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20 अप्रैल को होगा यूपी शिया वक्फ बोर्ड का चुनाव, जानिए कौन चुनेगा चेयरमैन...

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Published : Apr 1, 2021, 9:09 PM IST

उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चुनाव की घोषणा कर दी गई है. यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड का चुनाव 20 अप्रैल को होगा. शिया वक्फ बोर्ड पिछले एक साल से भंग चल रहा था, जिसके चुनाव कराए जाने को लेकर लंबे समय से मांग उठ रही थी.

यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड
यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड

लखनऊः उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के गठन के बाद अब शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में चुनाव की तैयारियां जोर-शोर के साथ शुरू हो गई हैं. अधिसूचना के मुताबिक यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में 20 अप्रैल को चुनाव में बोर्ड का गठन होना है. शिया वक्फ बोर्ड पिछले एक साल से भंग चल रहा था, जिसके चुनाव कराए जाने को लेकर लंबे समय से मांग उठ रही थी.


शिया वक्फ बोर्ड में होते हैं 11 सदस्य
उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में कुल 11 सदस्य होते हैं. ये 11 सदस्य वक्फ बोर्ड का संचालन करते हैं. वक्फ बोर्ड के सदस्य बनने के बाद सदस्य अपने बीच से चेयरमैन का चुनाव करते हैं. इनमें से 3 सदस्यों को राज्य सरकार नामित कर सीधे वक्फ बोर्ड भेजती है. चुनकर आने वाले 8 सदस्यों में 2 शिया मुस्लिम संसद सदस्य, 2 शिया मुस्लिम विधानसभा या विधान परिषद सदस्य, 2 बार काउंसिल के शिया समुदाय से आने वाले सदस्य, दो मुतावल्ली कोटे से सदस्य बनते हैं. जिनकी वक्फ सम्पत्ति की सालाना आय एक लाख रुपये या उससे अधिक हो. वहीं राज्य सरकार एक मुस्लिम स्कॉलर, एक सामाजिक कार्यकर्ता और एक सरकारी अधिकारी को नियुक्त कर सीधे वक्फ बोर्ड का सदस्य बनाती है.

वक्फ बोर्ड के सदस्य चुनते हैं चेयरमैन
शिया वक्फ बोर्ड में मुतावल्ली कोटे से चुनकर आने वाले दोनों सदस्यों का चुनाव वह मुतावल्ली करते हैं, जिनकी वक्फ आय की सालाना आय एक लाख रुपए या उससे अधिक होती है. मौजूदा समय में यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में ऐसे 37 मुतावल्ली हैं, जिनकी सालाना आय एक लाख रुपये से अधिक है. नामित और निर्वाचित 11 सदस्य अपने बीच से एक चेयरमैन का चयन करेंगे.

ये भी पढ़ें-वसीम रिजवी के विरोध में सड़कों पर उतरे लोग, ऐसे किया प्रदर्शन

लंबे समय से चेयरमैन की कुर्सी पर काबिज थे वसीम रिजवी
विवादों में रहने वाले वसीम रिजवी यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में लंबे समय से चेयरमैन की कुर्सी पर काबिज रहे है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में कुरान के खिलाफ याचिका दायर करने के बाद वसीम के नाम पर विवाद गहरा गया है. सुन्नी वक्फ बोर्ड को योगी सरकार ने दो बार विस्तार दिया था, लेकिन शिया वक्फ बोर्ड पिछले एक साल से भंग ही रहा और विवादों में रहने वाले वसीम रिजवी को एक्सटेंशन नहीं दिया गया. जानकर कहते है कि सरकार भी वसीम रिजवी से दूरी बनाए है.

लखनऊः उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के गठन के बाद अब शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में चुनाव की तैयारियां जोर-शोर के साथ शुरू हो गई हैं. अधिसूचना के मुताबिक यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में 20 अप्रैल को चुनाव में बोर्ड का गठन होना है. शिया वक्फ बोर्ड पिछले एक साल से भंग चल रहा था, जिसके चुनाव कराए जाने को लेकर लंबे समय से मांग उठ रही थी.


शिया वक्फ बोर्ड में होते हैं 11 सदस्य
उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में कुल 11 सदस्य होते हैं. ये 11 सदस्य वक्फ बोर्ड का संचालन करते हैं. वक्फ बोर्ड के सदस्य बनने के बाद सदस्य अपने बीच से चेयरमैन का चुनाव करते हैं. इनमें से 3 सदस्यों को राज्य सरकार नामित कर सीधे वक्फ बोर्ड भेजती है. चुनकर आने वाले 8 सदस्यों में 2 शिया मुस्लिम संसद सदस्य, 2 शिया मुस्लिम विधानसभा या विधान परिषद सदस्य, 2 बार काउंसिल के शिया समुदाय से आने वाले सदस्य, दो मुतावल्ली कोटे से सदस्य बनते हैं. जिनकी वक्फ सम्पत्ति की सालाना आय एक लाख रुपये या उससे अधिक हो. वहीं राज्य सरकार एक मुस्लिम स्कॉलर, एक सामाजिक कार्यकर्ता और एक सरकारी अधिकारी को नियुक्त कर सीधे वक्फ बोर्ड का सदस्य बनाती है.

वक्फ बोर्ड के सदस्य चुनते हैं चेयरमैन
शिया वक्फ बोर्ड में मुतावल्ली कोटे से चुनकर आने वाले दोनों सदस्यों का चुनाव वह मुतावल्ली करते हैं, जिनकी वक्फ आय की सालाना आय एक लाख रुपए या उससे अधिक होती है. मौजूदा समय में यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में ऐसे 37 मुतावल्ली हैं, जिनकी सालाना आय एक लाख रुपये से अधिक है. नामित और निर्वाचित 11 सदस्य अपने बीच से एक चेयरमैन का चयन करेंगे.

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लंबे समय से चेयरमैन की कुर्सी पर काबिज थे वसीम रिजवी
विवादों में रहने वाले वसीम रिजवी यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में लंबे समय से चेयरमैन की कुर्सी पर काबिज रहे है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में कुरान के खिलाफ याचिका दायर करने के बाद वसीम के नाम पर विवाद गहरा गया है. सुन्नी वक्फ बोर्ड को योगी सरकार ने दो बार विस्तार दिया था, लेकिन शिया वक्फ बोर्ड पिछले एक साल से भंग ही रहा और विवादों में रहने वाले वसीम रिजवी को एक्सटेंशन नहीं दिया गया. जानकर कहते है कि सरकार भी वसीम रिजवी से दूरी बनाए है.

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