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UPTET-2021 : 15 जनवरी से पहले जारी हो सकते हैं पात्रता परीक्षा के प्रवेश पत्र - लखनऊ लेटेस्ट न्यूज

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET) 2021 की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए बड़ी खबर है. इस पात्रता परीक्षा के प्रवेश पत्र 15 जनवरी से पहले जारी होने की उम्मीद जताई जा रही है.

यूपी टेट.
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Published : Dec 14, 2021, 9:41 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET) 2021 की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए बड़ी खबर है. इस पात्रता परीक्षा के प्रवेश पत्र 15 जनवरी से पहले जारी होने की उम्मीद जताई जा रही है. असल में, परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की तरफ से यह परीक्षा 23 जनवरी को कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा है. इस तारीख पर अगर परीक्षा कराई जाती तो कम से कम 10 से 12 दिन पहले प्रवेश पत्र जारी करने होंगे.


बता दें, इस परीक्षा के लिए प्रदेश भर से करीब 21 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. परीक्षा 28 नवंबर को प्रस्तावित थी. परीक्षा शुरू होने के पहले ही पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. जिसके चलते परीक्षा को कैंसिल कर दिया गया था. सरकार की ओर से पूर्व में यह इस परीक्षा को 1 महीने के अंदर कराने का बयान जारी किया गया था. हाल ही में परीक्षा नियामक कार्यालय की तरफ से यह परीक्षा 23 जनवरी तक कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है.

इस पूरे प्रकरण में राजनीतिक दबाव में नियमों की अनदेखी का खेल खुलकर सामने आया है. भारतीय जनता पार्टी की बिहार की एक विधायक के भाई को प्रश्न पत्र छापने का ठेका दिया जाता है. यह व्यक्ति गोरखपुर के एक प्रभावशाली परिवार से ताल्लुक रखता है. बिना कागजी प्रक्रिया को पूरा किया, इसे प्रश्न पत्र छापने का ठेका मिल जाता है. प्रश्न पत्र की टाइपिंग का काम स्कूल के बच्चों को दिया जाता है. केंद्रों पर निर्धारित संख्या से कम प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए जाते हैं. जानकारों की मानें तो प्रश्नपत्र लीक कांड की आड़ में काफी अनियमितताएं दब गई.

यह बदलाव किए जा रहे हैं

पेपर लीक कांड से सबक लेने के बाद परीक्षा नियामक प्राधिकारी के स्तर पर परीक्षा कराने की रणनीति में काफी बदलाव किए जा रहे हैं. परीक्षा को नकल मुक्त और शुचिता पूर्ण बनाए रखने के लिए नीतियों में भी बदलाव हो रहे.


- इस बार की परीक्षा में एडेड महाविद्यालयों तक को परीक्षा केंद्र बनाया जा रहा है, ताकि केंद्रों की संख्या घटा करके निगरानी बढ़ाई जा सके. प्रयागराज, गोरखपुर, मथुरा, अलीगढ़ सहित करीब 14 जिलों को रडार पर रखा गया है.

- परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के स्तर पर प्रयास किया जा रहा है कि 500 से कम क्षमता वाले विद्यालयों को केंद्र न बनाया जाए. जिला मुख्यालयों से दूर ज्यादा क्षमता वाले प्रतिष्ठित इंटर कॉलेजों और महाविद्यालयों को केंद्र बनाए जाने से सेक्टर व जोनल मजिस्ट्रेट व पर्यवेक्षकों की उपलब्धता केंद्रों पर ज्यादा रहेगी.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET) 2021 की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए बड़ी खबर है. इस पात्रता परीक्षा के प्रवेश पत्र 15 जनवरी से पहले जारी होने की उम्मीद जताई जा रही है. असल में, परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की तरफ से यह परीक्षा 23 जनवरी को कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा है. इस तारीख पर अगर परीक्षा कराई जाती तो कम से कम 10 से 12 दिन पहले प्रवेश पत्र जारी करने होंगे.


बता दें, इस परीक्षा के लिए प्रदेश भर से करीब 21 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. परीक्षा 28 नवंबर को प्रस्तावित थी. परीक्षा शुरू होने के पहले ही पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. जिसके चलते परीक्षा को कैंसिल कर दिया गया था. सरकार की ओर से पूर्व में यह इस परीक्षा को 1 महीने के अंदर कराने का बयान जारी किया गया था. हाल ही में परीक्षा नियामक कार्यालय की तरफ से यह परीक्षा 23 जनवरी तक कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है.

इस पूरे प्रकरण में राजनीतिक दबाव में नियमों की अनदेखी का खेल खुलकर सामने आया है. भारतीय जनता पार्टी की बिहार की एक विधायक के भाई को प्रश्न पत्र छापने का ठेका दिया जाता है. यह व्यक्ति गोरखपुर के एक प्रभावशाली परिवार से ताल्लुक रखता है. बिना कागजी प्रक्रिया को पूरा किया, इसे प्रश्न पत्र छापने का ठेका मिल जाता है. प्रश्न पत्र की टाइपिंग का काम स्कूल के बच्चों को दिया जाता है. केंद्रों पर निर्धारित संख्या से कम प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए जाते हैं. जानकारों की मानें तो प्रश्नपत्र लीक कांड की आड़ में काफी अनियमितताएं दब गई.

यह बदलाव किए जा रहे हैं

पेपर लीक कांड से सबक लेने के बाद परीक्षा नियामक प्राधिकारी के स्तर पर परीक्षा कराने की रणनीति में काफी बदलाव किए जा रहे हैं. परीक्षा को नकल मुक्त और शुचिता पूर्ण बनाए रखने के लिए नीतियों में भी बदलाव हो रहे.


- इस बार की परीक्षा में एडेड महाविद्यालयों तक को परीक्षा केंद्र बनाया जा रहा है, ताकि केंद्रों की संख्या घटा करके निगरानी बढ़ाई जा सके. प्रयागराज, गोरखपुर, मथुरा, अलीगढ़ सहित करीब 14 जिलों को रडार पर रखा गया है.

- परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के स्तर पर प्रयास किया जा रहा है कि 500 से कम क्षमता वाले विद्यालयों को केंद्र न बनाया जाए. जिला मुख्यालयों से दूर ज्यादा क्षमता वाले प्रतिष्ठित इंटर कॉलेजों और महाविद्यालयों को केंद्र बनाए जाने से सेक्टर व जोनल मजिस्ट्रेट व पर्यवेक्षकों की उपलब्धता केंद्रों पर ज्यादा रहेगी.

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