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यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां, एसएसबी की तरह करेंगी काम - सशस्त्र सीमा बल

यूपी नेपाल की लगभग 530 किलोमीटर से भी लंबी नो मेंस लैंड वाली सीमा में हर पांच किलोमीटर में यूपी पुलिस की चौकियां होंगी. एसएसबी की ही तरह बॉर्डर में बनी चौकियों में तैनात यूपी पुलिसकर्मियों के पास अत्याधुनिक हथियार, नाइट विजन चश्मे और नई गाड़ियां होंगी. इसके लिए यूपी के सात जिलों की पुलिस ने लगभग तैयारिया पूरी कर ली है.

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Published : Jul 15, 2023, 11:09 PM IST

लखनऊ : नेपाल से ड्रग्स की तस्करी हो या फिर यूपी बिहार से अपराधियों का नेपाल भागना या फिर पड़ोसी देशों से नेपाल के रास्ते भारत में घुसपैठ करना अब तक बहुत ही आसान था. जानकारी मिलने के बाद भी यूपी पुलिस खराब रास्तों और दूरी के चलते बोर्डर इलाकों में सहजता और समय से नहीं पहुंच पाती थी. अब बीते वर्ष शुरू हुए ऑपरेशन कवच के चलते बोर्डर के नो मेंस लैंड में यूपी पुलिस मजबूत हो रही है. नई पुलिस चौकियां, हाईटेक असलहे व उपकरणों से लैश पुलिस एसएसबी की ही तरह नेपाल के बोर्डर पर चौकसी करेगी. इससे रात में नेपाल से आने जाने वाले अपराधियों की धड़पकड़ होगी.

यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.


उत्तर प्रदेश के सात जिलों पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, महराजगंज और सिद्धार्थनगर की सीमाएं नेपाल से मिलती है. इसकी लगभग 530 किलोमीटर खुली सीमा सीमाओं पर बसे गांवों में पुलिस आसानी से नहीं पहुंच पाती है. कारण खराब रास्ते, पुलिस चौकियों का न होना, गाड़ियों की कमी जैसे कई कारण है. जिसका फायदा अपराधी उठाते हैं और इन खुली सीमाओं से घुसपैठ, तस्करी, यूपी से अपराधियों का फरार हो जाना शामिल है.

यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.




पुलिस को दिए जा रहे हाईटेक उपकरण

सिद्धार्थनगर जिले के पुलिस अधीक्षक अमित आनंद कहते हैं कि जिले से सटी 68 किलोमीटर लंबी नेपाल सीमा पूरी तरह से खुली है जो अधिकतम नो मेंस लैंड है. इनमें पांच थाने आते हैं. हालांकि इन सीमाओं पर मौजूद गांवों तक जाने वाले मार्गों पर खराब रास्ते हैं. रात को हमारी पुलिस यहां पर कांबिंग नहीं कर सकती थी. इमरजेंसी सूचना मिलने पर समय पर पुलिस टीम सीमा तक नहीं पहुंच सकती थी, जिसका फायदा अपराधी उठाते हैं, लेकिन ऑपरेशन कवच के तहत अब हमारी पुलिस सीमावर्ती इलाकों पर मजबूत हो रही है. पांच-पांच किलोमीटर दूरी पर हाईटेक पुलिस चौकियों का निर्माण कराया जाएगा. इसके लिए जमीन चिन्हित कर शासन को रिपोर्ट भेज दी गई है.

यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
10 हाईटेक पुलिस चौकी का होगा निर्माणश्रावस्ती पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि जिले से 62 किलोमीटर लंबी सीमा सटी हुई है. इन सीमाओं पर 10 नई चौकियों का निर्माण कराया जाएगा. जमीन चिन्हित कर ली गई है और शासन को रिपोर्ट भेजी गई है. जिले से जुड़ी सीमाओं पर बसी बस्तियों पर आए दिन अपराधियों और तस्करों के छुपे होने की सूचना आती है. दिन में तो पुलिस वहां पहुंच कर तलाशी आसानी से लेती है, लेकिन रात को थानों की दूरी और सीमा पर पुलिस चौकी का न होने से इन इलाकों में समय से पहुंचने में दिक्कत होती थी. ऐसे में अब जब इन चौकियों का निर्माण हो जाएगा तो पुलिस बल इन इलाकों में हर समय मौजूद रहेगी.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
युवाओं की भी ली जा रही मदद एडीजी गोरखपुर जोन व नेपाल बॉर्डर सुरक्षा के नोडल अधिकारी अखिल कुमार बताते हैं कि नेपाल बॉर्डर पर नजर रखने के लिए ग्राम सुरक्षा समितियां बनाई गई थीं. यह समितियां तस्करों, अपराधियों और अन्य गतिविधियों पर नजर रखते थी और पुलिस को सूचना देती थी. अब ग्राम सुरक्षा समितियां के अलावा युवाओं की टोली भी बनाई जाएगी. हर टोली में 10 युवा होंगे. एडीजी के मुताबिक ऑपरेशन कवच के तहत नेपाल से जुड़े सीमावर्ती गांवों में कुल 980 ग्राम सुरक्षा समितियां गठित की गई हैं. जिनमें सिद्धार्थनगर में 443, महराजगंज में 219, श्रावस्ती में 115, बहराइच में 85, लखीमपुर खीरी में 77, बलरामपुर में 24 और पीलीभीत में 17 समितियां शामिल हैं.





