लखनऊ : उत्तर प्रदेश पाॅवर काॅरपोरेशन ने उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था में सुधार लाने के लिए देश के अग्रणी वितरण निगमों में बेहतर कार्यों का अध्ययन करने विद्युत विभाग की तीन टीमों को भेजा है. यह टीमें 23 से 25 अगस्त तक गुजरात, मध्य प्रदेश और हरियाणा डिस्काम में किए जा रहे अच्छे कामों का अध्ययन कर इसकी रिपोर्ट पाॅवर काॅरपोरेशन को सौंपेंगी. इसके बाद उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था सुधार के आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.
यूपी में भीषण बिजली संकट बरकरार
उत्तर प्रदेश में वर्तमान में भीषण गर्मी के चलते भीषण बिजली संकट पैदा हो गया है. 20 अगस्त को जहां 26 हजार 317 मेगावाट की प्रदेश में बिजली की उपलब्धता थी, वहीं पीक डिमांड 28 हजार मेगावाट के ऊपर थी. ऐसे में प्रदेश में लगभग 2000 मेगावाट से ऊपर की बिजली कटौती हो रही है. सरकार की तरफ से घोषित रोस्टर के मुताबिक बिजली नहीं उपलब्ध हो पा रही है.
एनर्जी सिस्टम वर्तमान में गांव को जो लिखित में सूचना जारी कर रहा है उसके मुताबिक ग्रामीण को 18 घंटे विद्युत आपूर्ति की जगह केवल 15 घंटा 31 मिनट मिल पा रही है. नगर पंचायत को भी लगभग एक घंटे कम बिजली मिल पा रही है. तहसील को भी आधा घंटा कम मिल पा रही है. बुंदेलखंड को भी लगभग एक घंटा से ज्यादा कम बिजली मिल पा रही है. यह तो लिखित आंकडे हैं. वैसे वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में बडे पैमाने पर बिजली की कटौती हो रही है. मेजा की 660 मेगावाट और ललितपुर की 660 मेगावाट और अनपरा की 500 मेगावाट, हरदुआगंज 105 मेगावाट की मशीनें पिछले दो दिन से बंद हैं. संभावना है कि वह एक-दो दिन में शुरू हो जाएंगी. वर्तमान में जब किसानों को और ग्रामीण जनता को बिजली की ज्यादा आवश्यकता है तो पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर बिजली की कटौती हो रही है.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा इस भीषण गर्मी में जब उमस भी बढ रही है तो ग्रामीण व किसानों को बिजली की ज्यादा से ज्यादा आवश्यकता है ऐसे में प्रदेश में बिजली की उपलब्धता बढाने के लिए पावर कार्पोरेशन प्रबंधन को युद्ध स्तर पर काम करना चाहिए. वर्तमान में कोयले की उपलब्धता अच्छी गुणवत्ता की नहीं हो पा रही है जिसकी वजह से भी बिजली उत्पादन पर फर्क पड रहा है. ऐसे में पावर कार्पोरेशन प्रबंधन को सभी इंतजामों पर काम करना होगा अन्यथा की स्थिति में भीषण बिजली संकट और भी आगे गहरायेगा. अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि आने वाले कई दिनों तक अगर मानसून इसी तरह बेरुखी अपनाए रहा तो प्रदेश में बिजली की डिमांड कहीं अधिक बढने वाली है. ऐसे में बिजली की उपलब्धता कैसे सुनिश्चित होगी इसके लिए जो मशीन उत्तर प्रदेश में बंद पडी है उन्हें बिना देरी के चालू कराया जाए.
यूपीपीसीएल ने ठेके में खत्म की एससी एसटी आरक्षण की व्यवस्था
वर्ष 2007 से 2012 के बहुजन समाज पार्टी की मायावती सरकार के कार्यकाल के दौरान विभागीय ठेकों में आरक्षण की व्यवस्था लागू की गई थी. इसके तहत हर हाल में 25 लाख तक के लागत वाले ठेकों में अनुसूचित जाति, जनजाति को आरक्षण देना अनिवार्य किया गया था जिसे उत्तर प्रदेश में 2012 में बनी सपा सरकार ने शासनादेश के जरिए समाप्त कर दिया था. हालांकि 2012 से लेकर 2023 तक इस शासनादेश को लागू ही नहीं किया जा सका. अब पाॅवर काॅरपोरेशन के निदेशक कार्मिक व प्रशासन ने इसे खत्म करने से संबंधित विभागीय आदेश जारी कर दिया है. आदेश में कहा गया है कि 25 लाख तक के कार्यों के लिए एससी को 21 फ़ीसदी और एसटी को दो फ़ीसदी आरक्षण की व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है. 15 मई 2012 को एससी और एसटी जाति के ठेकेदारों को टेंडर में दी जाने वाली आरक्षण व्यवस्था को समाप्त करने का अखिलेश सरकार की तरफ से आदेश जारी हुआ था. अब वही आदेश पाॅवर काॅरपोरेशन की तरफ से सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशक को भेज दिया गया है.
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