीवास्तव, सदस्य एवं उप महाप्रबंधक वीसी जोशी, पर्यवेक्षक आलोक वर्मा, एजेंसी संचालक सरिता मिश्रा समेत अन्य के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है. विजलेंस ने सभी को IPC की धारा 420 और 120 बी और अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(ए) व 13 (2) के तहत आरोपी बनाया है.
दरअसल, वर्ष 2004 में मुलायम सिंह यादव की सरकार के दौरान विद्युत सेवा आयोग के माध्यम से पावर कारपोरेशन के परिचालकीय कर्मचारियों से अवर अभियंता (विद्युत/यांत्रिक) के 863 पदों पर विभागीय प्रमोशन के लिए परीक्षा हुई थी. इस परीक्षा में धांधली की बात सामने आने पर शासन ने वर्ष 2017 में परीक्षा में भ्रष्टाचार की जांच विजिलेंस (विद्युत प्रकोष्ठ) को सौंपी थी.
27 फरवरी 2023 की जांच रिपोर्ट में परीक्षा प्रक्रिया में भारी अनियमितता सामने आई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, ओएमआर शीट की स्कैनिंग और रिजल्ट तैयार करने में चयनित एजेंसी मेसर्स डाटा प्वाइंट ने धांधली की थी. विजिलेंस ने अपनी जांच में विद्युत सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष सुधीर कुमार शर्मा और तत्कालीन सचिव गोपाल राम की भी संदिग्ध भूमिका पाई थी. जांच के दौरान ही दोनों का निधन हो जाने से इन्हें आरोपी नहीं बनाया गया था.
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