यह भी पढ़ें : चालिहो महोत्सव से नए मंदिर में विराजेंगे झूलेलाल, सीएम योगी करेंगे लोकार्पण

लखनऊ : नेपाल से ड्रग्स की तस्करी हो या फिर यूपी बिहार से अपराधियों का नेपाल भागना या फिर पड़ोसी देशों से नेपाल के रास्ते भारत में घुसपैठ करना अब तक बहुत ही आसान था. जानकारी मिलने के बाद भी यूपी पुलिस खराब रास्तों और दूरी के चलते बोर्डर इलाकों में सहजता और समय से नहीं पहुंच पाती थी. अब बीते वर्ष शुरू हुए ऑपरेशन कवच के चलते बोर्डर के नो मेंस लैंड में यूपी पुलिस मजबूत हो रही है. नई पुलिस चौकियां, हाईटेक असलहे व उपकरणों से लैश पुलिस एसएसबी की ही तरह नेपाल के बोर्डर पर चौकसी करेगी. इससे रात में नेपाल से आने जाने वाले अपराधियों की धड़पकड़ होगी.

यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.


उत्तर प्रदेश के सात जिलों पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, महराजगंज और सिद्धार्थनगर की सीमाएं नेपाल से मिलती है. इसकी लगभग 530 किलोमीटर खुली सीमा सीमाओं पर बसे गांवों में पुलिस आसानी से नहीं पहुंच पाती है. कारण खराब रास्ते, पुलिस चौकियों का न होना, गाड़ियों की कमी जैसे कई कारण है. जिसका फायदा अपराधी उठाते हैं और इन खुली सीमाओं से घुसपैठ, तस्करी, यूपी से अपराधियों का फरार हो जाना शामिल है.

यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.




पुलिस को दिए जा रहे हाईटेक उपकरण

सिद्धार्थनगर जिले के पुलिस अधीक्षक अमित आनंद कहते हैं कि जिले से सटी 68 किलोमीटर लंबी नेपाल सीमा पूरी तरह से खुली है जो अधिकतम नो मेंस लैंड है. इनमें पांच थाने आते हैं. हालांकि इन सीमाओं पर मौजूद गांवों तक जाने वाले मार्गों पर खराब रास्ते हैं. रात को हमारी पुलिस यहां पर कांबिंग नहीं कर सकती थी. इमरजेंसी सूचना मिलने पर समय पर पुलिस टीम सीमा तक नहीं पहुंच सकती थी, जिसका फायदा अपराधी उठाते हैं, लेकिन ऑपरेशन कवच के तहत अब हमारी पुलिस सीमावर्ती इलाकों पर मजबूत हो रही है. पांच-पांच किलोमीटर दूरी पर हाईटेक पुलिस चौकियों का निर्माण कराया जाएगा. इसके लिए जमीन चिन्हित कर शासन को रिपोर्ट भेज दी गई है.

यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
10 हाईटेक पुलिस चौकी का होगा निर्माणश्रावस्ती पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि जिले से 62 किलोमीटर लंबी सीमा सटी हुई है. इन सीमाओं पर 10 नई चौकियों का निर्माण कराया जाएगा. जमीन चिन्हित कर ली गई है और शासन को रिपोर्ट भेजी गई है. जिले से जुड़ी सीमाओं पर बसी बस्तियों पर आए दिन अपराधियों और तस्करों के छुपे होने की सूचना आती है. दिन में तो पुलिस वहां पहुंच कर तलाशी आसानी से लेती है, लेकिन रात को थानों की दूरी और सीमा पर पुलिस चौकी का न होने से इन इलाकों में समय से पहुंचने में दिक्कत होती थी. ऐसे में अब जब इन चौकियों का निर्माण हो जाएगा तो पुलिस बल इन इलाकों में हर समय मौजूद रहेगी.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
यूपी-नेपाल बार्डर के नो मेंस लैंड पर बनेंगी हाईटेक पुलिस चौकियां.
युवाओं की भी ली जा रही मदद एडीजी गोरखपुर जोन व नेपाल बॉर्डर सुरक्षा के नोडल अधिकारी अखिल कुमार बताते हैं कि नेपाल बॉर्डर पर नजर रखने के लिए ग्राम सुरक्षा समितियां बनाई गई थीं. यह समितियां तस्करों, अपराधियों और अन्य गतिविधियों पर नजर रखते थी और पुलिस को सूचना देती थी. अब ग्राम सुरक्षा समितियां के अलावा युवाओं की टोली भी बनाई जाएगी. हर टोली में 10 युवा होंगे. एडीजी के मुताबिक ऑपरेशन कवच के तहत नेपाल से जुड़े सीमावर्ती गांवों में कुल 980 ग्राम सुरक्षा समितियां गठित की गई हैं. जिनमें सिद्धार्थनगर में 443, महराजगंज में 219, श्रावस्ती में 115, बहराइच में 85, लखीमपुर खीरी में 77, बलरामपुर में 24 और पीलीभीत में 17 समितियां शामिल हैं.





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